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बिहार बजट से कारोबारी मायूस, कहा- उद्योग की हिस्सेदारी ऊंट में मुंह में जीरा

बिहार बजट में उद्योग क्षेत्र के लिए हुए 622.04 करोड़ रुपये के आवंटन को लेकर कारोबारी और व्यवसायी बेहद मायूस हैं। कुल बजट में उद्योग हिस्सेदारी 0.035 फीसद है, जो हास्यास्पद है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 28 Feb 2018 09:51 AM (IST)Updated: Wed, 28 Feb 2018 10:24 PM (IST)
बिहार बजट से कारोबारी मायूस, कहा- उद्योग की हिस्सेदारी ऊंट में मुंह में जीरा
बिहार बजट से कारोबारी मायूस, कहा- उद्योग की हिस्सेदारी ऊंट में मुंह में जीरा

पटना [दिलीप ओझा]। एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के बिहार बजट में उद्योग क्षेत्र के लिए हुए 622.04  करोड़ रुपये के आवंटन को लेकर कारोबारी और व्यवसायी बेहद मायूस हैं। उद्योग संघों ने कहा है कि पिछले साल के 843.26 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में यह कम है। इससे बिहार के औद्योगिकीकरण की गति आगे नहीं बढ़ पाएगी। कुल बजट में उद्योग हिस्सेदारी 0.035 फीसद है, जो हास्यास्पद है।

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बेपटरी ही रहेगा उद्योग क्षेत्र

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल ही में जापान गए थे। जापान के कुल बजट में उद्योग की हिस्सेदारी 15 फीसद है। इससे पूर्व वे चाइना गए थे। वहां कुल बजट में उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी 11 फीसद है। बिहार के कुल बजट में उद्योग की हिस्सेदारी एक फीसद भी नहीं है। सिंह ने कहा कि इतना कम आवंटन करने से तो अच्छा है कि उद्योग विभाग को बंद कर दिया जाए और एंटरप्रेन्योर को खुद के बूते बढऩे दिया जाए।

कैसे होगा सब्जी-मक्का का वैल्यू एडिशन

सत्यजीत सिंह ने कहा कि बिहार कृषि प्रधान राज्य है। सब्जी और मक्का के उत्पादन में अव्वल है। लेकिन इनका वैल्यू एडिशन किए बगैर फायदा नहीं मिलेगा। वैल्यू एडिशन उद्योग जगत ही करेगा। अगर बजट में आवंटन ही नहीं होगा यह काम कैसे होगा?

इन्सेंटिव कहां से दिया जाएगा

उन्होंने कहा कि हाल ही उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने कहा कि राज्य में 5000 करोड़ रुपये का निवेश आया है। अगर राज्य सरकार के नियमानुसार इस राशि पर इन्सेंटिव दिया जाए तो यह राशि 6000 करोड़ रुपये होगी। बजट में आवंटन मात्र 622 करोड़ रुपये है। सवाल उठाया कि कैसे इन्सेंटिव देगी सरकार?

कैसे चलेगी बियाडा की लैंडबैंक नीति

सत्यजीत सिंह ने कहा कि तीन माह पहले बियाडा की ओर से जमीन खरीदने की नीति बनाई गई। 622 करोड़ के बजट प्रावधान से क्या 100 एकड़ जमीन की खरीद हो सकेगी? अगर हो भी गई तो औद्योगिकीकरण कैसे होगा?

बड़े सवाल

-एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के बजट में उद्योग की हिस्सेदारी मात्र 0.035 फीसद ही क्यों?

-इतना कम आवंटन में उद्योग जगत के लिए 100 एकड़ जमीन की खरीदारी भी मुश्किल, औद्योगिकीकरण कहां से होगा?

-शिक्षा विभाग को 32 हजार करोड़ रुपये, लेबर डिपार्टमेंट को 750 करोड़ रुपये तो उद्योग को मात्र 622 करोड़ ही क्यों?


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