बिहार NDA में सबकुछ ठीक नहीं, BJP ने दिये संकेत; प्रदेश अध्यक्ष ने लिखी 'मन की बात'
दिवाली की पूर्व संध्या पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने लिखा ब्लॉग। बिहार की कानून व्यवस्था पर जताया अफसोस। कई पुरानी चीजाें की दिलाई याद।
पटना, राज्य ब्यूरो। दिवाली (Diwali) की पूर्व संध्या पर बिहार भाजपा (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. संजय जायसवाल (Dr Sanjay Jaiswal) ने ब्लॉग (Blog) लिखकर उपचुनाव परिणामों पर आत्ममंथन की नसीहत दी है। उनका मानना है कि उपचुनाव हमें अपनी कार्यशैली के बारे में पुन: आकलन करने की जरूरत बताता है। राजग (NDA) के साथ सबकुछ ठीक नहीं होने का संकेत देते हुए जायसवाल ने कई पुरानी बातें इस अंदाज में याद दिलाईं कि वैसा होता तो हम जरूर जीतते।
2010 तक बिहार की कानून व्यवस्था थी सर्वश्रेष्ठ
संजय जायसवाल ने पुराने दिनों को याद करते हुए ब्लॉग में लिखा है कि 2010 के विधानसभा चुनावों में हम तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत पाने में सफल हुए थे। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण था बिहार की कानून-व्यवस्था में हुआ अभूतपूर्व सुधार और भाजपा-जदयू के कार्यकर्ताओं के बीच का अद्भुत समन्वय। उस समय बिहार की कानून-व्यवस्था पूरे भारत में सर्वश्रेष्ठ मानी जा रही थी। दूसरा भाजपा-जदयू कार्यकर्ताओं के परस्पर सहयोग से प्रखंड तक में लोगों के काम आसानी से हो जाते थे। आज हमें इन दोनों मसलों पर आत्म विवेचना की जरूरत है।
दरौंदा में भाजपा के साथ जदयू में भी था विद्रोह
जायसवाल ने लिखा है कि इस उपचुनाव की चर्चा दरौंदा की जिक्र किए बगैर अधूरी है। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि दरौंदा में विद्रोह भाजपा कार्यकर्ताओं का नहीं था, बल्कि भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं का सम्मिलित विद्रोह था। अगर हम बेलहर में समझाने में सफल नहीं होते तो वहां भी कुछ ऐसे ही होता। आज भी गोपालगंज में जदयू के पूर्व विधायक सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठते हैं। लेकिन अगर यही कार्य भाजपा के किसी पूर्व विधायक ने किया होता तो मुझ पर उसके निष्कासन का दबाव होता।
भाजपा की यह है खासियत
उन्होंने लिखा भाजपा की खासियत है हम अपनी हार से सीखते हैं। इतिहास गवाह है हर हार के बाद हम और मजबूत होकर उभरे हैं। भले ही यह मुख्य चुनाव नहीं थे और इनका सरकार की सेहत पर कोई फर्क भी नही पडऩे वाला, फिर भी इस परिणाम को ठंडे बस्ते में डालने की नहीं बल्कि क्या कमी रह गई उसकी समग्र समीक्षा करने की जरूरत है।