होली पर विशेष: शिवलिंग पर अबीर चढ़ा मनाते हैं होली, मांसाहार है वर्जित
बिहार के इस गांव के लोग होली में मांसाहार नहीं खाते। गांव में परंपरागत रूप से जो पकवान होली के मौके पर तय हैं, वही लोग खाते-खिलाते हैं।
बक्सर [सत्येंद्र कुमार]। बिहार के बक्सर जिले के सोवां गांव के लोग होली में मांसाहार नहीं खाते। गांव में परंपरागत रूप से जो पकवान होली के मौके पर तय हैं, वही लोग खाते-खिलाते हैं। आमतौर पर होली में मीट-मुर्गा बनाने और खिलाने की परंपरा चल पड़ी है। परंतु, सोवां के सभी घरों में केवल पुआ-पूड़ी आदि शाकाहारी पकवान बनाए जाते हैं। जबकि गांव में हर बिरादरी के लोग रहते हैं।
पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा
सौ से ज्यादा घरों वाले इस गांव में शाकाहारी होली की परंपरा सदियों से चल रही है। इस दिन गांव के लोग बाबा भुअरनाथ की पूजा करते हैं और सात्विक तरीके से होली मनाते हैं। अपने जीवन के सौ वसंत देख चुके गांव के रामबालक दास बताते हैं कि जब से होश संभाला है, तबसे इसी परंपरा से होली कर रहे हैं। बचपन में पिताजी होली के दिन अपने साथ बाबा भोलेनाथ के मंदिर में लेकर जाते थे।
परदेस से आते हैं होली मनाने
गांव में सात्विक होली का इतना महत्व है कि परदेस में बस चुके गांव के लोग भी होली यहीं आकर मनाने का प्रयास करते हैं। गांव के मुकेश यादव ने बताया कि दूसरे प्रदेश में नौकरीपेशा तथा व्यवसाय से जुड़े लोग पर्व पर गांव जरूर आते हैं। सुबह लोग रंग-गुलाल खेलने के बाद दोपहर बाद स्नान कर नए वस्त्र पहनकर बाबा भुअर नाथ के मंदिर में माथा टेकते हैं। मंदिर में विराजमान शिवलिंग पर अबीर-गुलाल चढ़ा पूजा-अर्चना करने के बाद एक-दूसरे को गुलाल लगा होली मनाते हैं।