गणित में कमजोर, लेकिन मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल में बिहार के बच्चे आगे
मोबाइल, इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल के मामले में बिहार के बच्चे देश के विकसित राज्यों से भी आगे हैं। देश के 24 राज्यों के 26 जिलों में कराये गए सर्वे में यह रिजल्ट आया है।
पटना [सुभाष पांडेय]। शिक्षा के पायदान पर निरंतर आगे बढ़ रहे बिहार के लिए यह अच्छी खबर है। मोबाइल, इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल के मामले में बिहार के बच्चे देश के विकसित राज्यों से भी आगे हैं। 'असर' की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट मंगलवार को दिल्ली में जारी किया गया।
देश भर में शिक्षा की स्थिति पर 'असर' की रिपोर्ट को अहम माना जाता है। इस बार 24 राज्यों के 26 जिलों के 23868 घरों में जाकर 14 से 18 वर्ष के 28323 युवाओं के बीच यह सर्वे हुआ। इस सर्वे में बिहार का एकमात्र जिला मुजफ्फरपुर शामिल था। वहां 60 गांवों के 962 घरों के 1158 युवाओं के बीच शिक्षा की स्थिति पर सर्वेक्षण किया गया।
तकनीक के इस्तेमाल में हैं आगे
करीब डेढ़ सौ पन्नों की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह है कि 14 से 18 वर्ष उम्र के मुजफ्फरपुर जिले के 80.3 प्रतिशत बच्चों के पास अपना बैंक एकाउंट है। इनमें 17 प्रतिशत बच्चे एटीएम और 5.4 प्रतिशत बच्चे नेट बैंकिंग का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। 84.2 प्रतिशत बच्चे का मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। 26.3 प्रतिशत इंटरनेट और 20.4 प्रतिशत कंप्यूटर का इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
बिहार के इस जिले के 87.5 प्रतिशत बारहवीं तक के लड़के-लड़कियां किसी न किसी स्कूल में औपचारिक शिक्षा ले रहीं। 2.2 प्रतिशत का अंडर ग्रेजुएट में नामांकन हुआ है। सिर्फ 10.5 प्रतिशत ही इस आयु वर्ग के बच्चे ऐसे हैं, जो नामांकन से वंचित हैं। इस रिपोर्ट में बिहार में शिक्षा की स्थिति कई विकसित राज्यों से भी बेहतर है। 2005 से ही 'असर' शिक्षा पर सर्वे करते आ रहा है।
फंडामेंटल स्किल की कमी
'असर' की रिपोर्ट में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि पिछले एक दशक में देश में कक्षा आठ तक बच्चों का नामांकन एक करोड़ दस से बढ़कर दो करोड़ बीस लाख जरूर हो गया है लेकिन बच्चों का फंडामेंटल स्किल लगातार कम हो रहा है। वर्ष 2016 तक देश में कक्षा आठ तक के आधा बच्चे कक्षा चार तक गुणा भाग को हल नहीं कर सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 से 18 वर्ष तक के देश के 78 प्रतिशत ग्रामीण बच्चों का चाहे उनका स्कूलों में नामांकन हुआ हो या नहीं खेतों में मजदूर के रूप में या अपनी जमीन पर खेती के काम में तो जरूर लगे हैं, लेकिन उनको इसका ज्ञान नहीं है। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में 16461 लड़के- लड़कियों ने नामांकन कराया जबकि इससे थोड़ा ही कम 14059 ने एरोनाटिकल इंजीनियरिंग में नामांकन कराया।
गणित में हैं कमजोर
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आयु वर्ग के बच्चे साधारण लेख तो पढ़ सकते हैं, लेकिन इनका गणित का ज्ञान बहुत कमजोर है। एक बात यह भी उभर कर आई है कि 14 वर्ष तक के लड़के और लड़कियों के नामांकन में कोई अंतर नहीं है, लेकिन इसके बाद जैसे जैसे लड़कियों की उम्र बढ़ते जा रही है, उनका नामांकन दर घटता जा रहा है।