CM साहब.. राजधानी पुलिस की समस्याएं भी मांग रहीं 'समाधान', बैरक में सोने की जगह नहीं; भोजन बनाना भी मुश्किल
रात का रिपोर्टर कोतवाली थाने में तैनात जवान को दिन भर कड़ी मेहनत के बाद सोने के लिए एक बेड भी नहीं है। बरामदे में ठंड से बचने के लिए फ्लैक्स की ओठ में फर्श पर मच्छरदानी में ठिठक सोने को मजबूर जवान। (फोटो- अजीत कुमार)
जितेंद्र कुमार, पटना। ठहरो कौन है? दोस्त..., ठीक है, आ सकते हैं। साहब तो कहीं निकले हुए हैं, ओडी में मैडम (महिला दरोगा) बैठी हैं। कोतवाल रात में थानाध्यक्ष का चैंबर छोड़कर बाहर मच्छरों के बीच बैठते हैं। दिन भर ड्यूटी करने वाले सिपाहियों को रात में खाट के बिना जमीन पर टाट और फ्लैक्स का बिछावन बनाना पड़ता है। जैसे-तैसे नींद पूरी करनी जरूरी है, क्योंकि सुबह ड्यूटी भी करनी है।
रोड पर थाने का नाम और नंबर ग्लो-साइन बोर्ड पर चमक रहा था, चप्पे-चप्पे पर सीसी कैमरे और जनरेटर सेट की सुविधा दी गई है। जिन सिपाहियों पर विधि-व्यवस्था, ट्रैफिक, धरना-प्रदर्शन, बैंक, यात्रियों और राहगीरों की सुरक्षा का दायित्व है, वे बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। दैनिक जागरण रात का रिपोर्टर राजधानी के थानों का हाल जानने निकला तो कुछ इसी तरह का नजारा सामने आया।
रात 11.15 बजे: चैंबर छोड़कर सरिस्ता में बैठे मिले कोतवाल
बुद्ध मार्ग पर विशाल पीपल के पेड़ के नीचे ग्लो-साइन बोर्ड चमक रहा है। लिखा है- कोतवाली थाना। सहायता के लिए फोन नंबर भी दर्ज है, लेकिन जब्त जर्जर गाड़ियों और मलबे से बोर्ड ओझल हो रहा है। परिसर में घोर अंधेरे से कुछ महिलाओं की आवाज आ रही थी। सरिस्ता में प्रवेश करते थानाध्यक्ष से मिलने की इच्छा जाहिर की। अपने चैंबर की कुर्सी छोड़कर बाहर बैठे कोतवाल से परिचय हुआ। यहां मच्छरों का झुंड हमलावर है।
रात 11.35 बजे: सर्द जमीन बिछावन, फ्लैक्स की दीवार
कोतवाली थाने में करीब 53 सिपाही और 17 पुलिस पदाधिकारी तैनात हैं। चार गश्ती दल को 24 घंटे भ्रमणशील रखने की व्यवस्था है, लेकिन सरकारी चालक नहीं हैं। चार वाहनों को 24 घंटे कार्यरत रखने के लिए तीन पालियों के हिसाब से 12 चालकों की जरूरत है। बुद्ध स्मृति पार्क, बिहार म्यूजियम, हनुमान मंदिर और हाईकोर्ट क्षेत्र की सुरक्षा कोतवाल के जिम्मे है। जिन सिपाहियों के कंधे पर सुरक्षा का जिम्मा, वे थाने के बरामदे में फर्श पर टाट बिछाकर सुबह होने की प्रतीक्षा करते हैं। फ्लैक्स से बरामदे को घेरकर ठंड से और मच्छरदानी लगाकर मच्छरों से बचने का जतन करते हैं। जैसा रहने का प्रबंध, उससे भी खराब खानपान की व्यवस्था। बरामदे में ही जुगाड़ से खाना बनाते-खाते हैं। पेयजल के लिए एक बोरिंग है, जिस पर करीब 150 लोग निर्भर हैं।
रात 11.55 बजे: सचिवालय की सुरक्षा में महिलाएं
आधी रात में हवा सर्द हो गई है। अगस्त क्रांति के सात बलिदानियों की प्रतिमा स्थल के सामने सचिवालय थाना परिसर में सन्नाटा पसरा है। गेट पर पहुंचते अंधेरे से कड़क आवाज आती है - ठहरो कौन है? ... दोस्त, ठीक है, आइए। लकड़ी की आग बुझ चुकी है और राख पर श्वानों का झुंड बैठा है। सशस्त्र संतरी बताते हैं - साहब तो कहीं निकले हैं। अंदर ओडी अफसर की ड्यूटी में मैडम हैं। 2009 बैच की महिला दरोगा काजल कुमारी और होमगार्ड का एक सशस्त्र जवान सचिवालय थाना क्षेत्र की सुरक्षा की कमान संभाले बैठे हैं। रात्रि पाली में 10 घंटे की ड्यूटी होती है। वायरलेस पर पुलिस नियंत्रण कक्ष, पेट्रोलिंग और डायल 112 के लिए संदेश प्रसारित हो रहे हैं। थाने में आने-जाने वाले हर किसी की निगहबानी के लिए सभी दिशाओं में सीसी कैमरे लगे हैं। बाकी सब पुरानी व्यवस्था है। बरामदे में बनाई गई हाजत, पुलिस पदाधिकारियों के लिए जगह का अभाव पूर्ववत चला आ रहा है।
रात 12.19 बजे: आदर्श थाने में स्प्रिट और स्पीड
जहां दिन भर धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी होती है, उस गर्दनीबाग में सड़कों पर सन्नाटा पसर चुका है। सचिवालय हाल्ट रेलवे फाटक बंद है। दूर से स्प्रिट की गंध आ रही थी, गर्दनीबाग थाने की ओर से। आदर्श थाना परिसर की सीढ़ियों, पोर्टिको और बरामदे तक जब्त सामान से भरे पड़े हैं। एक कोने में रखा जनरेटर सेट किस काम के लिए आया, किसी को पता नहीं। ओडी पदाधिकारी वायरलेस संदेश कलमबद्ध कर रहे हैं और अवर निरीक्षक केस डायरी लिख रहे हैं। सुरक्षा की कमान महिला सिपाही संभाल रही हैं।
रात 12.50 बजे: मलिन बस्ती से भी खराब हाल बुद्ध कालोनी थाने का
जय हिंद भाई...। दीघा थाने से आइल बानी। नमवा का लिखिला? एसआइ मो. इजहार खान। थाने की ओडी अफसर ड्यूटी की क्रास चेकिंग के लिए दीघा थाने की टीम बुद्ध कालोनी थाने पहुंचकर कुछ इसी तरह आपस में संवाद कर रही थी। स्टेशन डायरी और गश्ती दल की जानकारी लेकर चेकिंग टीम निकल जाती है। थाना परिसर में प्रवेश करते ही कोने में पड़ा जनरेटर सेट अपनी उपयोगिता बयां कर रहा है। सुरक्षा में प्रतिनियुक्त सिपाहियों के लिए कोई बैरक नहीं है। अंधेरे में डूबे एक जर्जर भवन की ओर इशारा कर बताया गया कि यहां सिपाहियों के रहने की व्यवस्था है। शौचालय, स्नानागार और जन सुविधाओं की हालत खराब है। थाना भवन के सामने सड़क पर एक कोठरी बनी है, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी रात गुजारते हैं।
रात 1.20 बजे: कालेज में शरणार्थी, दिन गिन रहा एसकेपुरी थाना
गर्दनीबाग थाने की टीम ओडी ड्यूटी की चेकिंग कर निकल जाती है। ओडी पदाधिकारी सुदामा कुमार से पूछा- गश्ती में कौन है? जवाब मिला एसआइ उमाशंकर। एएन कालेज में शरणार्थी बने एसकेपुरी थाने में भी सीसी कैमरे और जनरेटर सेट लगा है। अन्य थानों की तरह यहां भी जनरेटर किनारे पड़ा है। शस्त्रागार नहीं है, इसलिए सिपाही हथियार लेकर ही सोते हैं। बताया गया कि यहां शौचालय तक की सुविधा नहीं है, जिसकी पोस्टिंग होती है, वह अपना दिन गिनते रहता है।