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Buxar Assembly Seat 2020: हर बार चुनाव में मुद्दा बनता है बगेन लाइन नहर मार्ग, कीचड़ से गुजरना मजबूरी

बक्सर के विधानसभा क्षेत्रों में मुद्दे अलग-अलग क्षेत्र हैं। नावानगर प्रखंड क्षेत्र के सिकरिया लाइन नहर मार्ग से बगेन मोड़ तथा बगेन लाइन नहर मार्ग पर पनियारी से सारा होते हुए बगेन जाने वाली मुख्य नहर भी वोट मांगने का जरिया बन गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 11:37 AM (IST)
Buxar Assembly Seat 2020: हर बार चुनाव में मुद्दा बनता है बगेन लाइन नहर मार्ग, कीचड़ से गुजरना मजबूरी
नावानगर प्रखंड क्षेत्र के सिकरिया लाइन नहर मार्ग।
बक्सर, जेएनएन। नावानगर प्रखंड क्षेत्र के सिकरिया लाइन नहर मार्ग से बगेन मोड़ तथा बगेन लाइन नहर मार्ग पर पनियारी से सारा होते हुए बगेन जाने वाली मुख्य नहर मार्ग पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। जगह-जगह गड्ढे व नहर के पानी से सड़क का कटाव हो जाने से यहां लोगों को कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, कच्ची सड़क पर पानी जमा हो जाने से फिसलकर गिरना व जख्मी होना आम बात है। 

बरसात के दिनों में सबसे अधिक परेशानी

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ज्ञात हो कि सारा व पनियारी के लोगों को आजादी के बाद से आजतक इस मार्ग पर पक्की सड़क नसीब नही हुई। सबसे ज्यादा परेशानी तो बरसात के दिनों में होती है। बरसात होने के बाद इस कच्ची सड़क पर पूरी तरह से आवागमन ठप हो जाता है। किसी की तबीयत खराब होने पर बरसात में यहां के लोग आज भी खाट का सहारा लेते हैं। हद तो यह कि दो से चार पहिया वाहन की व्यवस्था रखने वालों को भी बारिश होने पर पैदल कीचड़ से गुजरना पड़ता है। वहीं, बरसात में यहां के लोगों का संपर्क प्रखंड मुख्यालय से कट जाता है। जिसके कारण यहां के लोग सरकारी लाभ लेने से भी वंचित रह जाते है।
 
ग्रामीण करते हैं वोट बहिष्कार तो नेता बना देते हैं मुद्दा


ग्रामीण परेशानी को देखते हुए चुनाव में वोट बहिष्कार करने की तैयारी करते हैं तो नेता चुनाव जीतने के लिए इस मार्ग को पक्कीकरण का अपना पहला मुद्दा बता भोली भाली जनता को बहला फुसलाकर वोट ले लेते हैं और चुनाव जीतने के बाद बाद सब भूल जाते हैं। क्षेत्र के लोगों की माने तो यह मार्ग नावानगर व ब्रह्मपुर प्रखंड के साथ ही डुमरांव व ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र को जोड़ता है। बावजूद आज तक न तो किसी अधिकारी ने इस ओर ध्यान दिया और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने। यह बात और है कि इस कच्ची सड़क पर चुनाव के दिनों में राजनीतिक पैंतरेबाजी खूब होती है। 
समय पर इलाज के अभाव में कइयों ने गंवाई है जान 


बरसात के दिनों में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो लोगों के पास दो से चार पहिया वाहनों के रहते हुए भी खाट का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में समय पर इलाज व दवा नहीं मिलने से कइयों को असमय ही काल के गाल में समाना पड़ जाता है। ऐसी परिस्थिति में अब तक कई लोग जान भी गंवा चुके हैं। 
खराब सड़क से किसान भी होते हैं प्रभावित 


यह क्षेत्र खेती के लिए काफी बेहतर माना जाता है। फसल अच्छी होने के बावजूद सड़क मार्ग अच्छा नहीं होने से बाजार से संपर्क भंग रहता है। लोग अपनी मेहनत की कमाई को समय से मंडियों तक नहीं पहुंचा पाते हैं। वहीं, वाहन चालक सड़क खराब होने का हवाला दे मनमाना भाड़ा वसूलते हैं। यूं कहें कि इस मुख्य मार्ग का पक्कीकरण नहीं होने से इस क्षेत्र का विकास पूरी तरह प्रभावित है। 

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