पटना लिटरेचर फेस्टिवलः बिहारी राष्ट्रवाद को पूरे देश ने दी है स्वीकृति
राजधानी के ज्ञान भवन में आयोजित तीसरे पटना लिटरेचर फेस्टिवल का आज अंतिम दिन है। रविवार को माइग्रेशन एंड मीडिया-मीडिया में उभरती प्रवासी छवि विषय पर वक्ताओं ने विचार दिए।
पटना, जेएनएन। पटना के ज्ञान भवन में आयोजित तीसरे पटना लिटरेचर फेस्टिवल का आज आखिरी दिन है। साहित्य के इस अद्भुत उत्सव में अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए सुबह से ही पाठकों का जुटान शुरू हो गया है। अंतिम दिन के पहले सत्र का विषय 'माइग्रेशन एंड मीडिया-मीडिया में उभरती प्रवासी छवि' रहा। इसमें वक्ता थे अनंत विजय और रामदेव धुरंधर।
चर्चा की शुरुआत करते हुए अनंत विजय ने कहा, कि 'बिहारी राष्ट्रवाद ' की धमक को पूरे देश में स्वीकृति मिली है। बिहार के छठ को कैसे भूला जा सकता है। इसकी मेजबानी हम ही तो करते हैं। छठ सूबे की सांस्कृतिक विरासत है। इस पावन त्योहार से बिहार की एक अलग पहचान बनी है।
छठ को देश भर की मीडिया में स्वीकृति मिली है। अनंत विजय ने कहा कि पंजाब जैसे कई राज्यों की अर्थ व्यवस्था को बेहतर करने में बिहार के लोगों का अहम योगदान है। रामदेव धुरंधर ने कहा कि मारीशस में भी बिहार का दबदबा कायम है। वहां की मीडिया पर अब भी फ्रांसिसियों का प्रभाव। उसके बाद भी बिहार ने अपनी एक अलग छाप छोड़ी है।