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जागरण के साहित्य उत्सव 'बिहार संवादी' का आगाज, CM नीतीश ने किया उद्घाटन

दैनिक जागरण के साहित्य उत्सव बिहार संवादी का आज आगाज हो चुका है। इसका उद्धाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। इसके विभिन्न सत्रों में साहित्य पर की चर्चा होगी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 21 Apr 2018 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2018 02:04 PM (IST)
जागरण के साहित्य उत्सव 'बिहार संवादी' का आगाज, CM नीतीश ने किया उद्घाटन
जागरण के साहित्य उत्सव 'बिहार संवादी' का आगाज, CM नीतीश ने किया उद्घाटन
पटना [अनंत विजय]। पिछले करीब पखवारा भर से बिहार और झारखंड के अलावा देशभर के साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों के बीच 'बिहार संवादी' को लेकर एक उत्सकुता देखने को मिल रही है। साहित्य, कला और संस्कृति के लगभग हर मंच पर 'बिहार संवादी' को लेकर चर्चा हो रही है। बिहारियों के इस अपने साहित्य उत्सव को लेकर बिहार की माटी से जुड़े लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों में तो उत्साह है ही, इनको चाहनेवाले लोग भी इस आयोजन को लेकर खासे उत्साहित हैं। 
लेकिन, अब इंतजार की घडिय़ां खत्म  हो चुकी हैं। 'बिहार संवादी' का औपचारिक शुभारंभ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर चुके हैं। आयोजन में उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और मशहूर स्तंभकार हृदय नारायण दीक्षित भी बतौर मेहमान शामिल हैं।
मुख्‍यमंत्री ने कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद बेस्‍ट सेलर व ज्ञानवृत्ति की सूची जारी की।


दो दिनों तक दो-दो सत्रों में होगा आयोजन 
दैनिक जागरण की मुहिम 'हिंदी हैं हम' के तहत दो दिनों के इस 'बिहार संवादी' में सत्रों की संरचना इस तरह से की गई है कि ज्ञान की इस भूमि से पूरे देश को संदेश जाए। सत्रों को साहित्य, कला, फिल्म, धर्म आदि विषयों को लेकर इस तरह से रचा गया है कि साहित्य की कमोबेश हर विधा पर विशेषज्ञों के बीच मंथन हो, संवाद हो, और उससे जो ठोस निकले उससे समकालीन साहित्य को एक नई दिशा मिले। 
स्थानीय प्रतिभाओं को मिलेगा राष्ट्रीय मंच
एक अनुमान के मुताबिक इस वक्त देश में साढे तीन सौ लिटरेचर फेस्टिवल (साहित्य उत्सव) आयोजित हो रहे हैं। इसके बीच सिर्फ बिहार और बिहार मूल के लेखकों के साथ दैनिक जागरण ने 'बिहार संवादी' के नाम से एक साहित्य उत्सव की शुरुआत करने का फैसला लिया है, जिसका मकसद स्थानीय प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच देना है। बिहार-झारखंड की रचनात्मक प्रतिभा को राष्ट्रीय फलक पर ले जाना इसका मूल उद्देश्य है। 
इन विषयों पर होगी चर्चा
बिहार संवादी में साहित्य और सत्ता के संबंध, बिहार की कथाभूमि, रचनात्मकता का समकाल, सीता के अनेक मिथकों और पौराणिक कथाओं, हाशिए के साहित्य जिसमें दलित और अल्पसंख्यक साहित्य पर फोकस होगा, भाषा और बोली के द्वंद्, धर्म और साहित्य का रिश्ता, सिनेमा में बिहारी प्रतिभा, मीडिया की चुनौतियां आदि विषयों पर बातचीत होगी। इन क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। 
बिहारियों के अपने इस साहित्य उत्सव में बिहार के सभी प्रमुख विश्वविद्लायों के हिंदी विभाग के अध्यक्षों के अलावा सीतामढी, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, आरा, मुंगेर, हाजीपुर, मधेपुरा, पूर्णियां, रांची, जमशेदपुर, भोपाल, मुंबई, दिल्ली से लेखकों, कलाकारों, पत्रकारों को आमंत्रित किया गया है। 
बिहार की रचनात्मकता पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव 
'बिहार संवादी' के आयोजन और सत्रों में होनेवाले विमर्श के दैनिक जागरण में प्रकाशन के बाद ये उम्मीद की जा सकती है कि बिहार की रचनात्मकता पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और देश के बाहर भी बिहारी लेखकों, कलाकारों, आदि को आमंत्रित कर उनकी राय महत्वपूर्ण मंचों पर सुनी जाएगी। साहित्य के प्रति बिहार में एक अनुराग पैदा होगा जो बेहतर समाज के निर्माण में सहायक होगा। बिहार के बाहर रह रहे लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों की बातों से स्थानीय युवकों को प्रेरणा मिलेगी। 
हर साल पटना में होगा आयोजन  
'बिहार संवादी' का आयोजन हर साल पटना में किया जाएगा और इसको और विस्तृत रूप दिया जाएगा। विस्तार इस अर्थ में कि आनेवाले दिनों में इसमें बच्चों और किशोरों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाएगी।
बिहार की प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर पर शोकेस करने की इस कोशिश का आज बीजारोपण होगा। हर साल होनोवाले इस आयोजन में भी स्थानीय प्रतिभाओं को ही मौका दिया जाएगा। 
पूरे देश के श्रोताओं और दर्शकों तक बिहार संवादी के सत्रों में होनेवाली बातचीत को पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण ने खास इंतजाम किया है। आप सभी सत्रों को फेसबुक पर हिंदी हैं हम, भाषा से जुडि़ए, के पेज पर लाइव देख सकते हैं। 'बिहार संवादी' में सभी का स्वागत है, किसी पास या प्रवेश की आवश्यकता नहीं है। आप पटना के तारामंडल में आइए, आपका स्वागत है। 

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