Move to Jagran APP

बिहार में इंसेफेलाइटिस से अब 120 की मौत, मुजफ्फरपुर में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन को दिखाए काले झंडे

बिहार में इंसेफेलाइटिस (एईएस) कहर बनकर टूट पड़ा है। बीमारी से अब तक 120 बच्‍चों की मौत हो चुकी है। 2012 के अब तक की सर्वाधिक 120 मौतों का रिकार्ड के बराबर हो गया।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 16 Jun 2019 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 10:58 PM (IST)
बिहार में इंसेफेलाइटिस से अब 120 की मौत, मुजफ्फरपुर में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन को दिखाए काले झंडे
बिहार में इंसेफेलाइटिस से अब 120 की मौत, मुजफ्फरपुर में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन को दिखाए काले झंडे

पटना/ मुजफ्फरपुर [जागरण टीम]। बिहार में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) या इंसेफेलौपैथी हर साल बच्चों पर कहर बनकर टूटता है। इस साल भी गर्मियों में एईएस के कारण उत्‍तर बिहार में 120 बच्चों की मौत हो चुकी है। रविवार को 15 और बच्‍चों की मौत हो गई है। इसमें नौ बच्‍चों की मौत केवल मुजफ्फरपुर में हुई है। इनमें एक बच्‍ची की मौत तो रविवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज व अस्‍पताल (एसकेएमसीएच) में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के निरीक्षण के दौरान ही हो गई। वहां से वापसी के क्रम में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को आक्रोशित लोगों ने काले झंडे दिखाए। निरीक्षण के बाद केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बच्चों की मौत को कष्‍टदायी बताया तथा इसके लिए 100 बेड के बच्‍चों की आइसीयू के निर्माण पर बल दिया।

loksabha election banner

रविवार को 15 और बच्‍चों की मौत
रविवार को मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण और वैशाली के अलावा अब एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का दायरा सिवान तक पहुंच गया है। इस भयंकर बीमारी से बिहार में रविवार को 15 और बच्चों की मौत हो गई। एसकेएमसीएच में रविवार को आठ और केजरीवाल अस्पताल में एक यानी कुल नौ और बच्चों की मौत हो गई, जबकि दोनों जगह 49 नए मरीजों को भर्ती किया गया। इसमें एसकेएमसीएच में 28 व केजरीवाल में 21 बच्चे हैं। शनिवार को 18 बच्चों की मौत हो गई थी। एईएस की भयावहता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवद्र्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एसकेएमसीएच का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।  

समस्तीपुर और पूर्वी चंपारण में तीन की  मौत, नौ नए मरीज मिले 

उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर के अलावा आसपास के जिलों में भी एईएस का कहर जारी है। रविवार को नौ नए मरीज मिले। दो जिलों में तीन की मौत की खबर है। इनमें पूर्वी चंपारण के एक और समस्तीपुर के दो बच्चे हैं।  

सिवान के महाराजगंज में भी एईएस फैला

वहीं सिवान में शनिवार को महराजगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत जिगरहवां गांव की एक वर्षीय बच्ची किरण की इस बीमारी से मौत हो गई। नर्सिंग होम में एईएस से आक्रांत दस बच्चों को भर्ती कराया गया था, जिनमें कुछ को पटना रेफर किया गया है। वैशाली जिले में 24 घंटे में दो और बच्चियों की मौत हो गई। 

मंत्री सुरेश शर्मा का विवादित बयान
इस बीच इलाज में लापरवाही के आरोप भी लगे हैं। बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा ने अपने विवादित बयान में कहा है कि बीमारी दस्‍तक देकर नहीं आती। उन्‍होंने यह भी माना कि जैसे हालात हैं, उसके अनुसार इलाज की व्‍यवस्‍था नहीं हो सकी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता डॉ. सीपी ठाकुर ने आरोप लगाया कि राज्‍य सरकार देर से जागी, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को खुद जाकर देखना चाहिए था।
एईएस से दिल्‍ली तक मचा हाहाकार, केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को दिखाए काले झंडे
एईएस से मौतों के कारण अब मुजफ्फरपुर से पटना-दिल्‍ली तक हाहाकर मच गया है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन आज बीमारी की स्थिति का जायजा लेने रविवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे। इसके पहले पटना में उन्‍हें पप्‍पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए।
पप्‍पू यादव कर पार्टी ने केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को मुजफ्फरपुर में भी काले झंडे दिखाए। मुजफ्फरपुर में जन अधिकार पार्टी के कार्यकताओं ने केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के काफिले को रोककर काले झंडे दिखाए। उस समय
उनके साथ केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍यमंत्री अश्विनी चौबे व बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय भी थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन 2014 में भी एईएस का जायजा लेने आए थे। उस वक्‍त भी उन्‍होंने कई वायदे किए थे, जो पूरे नहीं हुए। मंत्री फिर वादे कर के जा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लिया हालात का जायजा
रविवार की सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन मुजफ्फरपुर पहुंचे। उनके साथ केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री अश्विनी चौबे तथा बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय भी थे। एसकेएमएसीएच में मरीजों के हालात जानने लिए पहुंचे डॉ. हर्षवर्धन के समाने ही पांच साल की दो बच्चियों मुन्‍नी व निशा की मौत हो गई।
बच्चों की मौत को बताया कष्‍टदायी
निरीक्षण व डॉक्‍टरों व अधि‍कारियों के साथ बैठक के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने बच्चों की मौत को कष्‍टदायी बताया। उन्‍होंने कहा कि बीते कुछ सालों के दौरान इस साल अधिक मामले सामने आए हैं। कहा कि उन्‍होंने बीमार बच्‍चों से बात की, सभी बातों की बारीकी से जानकारी ली। एक डॉक्‍टर होने के नाते भी लोगों को देखा।
बीमारी पर लगातार शोध  जरूरी
डॉ. हर्षवर्धन ने बीमारी के विभिन्‍न कारणों की चर्चाकरते हुए इसपर लगातार शोध पर बल दिया। उन्‍होंने इसके लिए एक रिसर्च सेंटर की जरूरत पर बल दिया। कहा कि इसकी स्‍थापना के लिए भारत सरकार मदद करेगी।
आइसीयू की व्‍यवस्‍था पर्याप्‍त नहीं
केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने माना कि अस्‍पताल की व्‍यवस्‍थाओं के अंतर्गत इस बीमारी के लिए बच्‍चों की आइसीयू की व्‍यवस्‍था पर्याप्‍त नहीं है।  यहां सौ बेड का बच्‍चों का एक अलग आइसीयू होनी चाहिए। 
केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के निरीक्षण के दाैरान भी दो बच्‍ची की मौत
रविवार को दो बच्‍चों की मौत केंद्रीय स्‍वास्थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के निरीक्षण के दौरान ही हो गई। पांच साल की एक बच्‍ची निशा की मौत तो उनके सामने ही हो गई। इस दौरान वहां केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री अश्विनी चौबे तथा बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय भी मौजूद थे। मंत्रियों की मौजूदगी में ही मौत हुई दूसरी बच्‍ची मुन्नी कुमारी बताई जा रही है।
लगातार आ रहे बीमार बच्‍चे, बढ़ता जा रहा मौत का आंकड़ा
उत्‍तर बिहार के सबसे बड़े अस्‍पताल श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज व अस्‍पताल (एसकेएमसीएच) में बीमार बच्‍चों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। साथ ही बढ़ता जा रहा है मौत का आंकड़ा। उत्‍तर बिहार में एईएस अपने भयावह रूप में आ चुका है। इस मौसम में अब तक 120 बच्‍चों की मौत हो चुकी है।

परिजनों में इलाज की व्‍यवस्‍था को लेकर असंतोष
स्‍वास्‍थ्‍य प्रशासन व सरकार एईएस से इलाज की मुकममल व्‍यवस्‍था के दावे कर रही है, लेकिन मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस बीच बीमार बच्‍चों के परिजनों में इलाज की व्‍यवस्‍था को ले असंतोष देखा जा रहा है। एसकेएमसीएच में भर्ती एक बीमार बच्‍चे के पिता मो. आफताब का आरोप है कि अस्‍पताल में डॉक्‍टर मरीजों पर पूरा ध्‍यान नहीं दे रहे। शनिवार रात से सुबह तक इलाज केवल नर्सों के हवाले रहा। उन्‍होंने इलाज की व्‍यवस्‍था को लेकर असंतोष जाहिर किया। अपनी चार साल की बीमार बेटी की मौत के बाद प्रतिक्रिया में सुनील राम ने कहा कि एसकेएमसीएच में इलाज की मुकम्मल व्‍यवस्‍था नहीं है।


बिहार के मंत्री ने कहा: हालात को देखते हुए इलाज की व्‍यवस्‍था में कमी
पीडि़त परिजनों के आरोप पर एक हद तक बिहार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने भी मुहर लगाई है। अपने बयान में उन्‍होंने कहा है कि जैसे आपातकालीन हालात हैं, उसके अनुसार बेड व आइसीयू की व्‍यवस्‍था नहीं हो सकी है। हालांकि, बिहार के स्‍वासथ्‍य मंत्री इलाज की व्‍यवस्‍था को मुकम्‍मल मानते हैं। उनके अनुसार बीमार बच्चों के इलाज में कोई कमी नहीं की जा रही है। उन्‍होंने यह भी कहा कि बीमारी दस्‍तक देकर नहीं आती।

बीजेपी नेता सीपी ठाकुर ने राज्‍य सरकार पर लापरवाही का आरेाप
इस बीच पूर्व मंत्री व वरीय बीजेपी नेता डॉ. सीपी ठाकुर ने राज्‍य की नीतीश सरकार पर लापरवाही का बड़ा आरोप लगाया है। उन्‍होंने कहा कि बीमारी को लेकर सरकार देर से जागी। सरकार ने बरमारी को गंभीरता से नहीं लिया। सीपी ठाकुर ने कहा कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को खुद मुजफ्फरपुर जाकर देखना चाहिए था।

मुख्‍यमंत्री ने चार-चार लाख की सहायता देने की घोषणा
एईएस के इलाज के लिए मुकम्‍मल व्‍यवस्‍था के लिए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है। उन्‍होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने लिया जायजा
इसके पहले शनिवार की सुबह स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार एसकेएमसीएच पहुंचे। उन्होंने एईएस वार्ड का जायजा लिया और इलाज के संबंध में पूरी जानकारी ली। प्राचार्य, अधीक्षक और विभागाध्यक्ष के साथ समीक्षा बैठक भी की। पटना एम्स से डॉ. लोकेश तिवारी और डॉ. रामानुज के नेतृत्व में विशेष रूप से प्रशिक्षित छह नर्सों की टीम देर शाम एसकेएमसीएच पहुंची। यह इलाज के साथ यहां के स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित भी करेगी।
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री ने जाना बच्चों का हाल
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय भी दोपहर करीब सवा चार बजे एसकेएमसीएच पहुंचे। उन्होंने पीआइसीयू में जाकर एईएस से पीडि़त बच्चों का हाल जाना। चिकित्सकों से बीमारी व चल रहे इलाज के संबंध में जानकारी ली।
बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ले चुके स्थिति का जायजा
इसके पहले बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय ने भी मुजफ्फरपुर में स्थिति का जायजा लेकर बीमारी पर नियंत्रण को ले निर्देश दिए थे। लेकिन मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
अलर्ट मोड में अस्‍पताल, बच्‍चों की भी निगरानी
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए अस्‍पताल अलर्ट मोड में हैं। वहां जरूरी सुविधाओं के साथ डॉक्‍टरों की रोस्‍टर ड्यूटी तय कर गई है। आशा, आंगनबाड़ी सेविका व एएनएम की जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है।
लोगों को जागरूक कर रहा प्रशासन
एईएस से बचाव के लिए आशा, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका एवं एएनएम को अपने पोषण क्षेत्र के बच्चों के स्वास्थ्य पर निगरानी रखनी है। उन्‍हें बच्चों को जल्द से जल्द प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र भेजने में मदद करनी है। वे माता-पिता एवं परिजनों को इस बीमारी के लक्षणों व बचाव की भी जानकारी दे रहीं हैं। एईस के फैलाव को रोकने के लिए मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन की ओर से व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
जानिए बीमारी के लक्षण
एईएस के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इसमें दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं होतीं हैं। शरीर निर्बल हो जाता है। बच्‍चा प्रकाश से डरता है। कुछ बच्चों में गर्दन में जकड़न आ जाती है। यहां तक कि लकवा भी हो सकता है।
डॉक्‍टरों के अनुसार इस बीमारी में बच्चों के शरीर में शर्करा की भी बेहद कमी हो जाती है। बच्चे समय पर खाना नहीं खाते हैं तो भी शरीर में चीनी की कमी होने लगती है। जब तक पता चले, देर हो जाती है। इससे रोगी की स्थिति बिगड़ जाती है।
वायरस से होता राग, ऐसे करें बचाव
यह रोग एक प्रकार के विषाणु (वायरस) से होता है। इस रोग का वाहक मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। बच्चे के शरीर में रोग के लक्षण चार से 14 दिनों में दिखने लगते हैं। मच्छरों से बचाव कर व टीकाकरण से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
10 सालों में करीब 450 बच्चों की मौत
विदित हो कि पिछले 10 सालों के दौरान उत्तर बिहार के 450 से अधिक बच्चों की मौत एईएस या इंसेफेलौपैथी से हो गई है। वर्ष 2012 व 2014 में इस बीमारी के कहर से मासूमों की ऐसी चीख निकली कि इसकी गूंज पटना से लेकर दिल्ली तक पहुंची थी। बेहतर इलाज के साथ बच्चों को यहां से दिल्ली ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करने का वादा भी किया गया। मगर, पिछले दो-तीन वर्षों में बीमारी का असर कम होने पर यह वादा हवा-हवाई ही रह गया। पर इस वर्ष बीमारी अपना रौद्र रूप दिखा रही है। इस साल भी मौत का आंकड़ा सैकड़ा पार कर गया है।
वर्षवार एईएस से मौत, एक नजर
2010: 24
2011: 45
2012: 120
2013: 39
2014: 86
2015: 11
2016: 04
2017: 04
2018: 11
2019: 120*
(*अब तक)

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.