बिहार: यहां अनचाहे गर्भ की तय होती थी बड़ी कीमत, बालिका गृहकांड से कनेक्शन तो नहीं!
एक अस्पताल के काले कारनामे का पर्दाफाश हुआ है। यहां बच्चा चोरी का काला धंधा चलता था उसकी ट्रेनिंग दी जाती थी। अनचाहे गर्भ की बड़ी कीमत दी जाती थी। इससे बड़ा खुलासा भी हो सकता है।
जागरण टीम, पटना। बिहार में एक अस्पताल के काले कारनामे के उजागर होने से सनसनी मची हुई है। इस अस्पताल में चल रहे गोरखधंधे और अस्पताल के संचालक की करतूत को जानकर पुलिस भी हैरान है। एक झोलाछाप डॉक्टर, जो फर्जीवाड़ा कर ये अस्पताल चलाता था और यहां नर्सिंग की आड़ में बच्चा चोरी की ट्रेनिंग दी जाती थी जिसके तार अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से जुड़े थे। अस्पताल के संचालक ने एक नहीं, तीन शादियां की थीं और उसकी दो पत्नियां भी उसके गोरखधंधे में उसका पूरा साथ दे रही थीं।
भागलपुर चाइल्ड लाइन की टीम और रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मंगलवार को बच्चा चोरी कर बेचने वाली एक लेडी डॉन को साथी के साथ गिरफ्तार किया। दोनों से पूछताछ के बाद पूरा मामला सामने आया। बच्चा चोरी के सरगना विजय चौधरी का कनेक्शन कई सफेदपोशों से है। मुजफ्फरपुर के पॉश इलाके में अस्पताल होने के कारण हर दिन वहां बड़े-बड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था।
बच्चों को खरीदने-बेचने का धंधा करने वाला विजय चौधरी महिलाओं और युवतियों को अनचाहे गर्भ की कीमत भी देता था। ये महिलाएं गर्भपात कराने के लिए मुजफ्फरपुर स्थित उसके मां भगवती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आती थीं।
अस्पताल का निदेशक विजय उसे गर्भ नहीं गिराने की सलाह देकर अस्पताल में भर्ती करता था। बच्चा जन्म देने की एवज में प्रलोभन भी देता था। नौ महीना पूरा होने पर नॉर्मल या ऑपरेशन कराकर सुरक्षित प्रसव कराता था। इसके बाद बच्चे को रख लेता था। बाद में उसे बेच देता था।
इतना ही नहीं, अनचाहे गर्भ वाली महिलाओं को जाल में फंसाने के लिए उसने इस धंधे में युवतियों को भी शामिल कर रखा था। इसका नेटवर्क एक चेन की तरह था, जिसमें एक बार जो युवती लिप्त हो जाती थी वही आस-पड़ोस की लड़कियों को भी पढ़ाई और नौकरी के नाम पर विजय के पास लेकर पहुंचती थी।
तीन से चार महीने एक गर्भवती को रखता था
मंगलवार को भागलपुर स्टेशन पर बच्चे के साथ पकड़ी गई आरोपित सारिका देवी ने पुलिस को बताया कि ज्यादातर गर्भपात या गर्भ नहीं रखने वाली युवतियों को तीन से चार महीने तक अस्पताल में रखता था। महिला के साथ एक स्वजन का भी खर्च उठाता था। मां भगवती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पांच वर्षों में ज्यादातर प्रसव इसी तरह के हुए। पुलिस सूत्रों की मानें तो बच्चे की खरीद-बिक्री के लिए ही यह अस्पताल खोला गया था।
छात्राओं पर डालता था दबाव
बच्चों का धंधेबाज विजय चौधरी ग्राहक खोजने के लिए नर्सिंग छात्राओं पर दबाव डालता था। इसके लिए बकायदा छात्राओं को ट्रेनिंग दी जाती थी। इन छात्राओं पर बच्चा खरीदने वाले ग्राहकों को लाने और बच्चा चोरी करने की जिम्मेदारी होती थी।
आपराधिक धारावाहिक देखकर बदली सोच
बच्चा चोरी की दूसरी आरोपित कल्पना कुमारी ने कहा कि वह टीवी पर आपराधिक धारावाहिक देखकर इस धंधे में आई। उसने सिर्फ मुंगेर और उसके आसपास की आधा दर्जन लड़कियों का नर्सिंग होम में दाखिला कराया है।
अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजात और चोरी कर लाए गए बच्चों की देखभाल के लिए विजय ने अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ भी रखा था। वहां शिशु गहन जांच चिकित्सक केंद्र (एसएनसीयू) भी है। बिहार के अलावा उसके संपर्क दिल्ली और नेपाल तक में हैं।
बालिकागृह कांड से भी जुड़ सकता है कनेक्शन
इस मामले की जांच कर रही पुलिस दूसरा कनेक्शन भी खंगाल रही है। मुजफ्फरपुर पुलिस बालिका रिमांड होम से भी इस घटना को जोड़ रही है। फिलहाल इस संबंध में पुलिस कुछ बोल नहीं रही है।
आरपीएफ की पूरी टीम होगी पुरस्कृत
बच्चा चोर गिरोह के बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश करने वाली आरपीएफ की टीम को पुरस्कृत किया जाएगा। आरपीएफ और चाइल्ड लाइन हेल्प टीम की मदद से यह मामला उजागर हुआ है। आरपीएफ ने सजगता नहीं दिखाई होती तो इतना बड़ा रैकेट पकड़ में नहीं आता।