सीएम नीतीश ने कहा-बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ आंदोलन की जरूरत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जिस तरह शराबबंदी में लोगों ने साथ दिया था, अब दहेज प्रथा और बाल विवाह में साथ दें और अभियान चलाकर उसे भी पूरी तरह खत्म करने में साथ दें।
पटना [जेएनएन]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि शराबबंदी के बाद अब गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलेगा। कानूनन दहेज प्रथा और बाल विवाह पर प्रतिबंध है। लेकिन, बिना लोगों के जागरूक हुए दहेजबंदी और बाल विवाह पर नियंत्रण पाना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि पहले यह प्रथा सिर्फ अमीरों में थी, लेकिन अब गरीब तबकों में भी घुस आई है जो काफी चिंतनीय है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को ये बातें बेगूसराय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि दहेज महिलाओं के लिए विनाशकारी ही नहीं अभिशाप भी है। सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक रूप से सबको संकल्प लेना चाहिए कि वैसे विवाह समारोह में शिरकत नहीं करेंगे जहां दहेज लिया गया हो, तभी सामाजिक परिवर्तन हो सकेगा।
सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि शराबबंदी के बाद मानव श्रृंखला में 4 करोड़ लोगों ने शामिल होकर यह साबित कर दिया था कि वे पूर्ण नशाबंदी चाहते हैं। अब जल्द ही सरकार दहेज व बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाएगी। इसके लिए नीति बनायी जा रही है।
पुलिस मुख्यालय में तैयार होगा आंकड़ा
बाल विवाह का अबतक आंकड़ा नहीं तैयार होता था। पुलिस मुख्यालय ने जिलों को निर्देश दिया है कि वे महिला और बाल अपराध के आंकड़े में बाल विवाह से संबंधित मामलों को भी शामिल करें। पुलिस मुख्यालय ने जिला पुलिस से पिछले पांच साल के दौरान बाल विवाह के दर्ज मामलों का ब्योरा मांगा है।
बाल विवाह को रोकने के लिए मुहिम चलाई जाएगी
बाल विवाह को रोकने के लिए सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाएगा बल्कि लोगों को जागरूक करने की मुहिम भी चलाई जाएगी। पुलिस अफसरों से कहा गया है कि वे मुखिया और सरपंच से मिलकर उन्हें बाल विवाह रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने में मदद करें।
बिहार पुलिस शराबबंदी के साथ बाल विवाह रोकने के लिए भी अभियान चलाएगी। कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इसे रोकने को लेकर कार्रवाई होगी। साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की मदद भी ली जाएगी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को बाल विवाह रोकने के लिए नियमों का सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया है।
याद रहे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाने की घोषणा की है। बाल विवाह अपराध की श्रेणी में आता है।
90 साल पहले बाल विवाह निषेध अधिनियम बनाया गया था
बाल विवाह को रोकने के लिए करीब 90 साल पहले बाल विवाह निषेध अधिनियम बनाया गया था। इस अधिनियम में समय-समय पर बदलाव कर इसे सख्त करने की कोशिश की गई है। बाल विवाह की घटना अपराध की श्रेणी में आता है।
जिलों में तैनात एसपी को निर्देश दिया गया है कि बाल विवाह से जुड़ा कोई मामला आता है तो उसे अपराध की श्रेणी में दर्ज करें। साथ ही प्रभावकारी कार्रवाई की जाए। पुलिस मुख्यालय ने पांच साल के दौरान बाल विवाह से जुड़े जितने भी मामले दर्ज हैं, उनका आंकड़ा जिला पुलिस को भेजने का निर्देश दिया है।
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यह भी कहा गया है कि हर महीने होने वाले क्राइम मीटिंग में डीएसपी, थानेदार और सर्किल इंस्पेक्टर के साथ इस मसले पर चर्चा करें। जिलों के डीएम से संपर्क कर यह पता लगाएं कि वहां बाल विवाह निषेध पदाधिकारी हैं या नहीं। यदि नहीं है तो इसके लिए अनुरोध करें।
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