पूरे चुनाव सोशल मीडिया से दूर और सोसाइटी के बीच रहे नीतीश कुमार
लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण का मतदान कल यानि रविवार को होगा। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और सोसाइटी के बीच रहे।
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर चुनाव की किसी भी तरह की चर्चा से परहेज रखा। अपना पूरा ध्यान उन्होंने जनसभाओं पर केंद्रित रखा। एक दिन में चार से पांच चुनावी सभाएं कीं। एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में मुख्यमंत्री ने 170 चुनावी सभाएं कीं। एक चुनावी नवादा में विधानसभा का उपचुनाव लड़ रहे एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में कीं।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आए पर दूसरी बातों के लिए
ऐसा नहीं रहा कि चुनाव प्रचार की अवधि में नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से अपने को दूर किए रखा। वह चुनाव से इतर अन्य संदेशों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दिखते रहे। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की बधाई दी। जानकी नवमी की शुभकामनाएं दीं।
रमजान का पाक महीना आरंभ होने की मुबारकबाद से संबंधित संदेश पोस्ट किए। यहां तक मई दिवस की शुभकामनाएं भी भेजीं। ट्वीट के माध्यम से उन्होंने कुछ शोक संदेश भी प्रेषित किए।
दूसरी ओर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह की सक्रियता चुनावी अभियान के दौरान सोशल मीडिया पर बड़े स्तर पर रही। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी चुनावी अभियान के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खूब सक्रिय रहे। पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव फेसबुक पर नियमित रूप से चुनाव से जुड़े संदेश के साथ दिखे। गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे भी ट्वीटर पर सक्रिय थे।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने नियमित रूप से चुनावी सभाओं से जुड़े अपडेट को ट्वीट तो किया ही, साथ ही साथ नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कई ट्वीट किए। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी कई ट्वीट किए। राबड़ी देवी ने तो भोजपुरी में चुनाव से जुड़ी बातें ट्वीट कीं।
चुनाव प्रचार के लिए 12 दिनों तक मधेपुरा में कैंप
मुख्यमंत्री ने चुनाव के दौरान कड़ी मेहनत की। चुनावी सभाएं आने-जाने में लगने वाले समय की वजह से प्रभावित नहीं हो, इस मद्देनजर उन्होंने 12 दिनों तक मधेपुरा में कैैंप किया। मधेपुरा से ही वह आसपास के इलाके में चुनाव प्रचार के लिए जाते रहे।
बिहार विकास की बात की, मोदी की तारीफ करते रहे
इस चुनाव में नीतीश कुमार के प्रचार का ढंग अलग रहा। उन्होंने जहां भी सभाएं कीं, बिहार सरकार की ओर से विकास के लिए किए जा रहे काम को गिनाया। साथ ही दावा किया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो विकास की गति और तेज होगी।
प्रधानमंत्री की अधिसंख्य सभाओं में मुख्यमंत्री ने अपनी मौजूदगी दिखाई और मोदी के सामने भी खुलकर उनकी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री भी उनकी प्रशंसा करते रहे। कभी एक दूसरे के कïट्टर विरोधी कहे जाने वाले नेताओं की यह केमेस्ट्री भी यह संदेश देने में सफल रही कि भाजपा और जदयू स्वभाविक दोस्त हैं और एनडीए में कहीं कोई खटास नहीं है।
वोट देने के बाद ही पति को खाना दें
नीतीश कुमार की यह बात लगभग हर सभा में सुनी गई। मतदाता जागरूकता के लिए नीतीश अपनी सभा में आने वाली महिलाओं से कहते थे कि मतदान के दिन पहले पति को वोट देने के लिए भेजें। वोट देकर आने पर ही भोजन दें। पहले मतदान फिर जलपान की यह सीख वहां मौजूद महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान ला देती थी।
लालटेन की अब जरूरत नहीं, तीखा हमला था
नीतीश अपनी सभाओं में जब यह कहते थे कि गांव-गांव बिजली पहुंच गई है और अब हमें लालटेन की जरूरत नहीं, तो समझने वाले यह भी समझ जाते थे कि वह राजद के चुनाव चिन्ह की भी बात कर रहे। लालटेन को प्रतीक बनाकर नीतीश ने लगातार लालू-राबड़ी सरकार वाले समय से लोगों जोड़ा और यह बताने की कोशिश की कि अब समय बदल गया है।
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