PMCH में एक बेड पर चल रहा था दो नवजात का इलाज, स्वास्थ्य विभाग ने लगाई फटकार
बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम पीएमसीएच के शिशु विभाग का निरीक्षण करने पहुंची तो उसे समझ आ गया कि आखिरी बिहार मेें सबसे ज्यादा नवजात की मृत्यु होती है।
By Edited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 02:01 AM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 08:32 AM (IST)
पटना, जेएनएन। पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के शिशु विभाग का निरीक्षण करने आई केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम न्यू बर्न केयर यूनिट में एक बेड पर दो नवजातों का इलाज होता देख भड़क गई। पूछा तो बताया गया कि वर्तमान में न्यू बर्न केयर यूनिट में 52 बेड हैं, जबकि कुल 60 बच्चों का इलाज चल रहा है।
यूनिट की बदहाली देख केंद्रीय टीम ने प्रश्नों की बौछार कर दी जिसका अस्पताल प्रशासन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। केंद्रीय टीम में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक डॉ.प्रभाकर, डॉ.रेखा और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के शिशु विभाग के प्रोफेसर डॉ.सिद्धार्थ रामजी शामिल थे। निरीक्षण के दौरान पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद, शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके जायसवाल आदि भी मौजूद थे। अब केंद्रीय टीम आज यानी गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के साथ समीक्षा बैठक करेगी।
बिहार में ही क्यों मर रहे सर्वाधिक नवजात
केंद्रीय टीम अस्पताल प्रशासन से सवाल किया कि आखिर बिहार में ही देश में सबसे ज्यादा नवजात शिशु क्यों मर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार द्वारा नवजात शिशुओं को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इस बाबत भी अस्पताल प्रशासन कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया। क्यों नहीं हुई वार्मर की मरम्मत केंद्रीय टीम ने शिशु विभाग के मशीनों के रखरखाव पर भी अंगुली उठाई। अस्पताल प्रशासन द्वारा उसके लिए समुचित व्यवस्था नहीं देखकर कहा कि आखिर वार्मर क्यों खराब रहता है? जो कंपनी मशीनों की आपूर्ति करती है, वह मरम्मत क्यों नहीं करती?
की सवालों की बौछार
नजवात शिशुओं के इलाज से संबंधित उपकरण पर्याप्त मात्रा में अस्पताल में क्यों नहीं रखे जाते हैं? दवा खत्म होने के बाद क्यों मंगाए जाती हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इन सबको लेकर अभी तक क्या कार्रवाई की गई? एंटी बायोटिक के इस्तेमाल पर भी लगाई फटकार केंद्रीय टीम ने बच्चों के इलाज के तौर-तरीके पर भी पीएमसीएच के डॉक्टरों को फटकार लगाई।
पीएमसीएच के पास अपनी एंटी बायोटिक पॉलिसी नहीं?
केंद्रीय डॉक्टरों ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पीएमसीएच जैसे अस्पताल के पास अपनी कोई एंटी बायोटिक पॉलिसी नहीं है। कई बच्चों को एंटी बायोटिक दवाएं दी जा रही हैं, जिसकी कोई जरूरत ही नहीं है। बच्चों के इलाज की व्यवस्था देखकर केंद्रीय टीम ने गहरी आपत्ति जताई। डॉक्टरों एवं नर्सो को प्रशिक्षण की जरूरत केंद्रीय टीम ने महिला एवं प्रसूति विभाग तथा शिशु विभाग के डॉक्टरों एवं नर्सो के प्रशिक्षण की जरूरत जताई, ताकि वे नवजात शिशुओं को सही तरीके से इलाज कर सकें। इससे मरीजों की स्थिति बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
यूनिट की बदहाली देख केंद्रीय टीम ने प्रश्नों की बौछार कर दी जिसका अस्पताल प्रशासन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। केंद्रीय टीम में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक डॉ.प्रभाकर, डॉ.रेखा और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के शिशु विभाग के प्रोफेसर डॉ.सिद्धार्थ रामजी शामिल थे। निरीक्षण के दौरान पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद, शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके जायसवाल आदि भी मौजूद थे। अब केंद्रीय टीम आज यानी गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के साथ समीक्षा बैठक करेगी।
बिहार में ही क्यों मर रहे सर्वाधिक नवजात
केंद्रीय टीम अस्पताल प्रशासन से सवाल किया कि आखिर बिहार में ही देश में सबसे ज्यादा नवजात शिशु क्यों मर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार द्वारा नवजात शिशुओं को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इस बाबत भी अस्पताल प्रशासन कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया। क्यों नहीं हुई वार्मर की मरम्मत केंद्रीय टीम ने शिशु विभाग के मशीनों के रखरखाव पर भी अंगुली उठाई। अस्पताल प्रशासन द्वारा उसके लिए समुचित व्यवस्था नहीं देखकर कहा कि आखिर वार्मर क्यों खराब रहता है? जो कंपनी मशीनों की आपूर्ति करती है, वह मरम्मत क्यों नहीं करती?
की सवालों की बौछार
नजवात शिशुओं के इलाज से संबंधित उपकरण पर्याप्त मात्रा में अस्पताल में क्यों नहीं रखे जाते हैं? दवा खत्म होने के बाद क्यों मंगाए जाती हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इन सबको लेकर अभी तक क्या कार्रवाई की गई? एंटी बायोटिक के इस्तेमाल पर भी लगाई फटकार केंद्रीय टीम ने बच्चों के इलाज के तौर-तरीके पर भी पीएमसीएच के डॉक्टरों को फटकार लगाई।
पीएमसीएच के पास अपनी एंटी बायोटिक पॉलिसी नहीं?
केंद्रीय डॉक्टरों ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पीएमसीएच जैसे अस्पताल के पास अपनी कोई एंटी बायोटिक पॉलिसी नहीं है। कई बच्चों को एंटी बायोटिक दवाएं दी जा रही हैं, जिसकी कोई जरूरत ही नहीं है। बच्चों के इलाज की व्यवस्था देखकर केंद्रीय टीम ने गहरी आपत्ति जताई। डॉक्टरों एवं नर्सो को प्रशिक्षण की जरूरत केंद्रीय टीम ने महिला एवं प्रसूति विभाग तथा शिशु विभाग के डॉक्टरों एवं नर्सो के प्रशिक्षण की जरूरत जताई, ताकि वे नवजात शिशुओं को सही तरीके से इलाज कर सकें। इससे मरीजों की स्थिति बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
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