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बिहार उपचुनाव: पाला बदलने वाले दिग्गजों की हैसियत का चल जायेगा पता

बिहार में उपचुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हैं। जीनतराम मांझी व अशोक चौधरी सहित कई बड़े नेताओं ने पाला बदला है। उपचुनाव में इन पाला बदलने वाले दिग्गजों की परीक्षा तय है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 04 Mar 2018 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 08:03 PM (IST)
बिहार उपचुनाव: पाला बदलने वाले दिग्गजों की हैसियत का चल जायेगा पता
बिहार उपचुनाव: पाला बदलने वाले दिग्गजों की हैसियत का चल जायेगा पता

पटना [एसए शाद]। नीतीश कुमार के राजग में शामिल होने के फैसले से नाराज जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव अभी राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं। 11 मार्च को वह प्रदेश में तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में राजग के खिलाफ प्रचार भी करेंगे। उपचुनाव के नतीजे भले ही सरकार या राजनीतिक दलों पर बहुत असर न करें, परन्तु शरद यादव के लिए अहम होंगे। उनकी सफलता उनके विपक्ष को गोलबंद करने के अभियान पर असर डालेगी।

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यह उपचुनाव पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी की जनता पर पकड़ का भी अंदाजा दे जाएगा। इन दोनों नेताओं ने इसी सप्ताह पाला बदला है। मांझी जहां एनडीए का साथ छोड़ महागठबंधन में आए हैं, वहीं चौधरी ने कांग्रेस का साथ छोड़ जदयू का दामन थामा है।

जहानाबाद सीट पर सबकी नजर

उपचुनाव में सबसे अधिक सरगर्मी जहानाबाद विधानसभा सीट पर है।  राजग की ओर से जदयू ने यहां अपना प्रत्याशी उतारा है। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी पहले इस सीट पर अपना उम्मीदवार देना चाहते थे। अब जबकि वह राजग से नाता तोड़ महागठबंधन में आ गए हैं, वह राजग प्रत्याशी को पराजित करने का हर संभव प्रयास करेंगे। इधर, जदयू को भी अंदाजा है कि यह सीट, उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपचुनाव नहीं लडऩे के फैसले पर पुनर्विचार के बाद उसने यहां अपना प्रत्याशी दिया है।

जदयू के आधार वोट पर शरद यादव का कितना प्रभाव बाकी है, जहानाबाद में इसका अंदाजा लग जाएगा। सामाजिक समीकरण का तकाजा है कि उन्हें यहां अतिपिछड़ों एवं दलितों पर अधिक फोकस करना होगा। समाज के इस वर्ग को रिझाने में जीतन राम मांझी भी जुटेंगे।

कांग्रेस का साथ छोडऩे से दो दिन पहले ही अशोक चौधरी ने भभुआ में कांग्रेस प्रत्याशी के चयन पर कड़ा एतराज जताया था। नतीजे में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह से उनकी तकरार भी हुई थी। भभुआ में अगड़ी जाति के मतदाताओं की अधिक संख्या के मद्देनजर अशोक चौधरी के लिए वहां बहुत कुछ करने को नहीं है। लेकिन जहानाबाद और अररिया में राजग को उनसे अपेक्षा रहेगी। राजग चाहेगा कि जीतन राम मांझी की कमी उनके आ जाने से पूरी हो जाए।

अररिया में मांझी की अग्निपरीक्षा

अररिया लोकसभा सीट पर मुसहर मतदाताओं की बड़ी संख्या के मद्देनजर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने गया के पूर्व सांसद रामजी मांझी को वहां कैंप करने के आदेश दे रखे हैं। जाहिर है जीतन राम मांझी के महागठबंधन में आ जाने के बाद अब राजद अररिया में मुसहर मतदाताओं तक पहुंचने के लिए अब जीतन राम मांझी को जरिया बनाएगा।


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