बिना चीरफाड़ हो रही कैंसर तक की सर्जरी, महीनों आराम व संक्रमण की आशंका बहुत कमः डा. मसिहउल्लाह
मिनिमल इनवेसिव सर्जरी को इतना सटीक बना दिया है कि चाकू गोली लगने आंत फंसने या आंत के फटने जैसी स्थितियों को छोड़ दें तो ओपेन सर्जरी की नौबत नहीं आती। ये बातें दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में डा. मसिहउल्लाह ने कहीं।
जागरण संवाददाता, पटना : सर्जरी वही लेकिन अब बड़ी चीरफाड़ और महीनों आराम या संक्रमण की आशंका बहुत कम हो गई है। अत्याधुनिक उपकरणों ने मिनिमल इनवेसिव (बिना चीरफाड़ लैप्रो या इंडोस्कोपिक सर्जरी) सर्जरी को इतना सटीक बना दिया है कि चाकू, गोली लगने, आंत फंसने या आंत के फटने जैसी स्थितियों को छोड़ दें तो ओपेन सर्जरी की नौबत नहीं आती। पेट, बवासीर, फिस्टुला, गाल ब्लाडर, किडनी स्टोन से लेकर कैंसर, हार्ट, ब्रेन तक की सर्जरी कर रोगियों को एक से दो दिन में डिस्चार्ज किया जा रहा है।
पेल्विस या पेट के डायाफ्राम के नीचे के अंगों को खोले बिना ओपेन सर्जरी की तुलना में मिनिमल इनवेसिव विधि से ज्यादा बेहतर परिणाम मिलते हैं क्योंकि पेट के अंदर गए कैमरे से हर खामी को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पेट, पेशाब की नली, आहार नाल आदि तो आजकल इसी विधि से की जाती है लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इसे इसके विशेषज्ञ डाक्टर से ही करवाना चाहिए। ये बातें दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में पारस एचएमआरआइ के लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डा. मसिहउल्लाह ने पाठकों की शंकाओं के जवाब में कहीं।
- दैनिक क्रिया के समय पाखाने के साथ कभी खून आता है और कुछ बाहर निकलता महसूस होता है।
मुकेश भारती पटना, अजय कुमार सिंह पटना, मो. इकबाल महेंद्रू
पाइल्स के लक्षण दिख रहे हैं, इसमें हमेशा खून नहीं आता है। एक, दो या छह बाद कभी-कभी या कब्ज की समस्या होने पर खून आता है। लेकिन किसी पेट रोग विशेषज्ञ से मिल लें कि यह दवा से ठीेक हो सकता है या सर्जरी करानी पड़ेगी। यदि पाइल्स अधिक बड़ा हो गया होगा तो सर्जरी ही उपचार है। लैप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी कराने पर एक दिन में रोगी को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा और ड्रेसिंग आदि की भी जरूरत नहीं होगी।
- गाल ब्लाडर में स्टोर है लेकिन अभी इसका आकार छोटा है।
मो. वसीउल्लाह खाजपुरा पटना, आयशा कदमकुआं
गाल ब्लाडर में स्टोन का आकार छोटा या बड़ा है, इसका कोई मतलब नहीं होता है। देर होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं इसलिए बेहतर होगा कि पता चलते ही इसकी सर्जरी करा लें। इसमें लैप्रोस्कोपिक विधि से गाल ब्लाडर को निकाल दिया जाता है।
- पत्नी को दो बार सिजेरियन व अपेंडिक्स सर्जरी हो चुकी है, अब नाभि के नीचे हार्निया है।
सुभाष कुमार दानापुर, राजेश रंजन एसके पुरी
हार्निया का इलाज सिर्फ सर्जरी है। यह लैप्रोस्कोपिक व ओपेन दोनों विधि से हो सकता है। डाक्टर देखकर ही परामर्श देंगे कि कौन सी विधि बेहतर होगी क्योंकि इसमें मेस लगाना होता है ताकि दोबारा यह समस्या नहीं हो।
- सात साल पहले फिस्टुला की सर्जरी कराई थी, फिर समस्या हो गई।
विजय चौधरी पटनासिटी
फिस्टुला का ट्रैक पूरा नहीं निकालने पर या घाव पूरा भरने तक सही ढंग से ड्रेसिंग नहीं कराने पर यह दोबारा हो सकता है क्योंकि इसमें बवासीर की तरह स्टेपल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा किसी दूसरे रोग के कारण भी खून आ सकता है, ऐसे में फिस्टुला और उस रोग दोनों का उपचार एक साथ कराने पर ही समस्या से निजात मिलेगी।
इन्होंने भी पूछे सवाल :
विकास सिंह डुमरांव, पुत्तू अलीनगर, महादेव प्रसाद बक्सर, सुरेश सिंह आरा, पंकज कुमार फुलवारीशरीफ आदि।
पाखाना के साथ खून तुरंत कारण व निवारण जरूरी
पाखाना के साथ खून आने का कारण बवासीर ही हो यह जरूरी नहीं है। यह फिशर, फिस्टुला से लेकर कैंसर तक हो सकता है। ऐसे में तुरंत डाक्टर से मिलकर कारण जानकर उसका निवारण कराना चाहिए।
- बवासीर या पाइल्स : मल के साथ सिर्फ खून निकले कभी-कभी तो इसका कारण बादी बवासीर हो सकती है। इसमें रोग के बहुत बढ़ने पर ही दर्द होता है अन्यथा सिर्फ खून जाता है। शुरुआत में दवा से उपचार हो सकता है। यह सर्जरी के बाद दोबारा नहीं होता है।
- फिशर : मलद्वार पर कोई कट आदि लगने से शुरुआत से ही खून निकलने के साथ दर्द होता है। ऐसा कब्ज के कारण भी हो सकता है। शुरुआत में दवा से उपचार हो सकता है। फिशर तीन से चार जगह होता है और सभी को एक साथ नहीं निकालने से यह दोबारा हो सकता है।
- फिस्टुला या भगंदर : पाखाना के रास्ते से बार-बार पस या खून निकलता है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है। देर करने पर आंत में ऊपर तक रोग फैलने पर कई बार सर्जरी के बाद यह दोबारा हो जाता है। ऐसे में शुरुआत में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी करा तबतक सही से ड्रेसिंग करानी चाहिए जबतक घाव पूरा भर नहीं जाए। इससे दोबारा होने की आशंका बहुत कम हो जाती है।
- खून निकलने का चौथा कारण मलद्वार का कैंसर भी हो सकता है। ऐसे में डाक्टर से मिलकर खून निकलने का कारण जानना जरूरी है। कैंसर में भी सर्जरी के बाद दोबारा खून आ सकता है।
मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के फायदे
- सिर्फ तीन से चार छेद कर एक या उससे अधिक अंगों की सर्जरी एक साथ की जा सकती है।
- रक्तस्राव कम होने से खून चढ़ाने की जरूरत बहुत कम या नहीं पड़ती है।
- चीरफाड़ नहीं होने से संक्रमण या ड्रेसिंग की जरूरत नहीं पड़ती है, ऐसे में रोगियों को दूसरे दिन डिस्चार्ज करने से खर्च कम आता है।
- छोटे से छेद से अंदर गया कैमरा अपेंडिक्स, अग्नाशय, छोटी व बड़ी आंत, पित्ताशय, पेट और प्रजनन अंगों की जांच एकसाथ कर लेता है।
- 2-3 मिलीमीटर या सेंटीमीटर का चीरा लगाने से न केवल घाव जल्दी भर जाता है बल्कि दाग तक नहीं दिखाई देते।
- दर्द कम होता है, एनीस्थीसिया का इस्तेमाल कम होता है। सर्जरी के दो दिन बाद रोगी दैनिक, सात दिन बाद सामान्य व 15 दिन बाद सभी कार्य कर सकता है।