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हत्याकांड के 28 साल पुराने मामले में CM नीतीश को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोप मुक्‍त

बिहार के पंडारक में 28 साल पुराने एक हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम नीतीश को बड़ी राहत देते हुए आरोप से मुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया है

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 03:16 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 10:24 PM (IST)
हत्याकांड के 28 साल पुराने मामले में CM नीतीश को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोप मुक्‍त
हत्याकांड के 28 साल पुराने मामले में CM नीतीश को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोप मुक्‍त

पटना, जेएनएन। 28 साल पुराने एक हत्‍याकांड मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए आरोप मुक्त माना है। बता दें कि इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने भी नीतीश कुमार को इस हत्या के मामले में आरोप मुक्त किया था और अब इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है। पटना हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी थी। 

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मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने पटना जिले के पंडारक थाने में दर्ज प्राथमिकी पर संज्ञान लेते हुए नीतीश कुमार के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी, जिसे पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह ने निचली अदालत में शुरू की गयी इस कार्यवाही को खारिज कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में नीतीश कुमार को दोषमुक्त कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने एफआइआर से भी सीएम नीतीश का नाम हटाने को कहा था। 

क्या था मामला 

पटना जिले के बाढ़ लोकसभा क्षेत्र में 16 नवंबर, 1991 को हुए मध्यावधि चुनाव के 1991 में उपचुनाव की वोटिंग कर लौट रहे ग्रामीण सीताराम सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। मृतक सीताराम के भाई ने कहा था कि मतदान के बाद लौटने के दौरान नीतीश कुमार समर्थकों के साथ हमदोनों के पास आये और पूछा कि किसे वोट दिया? हमलोगों द्वारा कांग्रेस का नाम लिये जाने पर नीतीश ने मेरे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी।

इस घटना के बाद सीताराम के गांव के ही अशोक सिंह ने नीतीश कुमार और उनके साथियों के खिलाफ 16 नवंबर, 1991 को हत्या का मामला दर्ज कराया था। प्राथमिकी में सीताराम सिंह की हत्या के मामले में अन्य लोगों के साथ कुमार को भी नामजद आरोपी बनाया गया था। उस समय नीतीश कुमार समता पार्टी के सांसद थे।

बता दें कि एफआइआर दर्ज होने के बाद नीतीश कुमार सहित दो लोगों को पुलिस ने जांच के बाद आरोपमुक्त कर दिया था। फिर  वर्ष 2009 में मृतक के भाई अशोक सिंह द्वारा बाढ़ के तत्कालीन एसीजेएम की कोर्ट में याचिका दाखिल कर नीतीश कुमार को अभियुक्त बनाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए केस चलाने की अनुमति दी थी।


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