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बिहार में राजभवन का टॉस्क पूरा करने में जुटे विश्वविद्यालय, कुलपतियों के सामने बड़ी चुनौती

राजभवन सचिवालय द्वारा चालू सत्र में ही लंबित परीक्षाओं का आयोजन करना कुलपतियों के लिए बड़ी चुनौती है। मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जुड़े एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि चालू सत्र में 6 से 22 माह विलंबित रही परीक्षाओं का आयोजन में कई बाधाएं हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 08:48 PM (IST)
बिहार में राजभवन का टॉस्क पूरा करने में जुटे विश्वविद्यालय, कुलपतियों के सामने बड़ी चुनौती
चालू सत्र में ही लंबित परीक्षाओं का आयोजन करना कुलपतियों के लिए बड़ी चुनौती है।

राज्य ब्यूरो, पटना: राजभवन सचिवालय द्वारा चालू सत्र में ही लंबित परीक्षाओं का आयोजन करना कुलपतियों के लिए बड़ी चुनौती है। वैसे राजभवन से मिले टॉस्क को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालयों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जुड़े एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि चालू सत्र में 6 से 22 माह विलंबित रही परीक्षाओं का आयोजन में कई बाधाएं हैं। 45 फीसद शिक्षकों से ही विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। गैरशैक्षणिक कर्मचारियों की संख्या भी कम है। फिर भी हमारी कोशिश तेज हो गई है कि मई तक सारी लंबित परीक्षाएं करा लें। 

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राजभवन सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि चालू सत्र में 31 मई से पहले परीक्षाएं कराकर परीक्षाफल जारी कराने का निर्देश कुलपतियों को दिया गया है। लेकिन, कोरोना महामारी के चलते भी कई बाधाएं उत्पन्न हुई हैं जिसके बारे में राजभवन को विश्वविद्यालयों ने अवगत कराया है। फिर भी विद्यार्थियों के भविष्य के हित में परीक्षाओं को कराने की हिदायत दी गई है। इसकी तैयारियों के बारे में 31 दिसंबर तक रिपोर्ट मांगी गई है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा), मगध विश्वविद्यालय (बोधगया), जय प्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा), बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा), तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय और पूर्णिया विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र विलंबित हैं।

कुलपतियों के लिए बड़ी चुनौती

बता दें कि राजभवन सचिवालय द्वारा चालू सत्र में ही लंबित परीक्षाओं का आयोजन करना कुलपतियों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। फिलहाल मिले टॉस्क को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालयों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। बिहार में 45 फीसद शिक्षकों से ही विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। गैरशैक्षणिक कर्मचारियों की संख्या भी यहां पर कम है। सत्र लेट होने की एक वजह कोरोना महामारी भी है। इसके चलते भी कई बाधाएं उत्पन्न हुई हैं जिसके बारे में राजभवन को विश्वविद्यालयों ने अवगत कराया है। 


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