भाजपा ने नीतीश से एक नेता का नाम लेकर पूछा, प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान जो बगल में खड़े थे वो कहां से आए?
विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजय सिन्हा ने कहा कि पूर्व में नीतीश दर्जनों विधायकों को लोजपा से बसपा कांग्रेस राजद से तोड़ा तो क्या वह सब पुण्य का काम था ? नीतीश कुमार अब अपने हिसाब से राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण करने लगे हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना : विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजय सिन्हा ने मणिपुर में जदयू के पांच विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जवाब पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा 'सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास और सबका प्रयास' तथा अंत्योदय के सिद्धांत पर चलने वाली राष्ट्रीय पार्टी है। वह सर्वस्पर्शी और समावेशी विकास की पक्षधर है। भाजपा के इन सिद्धांतों से प्रभावित होकर यदि मणिपुर में जदयू के पांच विधायकों ने भाजपा में शामिल हुए हैं, तो यह लोकतंत्र का हनन कैसे हुआ ?
नीतीश कहते हैं किसी पार्टी के जीतने वाले लोगों को अपनी तरफ लेना लोकतंत्र का हनन है, तो वह खुद को और लालू यादव को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। शायद उन्हें भूलने की आदत हो गई है, क्योंकि शनिवार की पीसी में नीतीश कुमार के बगल में बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी खड़े थे, तो वो कहां से आए हैं? यह भी उन्हें हमें याद दिलाना होगा। पूर्व में उन्होंने दर्जनों विधायकों को लोजपा से, बसपा, कांग्रेस, राजद से तोड़ा तो क्या वह सब पुण्य का काम था ? दरअसल, प्रधानमंत्री बनने की लालसा में लगता है कि नीतीश कुमार अब अपने हिसाब से राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण करने लगे हैं जो इनके थके-हारे दोहरे चरित्र की ओर इंगित करता है। नीतीश कुमार का जनाधार लगातार घट रहा है। 2010 में वे 115 पर थे, 2015 में 70 पर आए और 2020 में 43 पर आ गए। 2025 में यह आंकड़ा इकाई में रह जाएगा। बिहार की जनता को न उन पर विश्वास रहा और ना जनप्रतिनिधियों को।
यह जदयू की घटती लोकप्रियता का प्रमाण : तारकिशोर
पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने शनिवार को जारी बयान में मणिपुर में जदयू के पांच विधायकों का भाजपा दामन थाम लिया है। यह जदयू के शीर्ष नेतृत्व की नीति से पार्टी की लोकप्रियता के घटने का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के तकरीबन 72 प्रतिशत मंत्री दागी हों, उनके साथ सरकार बना कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सुशासन की साख पर धब्बा लगा दिया है। उनकी पार्टी के अंदर प्रगतिशील विचार के विधायक भी जदयू की वर्तमान नीतियों से क्षुब्ध हैं। उसी का प्रमाण है कि मणिपुर में पांच विधायक भी भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि जदयू अपनी साख, संवेदनशीलता और विश्वसनीयता खोता जा रहा है। जल्द ही बिहार भी मणिपुर के पथ पर अग्रसर होगा।