'मी टू' कैंपेन सराहनीय, आरोप लगाने को तय हो समय सीमा
सोशल मीडिया पर 'मी टू' अभियान ने काफी जोर पकड़ा है। कुछ लड़कियां इस कैंपेन को सही
सोशल मीडिया पर 'मी टू' अभियान ने काफी जोर पकड़ा है। कुछ लड़कियां इस कैंपेन को सही मान रही हैं तो कुछ प्रसिद्धि पाने का हथकंडा। अधिकतर का मानना है कि ये पीड़ित महिलाओं की हिम्मत है। सोमवार को मगध महिला कॉलेज की छात्राओं ने अपने कैंपस में 'मी टू अभियान सही है या सिर्फ एक स्टंट' विषय पर अपने विचार रखे। पढ़ें बातचीत के प्रमुख अंश।
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किसी लड़की के साथ अगर कुछ गलत हो रहा है तो आवाज उठाना जरूरी है। इसके लिए मी टू कैंपने बहुत ही सराहनीय है। इस पहल में सभी को शामिल होना चाहिए।
- मुस्कान
लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए ये एक अच्छी कोशिश है। मेरे हिसाब से अब सही तरीके से सोशल मीडिया का उपयोग हो रहा है। कार्यक्षेत्र में क्या परेशानियां हैं इसके बारे में पता होना चाहिए।
- अंकिता
ये बात बिल्कुल गलत है, अगर किसी लड़की के साथ कुछ बुरा हुआ है तो उसको उसी वक्त सामने आना चाहिए। सालों बाद सामने आकर अपनी बात रखने का क्या मतलब है।
- प्रियदर्शनी
किसी लड़की के साथ अगर ये पहली बार होता है तभी उसको घटना का विरोध करना चाहिए। इतने इंतजार के बाद विरोध का क्या मतलब? अभियान से फायदा लें, हथकंडा न बनाएं।
- उत्याल
आरोप लगाने के बाद साक्ष्य की जरूरत होती है। सालों बाद अगर किसी को आरोपित बनाया जाएगा तो आरोपित के खिलाफ सुबूत कहां से आएंगे? इससे बदनामी के अलावा और कुछ नहीं होगा।
- पायल
लड़कियों को एक प्लेटफार्म मिला है, जिससे वो अपने मन की बात किसी से कह सकती हैं। मी टू अभियान तो अच्छा है पर आने में थोड़ा समय जरूर लगा। लड़कियों के लिए सकारात्मक पहल है।
- अमृता
ये अभियान तो सही है पर बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि ये सिर्फ सोशल मीडिया तक ही न सीमित रह जाए। महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए सभी को आगे आना होगा।
- प्रज्ञा
ये पहल तो सही है बस लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत है। कुछ लोग इसे लड़कियों का पब्लिक स्टंट समझ रहे हैं। मुझे लगता है कि समय की पाबंदी की बजाए लड़कियों की हिम्मत सराही जानी चाहिए।
- दिप्ती