'पारो' ने कही ना, 'देवदास' ने छोड़ दी दुनिया
बाली उम्र कहें या नादानी, पढ़ाई की उम्र में प्यार की परिभाषा गढऩे वाले 'देवदास' ने महज इसलिए दुनिया छोड़ दी क्योंकि उसकी 'पारो' ने आने से इंकार कर दिया था।
पटना। बाली उम्र कहें या नादानी, पढ़ाई की उम्र में प्यार की परिभाषा गढऩे वाले 'देवदास' ने महज इसलिए दुनिया छोड़ दी क्योंकि उसकी 'पारो' ने आने से इंकार कर दिया था। दीघा थाना क्षेत्र के कुर्जी कोठिया विकास नगर निवासी दसवीं के छात्र विकास कुमार उर्फ भोला (16) ने शुक्रवार भोर फांसी लगा आत्महत्या कर ली। उसकी जेब से सुसाइड नोट बरामद हुआ है। जांच के दौरान थाना पुलिस को पता चला कि उसे किसी लड़की से प्यार था। दोस्तों से पता चला कि उसने लड़की को बुलाया था, पर वह नहीं आई, इससे नाराज होकर यह कदम उठाया है। घर वालों को पता चलने पर डांट भी पड़ी थी। सूचना मिलने पर थानेदार कामाख्या सिंह पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस ने यूडी केस दर्ज किया है। डीएसपी ममता कल्याणी थाना पहुंची और मामले की जानकारी ली।
विकास नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त रामचन्द्र पासवान उर्फ कृष्णा पासवान के तीसरे पुत्र विकास ने इस बार पालीगंज के एक स्कूल से मैट्रिक का फॉर्म भरा था। विकास की मां लक्ष्मी देवी उर्फ मुन्नी ने पुलिस को बताया कि उसका सबसे छोटा बेटा विकास रात में उसके साथ सो रहा था। सुबह लगभग 4.45 बजे वह बाथरूम के लिए उठी, तो वह बिस्तर पर था। लौटी तब देखा कि विकास बगल वाले कमरे में चला गया है और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया है।
दरवाजे को धक्का दिया तो बेटा झूलते मिला
सुबह जब दरवाजा नहीं खुला तो एक सहयोगी की मदद से दरवाजे को धक्का दिया। अंदर लगी सिटकनी खुल गई तो देखा उसने पंखे से फांसी लगा ली है। रजाई को मोड़कर ऊंचा करने के बाद एक स्टोल का फंदा बना विकास झूल गया।
सुसाइड नोट में दोस्तों को शुभकामना
उसकी जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। जिसमें लिखा है कि उसने अपनी जान अपनी मर्जी से दे रहा है। मेरे किसी दोस्त को तकलीफ न दी जाए। मैं मरने का कारण बताना नहीं चाहता। अंत में अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हुए दोस्तों को क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामना दी है।
घर वालों को स्कूल की नहीं है जानकारी
जांच में जुटी पुलिस को घर वालों ने बताया कि विकास ने किस स्कूल से फॉर्म भरा है, वह लोग नहीं जानते हैं।
इन्होंने बताया -
मनोविज्ञानी डॉ.विद्या रानी ने बताया कि ऐसे लोगों को असली दुनिया का कोई ज्ञान नहीं होता है। अपने इमैजिनेशन में जीते हैं, इन्हें बस मनचाही चीज चाहिए होती है। चाहे कोई सामान हो या फिर लड़की। ये अपनी दुनिया किसी सिनेमा की तरह समझते हैं। ये कभी किसी का भला नहीं चाहते हैं। इनके लिए सबसे बड़ी होती है इनकी जिद। अगर मां बाप इनकी परवरिश के समय बताएं कि असली दुनिया क्या है और दूसरों के फैसले की इज्जत करना कितना जरूरी है, तो कभी इस तरह का कदम नहीं उठाएंगे।