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Bihar Vidhan Sabha Election: बिहार विधानसभा चुनाव पर राय देने से क्षत्रप काट रहे कन्नी

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। प्रमुख क्षेत्रीय दलों को कोरोना काल में चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को जवाब देने में रुचि नहीं दिख रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:11 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:11 PM (IST)
Bihar Vidhan Sabha Election: बिहार विधानसभा चुनाव पर राय देने से क्षत्रप काट रहे कन्नी
Bihar Vidhan Sabha Election: बिहार विधानसभा चुनाव पर राय देने से क्षत्रप काट रहे कन्नी

पटना, जेएनएन। बिहार के प्रमुख क्षेत्रीय दलों को कोरोना काल में चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को जवाब देने में रुचि नहीं दिख रही है। आयोग ने अपने आगे के कार्यक्रम तय करने के लिए सभी निबंधित दलों से सुरक्षित चुनाव कराने के तरीके के बारे में पूछा था, किंतु प्रमुख विपक्षी दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी), ङ्क्षहदुस्तानी अवाम पार्टी (हम), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और जन अधिकार पार्टी (जाप) ने अभी तक आयोग के पत्र का जवाब नहीं दिया है।

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दरअसल, विपक्षी कुनबे में शामिल दलों के नुमाइंदों का तर्क है कि आयोग के पत्र लिखने से पहले ही सुझाव दे चुके हैं। अब पत्र का जवाब देने का औचित्य नहीं है। इससे उलट सत्ता पक्ष के दलों ने पत्र लिख कर तमाम निर्णय आयोग पर छोड़ दिया है। सत्ता पक्ष का तर्क है कि आयोग संवैधानिक संस्था है। ऐसे में आयोग का हर निर्णय सर्वोपरि है। आयोग को तय करना है कि किस तरीके से सुरक्षित चुनाव कराया जाए।

बता दें कि 17 जुलाई को चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय और मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को पत्र लिखकर कोरोना काल में बिहार विधानसभा समेत अन्य राज्यों में उप चुनाव कराने सुझाव मांगा था। इसमें आयोग ने सभी दलों के अध्यक्ष और महासचिव को लिखे पत्र में कहा था कि महामारी के रोकथाम के लिए सभी को सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। शारीरिक दूरी के पालन और सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी गाइडलाइन जारी है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थलों पर थर्मल स्क्रीनिंग भी की जानी है। साथ में सैनिटाइजेशन भी किया जाना है। ऐसी परिस्थिति में राजनीतिक दल अपना सुझाव दें, जिससे कि कोरोना महामारी को चुनाव के वक्त फैलने से रोका जाए।

चुनाव के पक्ष में नहीं है विपक्ष

अहम यह है कि बिहार के सभी छोटे-बड़े विपक्षी दलों ने सामूहिक तौर पर मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा था कि आयोग तय तिथि पर बिहार विधानसभा चुनाव कराने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करे। वह जो भी फैसला ले, उसमें कोरोना के मद्देनजर आम जन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मतदाता बिना किसी भय के अधिक से अधिक भागीदारी कर सकें। विपक्षी पाॢटयों ने उम्मीद जताई थी कि आयोग का फैसला जल्द होगा और लोकतांत्रिक शुचिता के अनुरूप निर्णय करेगा।

वर्चुअल रैली से किनारा

विपक्षी दलों ने आयोग को बताया है कि सर्वदलीय बैठक में सत्ताधारी दल के उस प्रस्ताव को अमल में न लाया जाए जिसमें उसने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल चुनाव प्रचार की वकालत की है और पारंपरिक अभियान को प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है। विपक्षी दलों ने कहा है कि अगर ऐसा किया गया, तो वह निषेधात्मक और गैर लोकतांत्रिक होगा। इससे अधिकतर मतदाता चुनाव से कट जाएंगे।

मजाक बन जाएगा चुनाव प्रचार

कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है कि वर्चुअल चुनाव प्रचार से मतदान का प्रतिशत भी प्रभावित होगा। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं कहा जाएगा। लिहाजा आयोग ऐसा प्रबंध करे, जिसके जरिए न केवल लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा भी सुनिश्चित किया जाए। बिहार में चुनाव प्रक्रिया कोरोना विस्फोट की एक बड़ी घटना न बन जाए। वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी का तर्क है कि ट्राई के आंकड़ों के साथ बता चुके है कि बिहार के केवल 34 फीसद आबादी के पास स्मार्टफोन हैं, लिहाजा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चुनाव प्रचार मजाक बन जाएगा। पोलिंग बूथ पर एक हजार वोटरों का इंतजाम किया गया है। उसको चार हिस्सों में बांट दिया जाना चाहिए और हर पोलिंग बूथ पर पोलिंग स्टेशन बनाए जाए, जिसमें मात्र ढाई सौ मतदाता शामिल हो सकें।


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