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CM नीतीश ने कहा- हम अच्छी पुड़िया बनाते हैं, फेंकने पर भी नहीं खुलती

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमारे पिताजी वैद्य थे और हम बचपन से आयुर्वेदिक दवा की पुड़िया बनाने में माहिर हैं। हम एेसी पुड़िया बनाते हैं जो फेंकने से भी नहीं खुलती।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 07:29 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 11:00 PM (IST)
CM नीतीश ने कहा- हम अच्छी पुड़िया बनाते  हैं, फेंकने पर भी नहीं खुलती
CM नीतीश ने कहा- हम अच्छी पुड़िया बनाते हैं, फेंकने पर भी नहीं खुलती
style="text-align: justify;">पटना [जेएनएन]। मुख्यमंत्री  नीतीश  कुमार  ने कहा कि जब  हम  स्कूल  में  पढ़ते  थे  तो  देखते  थे  कि  पिताजी  खुद  दवा  बनाकर लोगों  का  इलाज  करते  थे।  वह  खुद  चूर्ण  को  पुड़िया  में  बांधकर  लोगों  को  दवा  देते  थे।  जब मैं पढ़कर  शाम  में  स्कूल  से  लौटता  था  तो  मैं  भी  पुड़िया  बनाता  था।

 उन्होंने  कहा  कि  बचपन से  ही  हम  अच्छा  पुड़िया  बनाते  हैं  जो  फेंकने  पर  भी  नहीं  खुलेगा। ज्ञान  भवन  स्थित  अशोक  कन्वेंशन केन्द्र  में  आयोजित  तीन  दिवसीय  छठे  आयुर्वेद  पर्व के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने ये बातें कहीं। कहा कि बिहार  में  छठे  आयुर्वेद  पर्व  का  आयोजन  किया  गया  है,  जिससे  लोगों  को  काफी  लाभ होगा। 

उन्होंने  कहा  कि  इस  तरह  के  कार्यक्रम  से  आयुर्वेद  से  जुड़े  लोगों  और  इसमें  दिलचस्पी रखने  वाले  लोगों  को  काफी  प्रसन्नता  होगी।  मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  इस  तीन  दिवसीय  आयुर्वेद पर्व  के  माध्यम  से  अपनी  पुरानी  चिकित्सा  पद्धति  से  नई  पीढ़ी  के  लोग  जागरूक  होंगे  और उनमे  जागृति  आएगी। मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  जब  मैं  बच्चा था  तो  देखता  था  कि  एलोपैथ  में  बहुत  कम  डॉक्टर  थे  लेकिन  धीरे-धीरे  लोगों  का  ध्यान एलोपैथिक  चिकित्सा  की  तरफ  बढ़ने  लगा।  वह  बहुत  वैज्ञानिक  है  और  निरंतर  अनुसंधान  के चलते  लोगों  का  आकर्षण  एलोपैथ  की  तरफ  तेजी  से  हुआ  है।  मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  जो आयुर्वेद  में  दम  है,  वह  अन्य  चिकित्सा  पद्धति  में  नहीं  है  लेकिन  जितना  अनुसंधान  इस  क्षेत्र  में होना  चाहिए,  उतना  नहीं  हुआ।

उन्होंने  कहा  कि  भारत  में  आयुष  मंत्रालय  बना  है,  यह  अच्छी  बात  है, जिसमें  आयुर्वेद,  यूनानी  जैसी  अनेक  देशी  और  पुरानी  चिकित्सा  पद्धतियों  की  महत्ता  को  ध्यान में  रखते हुए  शामिल  किया  गया है  ताकि  उसका  उपयोग  हो सके।

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  हमलोगों  के  यहाँ  आयुष  चिकित्सक  बड़ी  संख्या  में  कार्यरत  हैं। बचपन  से  ही  व्यक्तिगत  एवं  भावनात्मक  रूप  से  आयुर्वेद  से  हमारा  संबंध  है।  उन्होंने  कहा  कि हमारे  पिताजी  पटना  राजकीय  आयुर्वेदिक  कॉलेज  के  प्रोडक्ट  थे,  जो  उसके  शासी  निकाय  से भी  जुड़े  रहें,  उनका  रिश्ता  स्वतंत्रता  संग्राम  से  रहा  और  कई  बार  उन्हें  जेल  भी  जाना  पड़ा।

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि आयुर्वेद  अद्भूत  विज्ञान  है,  यह  मैं  बचपन  से  ही  जानता  हूँ।  बचपन  में  मैं  देखता  था  कि पिताजी  नब्ज  पकड़कर  ही  तकलीफ  बताते  थे,  इसमें  कफ,  पित्त  और  नाड़ी  के  संतुलन  का अध्ययन  करके  इलाज  किया  जाता  है।  आयुर्वेद  में  इलाज  का  यही  मूल  तरीका  है। 

उन्होंने कहा  कि  अगर  कफ,  पित्त और  नाड़ी में  संतुलन  है  तो फिर  आप  स्वस्थ हैं।   मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  आयुर्वेद  का  बिहार  की  भूमि  से  बड़ा  पुराना  रिश्ता  रहा  है। उन्होंने कहा  कि  बहुत  सारे  लोग असहजता  महसूस  करते  हैं  कि  एलोपैथ  वाले  डॉक्टर  कहलाते  हैं और  हजारों  वर्ष  पुरानी  चिकित्सा  प्रणाली  वाले  वैद्य।  ऐसी  फीलिंग  मन  से  निकाल  देनी  चाहिए और  मजबूती  का  एहसास  होना  चाहिए  क्यांकि  एलोपैथ  में  इलाज  से  थकने  के  बाद  लोग आयुर्वेद  का  सहारा  लेते  हैं  इसलिए  आपमें  ज्यादा  दम  है। 

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