दीक्षा समारोह में आधी आबादी का जलवा, CM नीतीश ने दिए गोल्ड मेडेल
पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के दीक्षा समारोह में आधी आबादी का जलवा दिखा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टॉपर्स को गोल्ड मेडेल दिए।
पटना [जेएनएन]। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के दीक्षा समारोह में नौ लड़कियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। इसके अलावा कुल 17 छात्र-छात्राओं को संस्थान मेडल से नवाजा गया। कुल 88 एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रमाण पत्र दिए गए। टॉपर्स को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोल्ड मेडल प्रदान किए।
एमबीबीएस छात्रों को प्रमाण पत्र संस्थान के निदेशक डॉ. एनआर विश्वास एवं डीन डॉ. एसके शाही ने दिया।
आइजीआइएमएस के दीक्षा समारोह में कुल नौ लड़कियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। उनमें डॉ.सोमा, सुमन, कोमल भारती, शिवानी, रिया आनंद, मोनिका, खुशबू, प्रीति एवं स्वाति शामिल हैं। किसी भी लड़के को गोल्ड मेडल नहीं मिलना चर्चा का विषय बना रहा।
दादा के सपने को साकार की पोती ने
गोल्ड मेडल मिलने के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में स्वाति सुमन ने कहा कि दादा के सपने को साकार किया है। स्वाति के दादा महावीर प्रसाद ने काफी पहले पोती को डॉक्टर बनाने का सपना देखा तो जो आज साकार हुआ। स्वाति नवादा की रहने वाली है।
मेडल से मिलता प्रोत्साहन
गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद खुशबू रानी ने कहा कि मेडल से आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहन मिलता है। खुशबू गया की रहने वाली है। उसको मेडल मिलने पर पिता केदार प्रसाद एवं मां लकेश्वरी देवी ने भी प्रसन्नता जाहिर की।
राष्ट्र की सेवा करना लक्ष्य
मेडिसीन विभाग में टॉप करने पर गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली प्रीति ने कहा कि एक डॉक्टर के रूप में राष्ट्र की सेवा करना लक्ष्य है। फिलहाल इंटर्नशिप करने के बाद पीजी करना है। उसके बाद लोगों की सेवा करना है।
भरोसा नहीं टूटे एक चुनौती
मधेपुरा की रहने वाली मोनिका राज ने गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद कहा कि लोगों का डॉक्टरों पर काफी भरोसा होता है। लोगों का भरोसा न टूटे यह डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती है। लोगों के भरोसा पर खरा उतरने की कोशिश करूंगी।
परिवार की पहली डॉक्टर
बेगूसराय की रहने वाली रिया आनंद का कहना है कि परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। परिवार में पहली बार डॉक्टर बनी हॅंू। रिया के डॉक्टर बनने पर पिता आनंद अग्रवाल ने भी खुशी जाहिर की। रिया की मां डॉ.सीमा आनंद है।
गरीबों की सेवा करना लक्ष्य
दरभंगा की रहने वाली शिवानी का कहना है कि पहले तो पीजी करना है। उसके बाद गरीबों की सेवा उनकी प्राथमिकता होगी। गरीबों का इलाज करना भगवान की सेवा करने के बराबर है। मेरी कोशिश होगी की हर मरीज को बेहतर सेवा प्रदान करें।
बचपन में देखा था सपना
मुजफ्फरपुर की रहने वाली कोमल भारती का कहना है कि बचपन में ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था। वह सपना अब साकार हुआ है। मैं एक कैंसर विशेषज्ञ के रूप में काम करना चाहती है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। कैंसर बिहार एवं भारत के लिए एक बड़ी बीमारी है। लाखों लोगों की मौत हो रही हैं। कैंसर के प्रति काम करना बहुत जरूरी है।