पटना में जिंदा रहेंगी सौरभ की आंखें, कोलकाता में धड़केगा दिल, लिवर होगा दिल्ली में
19 वर्षीय लड़के को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया जिसके बाद उसके माता-पिता ने अपने बेटे का अंगदान कर दिया। उसकी आंखों, किडनी और लिवर को दूसरे में ट्रांसप्लांट कर दिया गया।
पटना [जेएनएन]। नालंदा का 19 वर्षीय सौरभ प्रतीक अब इस दुनिया में नहीं रहा मगर उसके अंग 'जिंदा' रहेंगे। उसकी आंखों से कोई पटना देखेगा। उसका दिल कोलकाता में धड़केगा तो लिवर दिल्ली में किसी को नई जिंदगी देगा। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में ब्रेन डेड सौरभ के शरीर से सोमवार को अंग लिए गए। संस्थान में पहली बार अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया हुई।
22 को इमरजेंसी में हुआ था भर्ती
नालंदा जिले के हिलसा गजेंद्र बिगहा निवासी सौरभ प्रतीक को शनिवार को दोपहर भर्ती किया गया था। छत पर गिरने से उसके सिर में रक्त जम गया था। आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि कंकड़बाग स्थित निजी नर्सिंग होम द्वारा हाथ खड़े कर देने पर परिजन उसे अस्पताल लाए।
रविवार की दोपहर एक बजे सौरभ को ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद शाम सात बजे भी ब्रेन डेड घोषित किया गया। इस बीच परिजनों से अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी कराई गई। सौरभ की मां अंग देने के लिए राजी हो गईं। फिर नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट संस्थान (नोटो) और क्षेत्रीय ऑर्गन ट्रांसप्लांट संस्थान (रोटो) से संपर्क किया गया।
आंखें, लिवर और दिल निकाले गए
सौरभ के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उसकी दोनों आंखें, लिवर और दिल को डॉक्टरों ने अंग प्रत्यारोपण के लिए निकाल लिया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलयरी साइंस (आइएलबीएस) नई दिल्ली की टीम सोमवार की सुबह नौ बजे आइजीआइएमएस पहुंच गई।
कोलकाता की टीम 10:30 बजे पहुंची। 11:25 बजे से ऑपरेशन शुरू हुआ। 3:30 बजे कोलकाता से आई रवींद्र नाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्डियक साइंसेज की टीम डॉ. नीति के नेतृत्व में दिल लेकर स्पाइस जेट की प्लेन से रवाना हो गई।
यहां रात में ही कोलकाता के मरीज का हृदय प्रत्यारोपण किया जाना है। आइएलबीएस के डॉक्टरों की टीम भी डॉ. पीयूष सिन्हा के नेतृत्व में चार बजे लिवर को जेट एयरवेज के प्लेन से नई दिल्ली ले गई। यहां देर शाम ही प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
चार लोगों को मिलेगी रोशनी
आइजीआइएसएस के निदेशक डॉ. एनआर विश्वास ने बताया कि सौरभ की आंखें अस्पताल के आई बैंक में सुरक्षित रख ली गई हैं। मंगलवार को चार जरूरतमंद मरीजों का क्रॉनिया ट्रांसप्लांट होगा।
आइजीआइएमएस में ही लिवर प्रत्यारोपण की कवायद की गई थी, लेकिन यहां के प्रत्यारोपित होने वाले मरीज को आइएलबीएस के टीम द्वारा अनफिट घोषित कर दिया गया इसलिए इसे दूसरे मरीज को डोनेट के लिए दिल्ली भेज दिया गया। किडनी भी निकाली जानी थी, मगर क्रॉस मैच नहीं होने के कारण यह अंग नहीं लिया गया।
मां बोली, मैं भी दूसरे के अंग के कारण जिंदा हूं
सौरभ प्रतीक के ब्रेन डेड होने के बाद सबसे पहले उसकी मां सरिता सिन्हा बेटे के अंगदान के लिए आगे आई। निजी अस्पताल द्वारा बेटे का इलाज संभव न होने की बात पर मां ने आइजीआइएमएस से संपर्क किया। यहां पहले बेटे को इमरजेंसी में भर्ती कराया। उसे बचाने की कोशिश नाकाम होने पर मां ने बेटे के अंगदान की इच्छा जताई। मां ने रोते हुए कहा कि मैं भी दूसरे से मिली किडनी पर जिंदा हूं। मेरा बेटा भी दूसरे के शरीर में जिंदा रहकर किसी का सहारा बनेगा।
कहा-उपमुख्यमंत्री, सुशील मोदी ने
ब्रेन डेड मरीज से ऑर्गन रिट्रिवल कराना आइजीआइएमएस और स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी सफलता है। अब तक यहां 40 किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक हो चुके हैं। लिवर प्रत्यारोपण को लेकर कवायद जारी है।
- सुशील कुमार मोदी, उप मुख्यमंत्री
कहा-स्वास्थ्यमंत्री, मंगल पांडेय ने
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आइजीआइएमएस ने बड़ा कदम बढ़ाया है। सूबे में पहली बार ब्रेन डेड मरीज से ऑर्गन रिट्रिवल किया गया। स्वास्थ्य सेवा में बिहार आगे बढ़ रहा है।
- मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री