केंद्र की बिहार को फटकार: जब मिड डे मील लागू है, तब बच्चों की सेहत दुरुस्त क्यों नहीं
बिहार में मिड डे मील योजना का सभी जिलों में समान रूप से कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है। इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में पहले नंबर पर वैशाली जिला है जबकि खगडि़या फिसड्डी।
पटना, जेएनएन। बिहार में मिड डे मील योजना का सभी जिलों में समान रूप से कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है। इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में पहले नंबर पर वैशाली जिला है, जबकि पटना जिला 25वें पायदान पर। शिक्षा विभाग के अधीन संचालित मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय की ओर से जारी रैंकिंग में खगडिय़ा जिला को सबसे फिसड्डी बताया गया है। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
पत्र भेजकर मांगी जानकारी
केंद्र ने पत्र के जरिये राज्य सरकार से जानकारी मांगी है कि जब स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना लागू है, तब बच्चों की सेहत दुरुस्त क्यों नहीं है? निदेशालय ने मध्याह्न भोजन योजना को लेकर फरवरी में सभी 38 जिलों के प्रदर्शन के आधार पर उनकी रैंकिंग जारी की है। जिन जिलों की रैंकिंग बहुत नीचे है, उन्हें मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक ने पूरी प्रक्रिया में सुधार करने का कड़ा निर्देश दिया है। यदि यह सुधार इस माह के अंत तक नहीं हुआ तो मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े जिलों के अफसरों पर सख्त कार्रवाई होगी।
10 कैटेगरी के आधार पर रैंकिंग
मध्याह्न भोजन योजना की रैंकिंग तय करने के लिए कुल 10 कैटेगरी बनायी गई है। इसमें मुख्य रूप से मध्याह्न भोजन योजना की आपूर्ति करने वाले प्रारंभिक विद्यालयों का प्रदर्शन, लाभकारी बच्चों की कुल संख्या, मध्याह्न भोजन देने के दिनों की कुल संख्या, विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना की जांच, रसोई घरों की व्यवस्था, रसोइये और उसके सहायकों को मानदेय का भुगतान और निगरानी समिति की बैठक को रखा गया है। हर कैटेगरी के लिए 10-10 अंक तय किये गए हैं। इस तरह कुल 100 अंकों के आधार पर हर जिले में मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन के आधार पर अंक दिये गए हैं।
27 जिलों का प्रदर्शन औसत से बेहतर
रैकिंग में 27 जिलों का प्रदर्शन औसत से बेहतर पाया गया है। मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक विनोद कुमार सिंह के मुताबिक जिलों की रैकिंग जारी करने से प्रत्येक जिले में मध्याह्न भोजन योजना की प्रगति की जानकारी मिलती है। साथ ही जिलों में इसकी प्रगति को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। इससे बच्चों को ज्यादा लाभ मिलता है। मध्याह्न भोजन योजना का मूल लक्ष्य विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाना है। उनके मुताबिक राज्य के कुल 70,171 विद्यालय हैं। इनमें से 68,103 प्रारंभिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना की जांच की गई।
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