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Lalu Yadav Holi FLASHBACK: उसका नहीं था कोई जवाब, लोग आज भी करते याद

लालू प्रसाद यादव की होली बीते साल की तरह इस साल भी जेल में ही मन रही है। एक दौर वह भी था जब उनकी होली के जलवे थे। आइए नजर डालते हैं Lalu Yadav Holi Celebration पर Flashback में।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 01:26 PM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2019 07:54 PM (IST)
Lalu Yadav Holi FLASHBACK: उसका नहीं था कोई जवाब, लोग आज भी करते याद
Lalu Yadav Holi FLASHBACK: उसका नहीं था कोई जवाब, लोग आज भी करते याद
पटना [अमित आलोक]। होली (Holi 2019) आज है। बिहार में सियासी होली की चर्चा हो और राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता। एक जमाना था, जब लालू यादव के सरकारी आवास पर होली का रंग जमता था। आम हो या खास, सबके कपड़े फटे दिखते थे। फटे कुर्ते में लालू भी रंगों से सराबोर नजर आते थे।
आज चारा घोटाला में सजा पाकर लालू रांची के होटवार जेल में सजा काट रहे हैं। बीमार होने के कारण वे रांची के रिम्‍स (अस्‍पताल) में भर्ती हैं। लालू परिवार बीते साल की तरह इस साल भी होली नहीं मना रहा। ऐसे में बीते दिनों की लालू की होली यादों में ही शेष है।
होली को ले संजीदा रहते थे लालू
लालू ;यादव खुद होली को लेकर कितने संजीदा रहते थे, इसे जानने के लिए बीते साल का एक वाकया याद कीजिए। चारा घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान उन्‍होंने जज से कहा था- 'हुजूर, होली नजदीक है, फैसला जल्द कर दीजिए ना।' लेकिन फैसले से लालू को राहत नहीं मिली। लालू की होली जेल में ही मनी।
यादगार होती थी वो होली
लालू आवास की उस कुर्ताफाड़ होली को राजद नेता और कार्यकर्ता आज भी याद करते हैं। उस दौरान लालू खुद दरवाजे पर ढोल-मंजीरा लेकर गाने बैठ जाते थे। नेता-कार्यकर्ता उनका साथ देेते थे। सब अपने-अपने राग में फाग गाते थे। राबड़ी देवी भी सबका साथ देती थीं।

1997 से 2000 तक चलता रहा दौर
लालू यादव की होली का वह रंग 1997 से 2000 तक चलता रहा। इसमें नेता-कर्यकर्ता सुबह सात बजे से ही पहुंचने लगते थे। पहले रंग का दौर चलता था, फिर दोपहर बाद कुर्ताफाड़ होली शुरू होती थी।  बड़ा हो या छोटा, सभी के कुर्ते फाड़ दिए जाते थे। नेता-कार्यकर्ता लालू का भी कुर्ता फाड़ देते थे। इस दौरान गोबर व कीचड़ से सने लोग तरह-तरह के रंगों से सराबोर रहते थे। लालू कुर्ता फाड़कर होली खेलते थे और राबड़ी उनपर रंग डालतीं रहतीं थीं। वे भी जमकर होली खेलतीं थीं।

दोपहर बाद गुलाल व होली गायन का दौर
दोपहर दो बजे के बाद गुलाल और होली गायन का दौर शुरू होता था। शुरू होते थे होली के लोक गीत। कौन कितना अच्छा गाता है, यह देखा जाता था। लालू यादव खुद ढोल बजाते थे।

सचमुच लाजवाब थी राजद सुप्रीमो की होली
लालू यादव की वह होली देश-विदेश में प्रसिद्ध थी, लेकिन चारा घोटाला में सजायाफ्ता होने के कारण वे दो सालों से ऐसी होली नहीं मना पा रहे हैं। बीते साल की तरह इस साल भी वे जेल में ही होली मनाएंगे और फाग गाएंगे। राजनीति अपनी जगह, लेकिन बिहार में लालू की होली का जवाब नहीं था। बिहार क्‍या, देश-विदेश में लोग इसे आज भी याद करते हैं।

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