घर में रखा चेक और खाते से निकल गए रुपये
बैंक में रुपये इसलिए रखे जाते हैं ताकि वे सुरक्षित रहें।
पटना । बैंक में रुपये इसलिए रखे जाते हैं ताकि वे सुरक्षित रहें। सोचिए, चेक आपके पास हो और आपके पास एटीएम कार्ड भी न हो, फिर भी आपके खाते से लाखों रुपये निकल जाएं। कुछ ऐसा ही हुआ पीरबहोर थाना क्षेत्र के खजांची रोड निवासी प्रीति गुप्ता के साथ। जालसाजों ने क्लोन चेक से इनके खाते से 3 लाख 45 हजार 660 रूपये निकाल लिए। बड़ी बात यह है कि जिस चेक नंबर से पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफर किया गया, वह चेक प्रीति की आलमारी में ही रखा है। प्रीति के पति आशुतोष कुमार ने पीरबहोर थाने में बैंक कर्मियों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है।
बैंक स्टेटमेंट मिलने के बाद हुई जानकारी
प्रीति गुप्ता पत्नी आशुतोष कुमार का चालू खाता फर्म निखिल प्रिंटर्स नाम से बैंक ऑफ इंडिया मरादपुर चौहट्टा पटना ब्रांच में है। आशुतोष ने बताया कि वह महीने में एक दिन बैंक स्टेटमेंट निकालते है। एटीएम कार्ड का प्रयोग नहीं करते है। अक्सर पैसा चेक से निकालते है। 12 जुलाई को वह खाता का स्टेटमेंट निकालने बैंक पहुंचे। बैंक स्टेटमेंट हाथ में आते ही उनके होश उड़ गए। जालसाजों ने 1 जून को प्रीति गुप्ता के खाते से 1 लाख 88 हजार 660 रूपया निकासी चेक संख्या 1650 से हुआ। पैसा किसी अवधेश कुमार के खाते में ट्रांसफर किया गया था। इसके पहले 29 मई को प्रीति गुप्ता के खाते से चेक नंबर 1628 से 1 लाख 86 हजार 440 रूपया फिर अवधेश कुमार के खाते में ट्रांसफर हुआ था। प्रीति के पति आशुतोष ने बताया कि जिन दो चेक नंबर से पैसा अवधेश के खाते में ट्रांसफर किया गया उस चेक नंबर का अभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया। वह चेक उनके पास ही है। पैसा ट्रांसफर के दौरान बैंक से एसएमएस भी नहीं आया था।
तीन बार पहले भी हुआ था प्रयास
स्टेटमेंट में बताया गया कि उनके खाते से पूर्व में 22 मई को तीन लाख 45 हजार रूपये, 29 मई को एक लाख 86 हजार 460 रूपया और फिर 5 जून को चेक संख्या 1647 पर 1 लाख 58 हजार का चेक जमा किया गया था, लेकिन बैंक ने किन्हीं कारणों से चेक पास नहीं किया।
चेक में कई गलती के पास भी भुगतान
आशुतोष ने बताया कि जब यूनियन बैंक के अधिकारियों से क्लोन चेक बनाकर पैसा निकासी की शिकायत किया तो बैंक अधिकारी बोले की ऐसे केस आते रहते है। जिन दो क्लोन चेक से रकम निकासी हुई है कई गलतियां है। चेक पर तारीख गलत है, प्रीति का हस्ताक्षर सहीं नहीं और फार्म का मुहर तक गलत है। इसके बावजूद बैंक कर्मी कैसे दूसरे के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिए?
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पूर्व में भी आ चुके कई मामले
केस नंबर एक
सेंट्रल बैंक के एसएसबी (सर्विस सपोर्ट ब्रांच) ने कोतवाली में एक मामला दर्ज कराया था। क्लोन चेक से एक संस्था के खाते से करीब तीन लाख रुपये निकालने का प्रयास किया गया था। इसके पूर्व इसी खाते से क्लोन चेक से करीब चार लाख कंकड़बाग शाखा से ट्रांसफर हो चुका था। संस्था की मुजफ्फरपुर शाखा से भी रुपये निकाले गए थे।
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केस नंबर दो
रूबन मेमोरियल अस्पताल प्रबंधक ने भी पाटलिपुत्र थाने में दर्ज कराया था। पिछले वर्ष 16 मई को जालसाजों ने अस्पताल के खाते से दो बार में क्लोन चेक से 6 लाख 73 हजार रुपये निकाले। पीड़ित का आरोप है कि जिस चेक नंबर का इस्तेमाल हुआ वह उनके पास ही था।
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सवालों के घेरे में पूरा सिस्टम
-अगर प्रिंटर से क्लोन चेक तैयार किया गया तो बैंककर्मी पहचान से कैसे चूक गए?
-जालसाज को कैसे पता खाताधारक चेक के कौन से सीरियल नंबर चुका इस्तेमाल?
-जालसाज के पास आखिर कौन पहुंचा रहा खाता नंबर और हस्ताक्षर के नमूने?
-कौन दे रहा फर्म के मुहर का नमूना और उनके खाते में रकम की जानकारी?
-पैसा जालसाज के खाते में ट्रांसफर होने पर ही क्यों नहीं मिला एसएमएस?