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कांग्रेस शासित राज्यों में कोरोना मृत्यु के आंकड़े डरावने, बिहार से ज्यादा बुरा हाल महाराष्ट्र का: सुशील मोदी

सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जो लोग बिहार में कोरोना संक्रमण से बचाव और टीकाकरण अभियान पर बेतुके बयान दे रहे हैं वे बताएं कि कांग्रेस शासित राज्यों में मौत के आंकड़े इतने डरावने क्यों हैं?

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 04:55 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 04:55 PM (IST)
कांग्रेस शासित राज्यों में कोरोना मृत्यु के आंकड़े डरावने, बिहार से ज्यादा बुरा हाल महाराष्ट्र का: सुशील मोदी
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना : राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जो लोग बिहार में कोरोना संक्रमण से बचाव और टीकाकरण अभियान पर बेतुके बयान दे रहे हैं, वे बताएं कि कांग्रेस शासित राज्यों में मौत के आंकड़े इतने डरावने क्यों हैं? बिहार से कम आबादी वाले संपन्न राज्य पंजाब में कोरोना से 16,541 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि दूसरे विकसित राज्य महाराष्ट्र 1.39 लाख नागरिकों को जान गंवानी पड़ी। बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने मिशन मोड में काम किया इसलिए केवल 9,661 संक्रमित ही नहीं बचाए जा सके। उन्होंने कहा विपक्ष केवल  स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल गिराने में लगा है। 

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मोदी ने कहा कोरोना संक्रमण से निपटने में जिस बड़े पैमाने और तेज रफ्तार से भारत में काम हुआ, उसकी तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक तक कर रहे हैं। इसके लिए विपक्षी दलों को डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सराहना करनी चाहिए। भारत में अब तक 97.7 करोड़ टीके लगाये जा चुके हैं और जल्द ही 100 करोड़ डोज लगाने का रिकार्ड बनने वाला है। 

कश्मीर में दो बिहारी मजदूरों की हत्या की सुशील मोदी ने निंदा की

राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कश्मीर में पाक आतंकियों द्वारा दो बिहारी मजदूरों की गोली मारकर हत्या की कड़े शब्दों में  निंदा की है। घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पाक आतंकियों की यह  कायराना हरकत है जिसे देश कभी माफ नहीं करेगा। सरकार इसका अवश्य बदला लेगी। मौत के घाट उतार गए दोनों मृतक बिहार के अररिया के जिले के निवासी थे और वहां मजदूरी का काम करते थे। इससे पूर्व भी बांका और भागलपुर के दो गरीबों को पाक समर्थक आतंकी मौत के घाट उतार चुके हैं। पाकिस्तान की शह पर हिंसा की घटनाओं में बिहारियों को निशाने पर लेना किसी खास मकसद की ओर संकेत करता है। इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाये कम है।


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