ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: विषधरों की फुंफकार से नहीं, भूखे बच्चों की चीख से लगता डर
बिहार के कुछ इलाकों में बाढ़ का कहर भले ही थम गया हो, लेकिन लोगों की जिंदगी पटरी पर नहीं आयी है। न तो खाने को कुछ बचा है और न हीं पीने के लिए साफ पानी मिल रहा है।
पश्चिम चंपारण [सौरभ कुमार]। बाढ़ का कहर थम चुका है, लेकिन अब सबकुछ गवां चुके लोगों के सामने सबसे बड़ा संकट पेट की आग बुझाने का है। वह तो किसी तरह दिन काट रहे हैं, लेकिन भूख से बिलखते बच्चों का दर्द उनसे नहीं देखा जा रहा है।
अब उन्हें पानी में बहकर आए विषधरों का फुफकार से नहीं, बल्कि बच्चों की चीख से डर लग रहा है। हफ्ते भर पूर्व पानी गंडक की पेटी में समा गया। लेकिन, बाढ़ के जख्म हर तरफ दिखाई दे रहे हैं। लोगों के चेहरों पर उनकी परेशानियां साफ दिखाई दे रही हैं।
भूख से व्याकुल बड़े-बुजुर्ग पेट भरने के लिए हर जतन अपना रहे हैं। गोद में पल रहे ललना और अन्य दिनों में उछल-कूद मचाने वाले डोलू-भोलू की चीख अभिभावकों की जान निकाल रही है। ठकराहां में पीपी तटबंध के पूर्वी हिस्से में बसे मोतीपुर पंचायत के शिवपुर मुसहरी गांव में पहले वाला कोलाहल नहीं दिखा।
गांव के परमहंस मिश्र और दयाशंकर मिश्र मिले। कहा- बाढ़ का कहर थम चुका है लेकिन, अब अधिकांश परिवारों को दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सबकुछ गवां चुके परिवारों को प्रशासनिक स्तर से मात्र प्लास्टिक सीट और चूड़ा-गुड़ ही नसीब हो सका है। मवेशी तक भूख से तड़प रहे हैं।
कुछ आगे बढऩे पर रामानंद मिले। उन्होंने बताया कि हफ्ता दिन हो गया है। अभी झोपड़ी भी ठीक नहीं कर पाए हैं। उमा टोला निवासी प्रहलाद यादव, धर्मराज यादव, कोकिल यादव आदि ने कहा कि हम भूख सह सकते हैं, पर बच्चे नहीं। उन्हें क्या पता कि घर में दाना तक नहीं बचा है। भूख से कलेजे के टुकड़े को बिलखता देख बेबस ही आंसू निकल आते हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि दो दिन में दो वक्त ही खाना नसीब हुआ। छोटे बच्चों को दूध के लिए संकट है। हम लाचार हैं। भितहां प्रखंड के भुईधरवा, चंदरपुर, लेदिहरवा समेत अन्य गांवों के उन परिवारों की स्थिति भी कुछ इसी तरह की है, जो तटबंध पर कई दिन गुजार कर अपने घरों को लौटे हैं।
ध्वस्त हो चुकी है मुख्य सड़क : ठकराहां की कोइरपट्टी पंचायत के भुआलपट्टी गांव की मुख्य सड़क ध्वस्त हो चुकी है। इससे लोगों को आवागमन में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस गांव में पहुंचने के लिए चार फीट पानी पार करना होगा। गांव में अभी जगह-जगह जलजमाव बना है।
शुद्ध पेयजल की भी किल्लत
भोजन के साथ बाढ़ पीडि़त परिवारों को शुद्ध पेयजल की किल्लत झेलनी पड़ रही है। बाढ़ के पानी में डूबे चापाकलों का पानी दूषित हो चुका है। अब धूप की तपिश बढऩे पर लोग संक्रामक रोग के शिकार हो रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने कहीं-कहीं ब्लीङ्क्षचग पाउडर का छिड़काव कराया गया, लेकिन जहां पहुंचने का रास्ता नहीं, उन गांवों में लोग सबसे अधिक परेशानी हैं। सर्वेक्षण करने वाली टीमें सड़क पर ग्रामीणों को बुलाकर रिपोर्ट तैयार कर रही हैं।
प्रशासनिक स्तर पर सभी बाढ़ पीडि़तों को राहत सामग्र्री के साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। सर्वे के लिए टीम भी गठित की गई है। दियारा का इलाका होने के कारण सर्वे में कुछ परेशानी आ रही है।
राकेश कुमार
बीडीओ, ठकराहा