मंदी को ठेंगा दिखा रहा पुस्तक प्रेमियों का उत्साह
तीसरे दिन रविवार को पटना पुस्तक मेला अपने स्वाभाविक स्वरूप में दिखा।
पटना। तीसरे दिन रविवार को पटना पुस्तक मेला अपने स्वाभाविक स्वरूप में दिखा। पुस्तक प्रेमियों की भीड़ इसकी पुष्टि कर रही थी कि बिहार में पाठकीयता का संकट नहीं है। लोग अपने खर्चे में कटौती करके भी किताब खरीद रहे हैं। हर तबके की उपस्थिति मंदी को ठेंगा दिखा रही थी। युवाओं में तो खासा उत्साह था। युवा पुस्तक प्रेमियों का जमवाड़ा और कहीं-कहीं बैठकी भी देखने को मिली। कहीं नई किताबों को खोजती नजर थी तो कहीं अपने पसंदीदा लेखक की किताब को पढ़ने की चाह। क्विज प्रतियोगिता का आयोजन :
सीआरडी पटना पुस्तक मेले में रविवार को तुलसी मुक्ताकाश मंच पर आईकैन द्वारा दसवीं और बारहवीं के बच्चों के बीच क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में कुल 6 स्कूलों के 12 बच्चों ने भाग लिया था। जिसमें डीपीएस, नॉट्रेडेम एकेडमी, आरपीएस स्कूल, लिटेरा वैली, डॉन बॉस्को और कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्रों ने भाग लिया था। इसमें बच्चों से साहित्य, विज्ञान और देश-विदेश से जुड़े कई सारे सवाल पूछे गए। डीपीएस की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर नॉट्रेडेम एकेडमी और लिटेरा वैली स्कूल रहे। 'एक टीचर की डायरी' का लोकार्पण :
पुस्तक मेले में भावना शेखर द्वारा लिखित पुस्तक 'एक टीचर की डायरी' का लोकार्पण पद्यश्री डॉ. उषा किरण खान ने किया। इस मौके पर कहानीकार अवधेश प्रीत ने कहा कि इसकिताब में बहुत ही सरल भाषा में स्कूल के अनुभवों को साझा किया गया है। लेखिका भावना शेखर ने कहा कि शिक्षक और छात्र के संबंध को वह सालों महसूस की हैं। मंच पर सिस्टर मेरी जेसी प्राचार्या नॉट्रेडेम एकेडमी, डॉ. अरुणोदय और प्रो. एसपी शाही मौजूद थे। नुक्कड़ नाटक में दिखा पूंजीवाद और निजीकरण पर कटाक्ष :
अभियान सांस्कृतिक मंच, पटना द्वारा 'ये दौड़ है किसकी' का प्रदर्शन किया गया। निर्देशन गौतम गुलाल द्वारा किया गया। इस नाटक द्वारा देश में फैल रही पूंजीवादी व्यवस्था और निजीकरण पर कटाक्ष करते हुए देश की अर्थव्यवस्था पर भी व्यंग्य किया गया है। इस नाटक को सफल बनाने में आनंद प्रवीण, मो. शहजाद राजा, विवेक मिश्रा, वंदना सिंह, अनीश चौबे के साथ कई लोग मौजूद थे। युवा कवियों ने सुनाई अपनी रचनाएं : रविवार को मेले में युवा कवियों द्वारा काव्य पाठ का आयोजन किया गया था। जिसमें कवि उत्कर्ष ने तीन भागों में अपनी कविता 'शहर के लिए' शीर्षक से सुनाई। उसके बाद सीमा संगसार ने अपनी कविताएं 'मेरा पहला प्यार' और 'शहर में जिंदा होना' सुनाई। कई युवा कवियों ने भी अपनी कविता से सबकी तालियां बटोरी। 21वीं सर्दी में स्त्रियों को नहीं मिला है सही स्थान :
जनसंवाद कार्यक्रम के अंतर्गत 'स्त्री नेतृत्व की देहबाधा' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें जेपी ने कहा कि 21वीं सर्दी में भी स्त्रियों को उचित स्थान नहीं मिला है। वहीं सुधा सिंह ने कहा कि समाज की संरचना ने ही स्त्री की देह को बाधा बना दिया है, जबकि हमारे यहां देह नहीं आत्मा का महत्व है। निवेदिता झा ने कहा कि पिछले दिनों मीटू के आंदोलन ने कई नारियों का दर्द उजागर किया। योगिता यादव ने कहा कि देह बाधा दृष्टिगोचर होने में दृष्टिकोण का दोष है। यह समस्या अपने परिवार से शुरू होती है। आज का कार्यक्रम :
कैंपस के तहत : कथावाचन का कार्यक्रम
नुक्कड़ नाटक
पुस्तक का विमोचन : सैदपुर से बेऊर तक
जनसंवाद के तहत : ट्रांसजेंडर साहित्य और चुनौतियां
जनसंवाद के तहत : तपती धरती घटता पानी
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा उन्नयन शिक्षा द्वारा माहवारी स्वास्थ्य प्रबंधन
पुस्तक लोकार्पण : पटना खोया हुआ शहर।