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सदन में पूछे जाने वाले सवालों का पांच दिन पहले तैयार होगा जवाब, लापरवाही बरतने वाले अधिकारी फंसेंगे

सदन में पूछे जाने वाले सवालों के जवाब तैयार करने में लापरवाह विभागों से स्पष्टीकरण मांगेगी विधानसभा स्पीकर ने किया आगाह लिखित जवाब नहीं देने वाले विभाग 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन भिजवाएं लापरवाही बरतने वालों पर होगी सख्‍ती

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 11:45 AM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 11:45 AM (IST)
सदन में पूछे जाने वाले सवालों का पांच दिन पहले तैयार होगा जवाब, लापरवाही बरतने वाले अधिकारी फंसेंगे
सदन में पूछे जाने वाले सवालों का जवाब समय पर तैयार करने का निर्देश।

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब देने में लापरवाही बरतने वाले विभागों को फिर आगाह किया है। सदन में सवाल पूछे जाने की निर्धारित तिथि से कम से कम पांच दिन पहले उनसे लिखित तौर पर जवाब मांगा है। जिन विभागों ने अभी तक ऐसा नहीं किया है, उन्हें भी 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन जवाब देने का निर्देश दिया है। इसके बाद भी यदि लापरवाही बरती गई तो बजट सत्र के बाद विधानसभा सचिवालय गहन समीक्षा करेगा और जवाब देने में कोताही बरतने वाले विभागों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

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कुछ विभागों का प्रदर्शन बेहतर तो कुछ का फिसड्डी

स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को अबतक के विभागों से आए जवाब की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि कई विभागों का अच्छा प्रदर्शन रहा है। कुछ विभागों ने तो सौ फीसद जवाब समय से भेज दिया है। मगर कुछ विभाग अभी भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। स्पीकर ने कहा है कि सरकार सदन के प्रति उत्तरदायी है। विधायकों के पूछे गए सवालों का जवाब देना सरकार का दायित्व है। समय पर जवाब देने के लिए विधानसभा सचिवालय ने विभागों को पांच भागों में बांट रखा है। सबके लिए अलग-अलग नोडल पदाधिकारी बनाए गए हैं। स्पीकर ने उन्हें विभागों से समन्वय बनाकर समय पर जवाब मंगाने का निर्देश दिया है।

जनहित के सवालों का जवाब समय पर देना जरूरी

स्पीकर ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सदस्यों को जनहित के सवाल पूछने का हक दिया गया है। सरकार का दायित्व है कि समय पर जवाब दे, ताकि जनहित के कार्य बाधित नहीं हों। लोकतंत्र की यही खूबसूरती है। लोकतंत्र में जनता ही मालिक है। सारी व्यवस्थाएं प्राथमिक तौर पर संवैधानिक प्रविधानों के तहत जनता के जीवन को सरल-सुगम करने के लिए ही बनाई गई है। इसलिए कार्यपालिका जब अपने दायित्वों का निर्वहन संवेदनशीलता के साथ करेगी तो सदन और सरकार दोनों की गरिमा बढ़ेगी। सार्थक विमर्श भी हो सकेगा ।


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