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यूपी के डीजल-पेट्रोल से बिहार के खजाने को हर दिन लग रही लाखों की चपत, जानें क्या है मामला

बिहार और यूपी में डीजल-पेट्रोल पर वैट में अंतर से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है। यूपी में कीमत कम होने से सीमावर्ती जिलों के व्यावसायिक वाहनों के मालिक पड़ोसी राज्य के पेट्रोल पंपों से डीजल-पेट्रोल ले रहे हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 07:14 PM (IST)
यूपी के डीजल-पेट्रोल से बिहार के खजाने को हर दिन लग रही लाखों की चपत, जानें क्या है मामला
बिहार और यूपी में डीजल-पेट्रोल पर वैट में अंतर से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

कंचन किशोर, बक्सर: बिहार और यूपी में डीजल-पेट्रोल पर वैट में अंतर से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है। यूपी में कीमत कम होने से सीमावर्ती जिलों के व्यावसायिक वाहनों के मालिक पड़ोसी राज्य के पेट्रोल पंपों से डीजल-पेट्रोल ले रहे हैं। इससे उत्तर प्रदेश का खजाना भर रहा है। अकेले बक्सर जिले से ही राज्य के खजाने में प्रतिदिन पांच लाख रुपये की सेंध लग रही है। 

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बक्सर के चौसा में 1320 मेगावाट की ताप बिजली परियोजना का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस निर्माण कार्य में रोज सैकड़ों गाड़ियां और डीजल चालित बड़ी-बड़ी मशीनें लगी हैं। प्रतिदिन 15 से 20 हजार लीटर डीजल की खपत हो रही है। इसके अलावा किसान भी डीजल खरीद रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र राजपुर में पेट्रोल पंप मालिक मिथिलेश राम, हरेंद्र तिवारी, मनीष राय और दीपक सिंह ने बताया कि बक्सर की तुलना में गाजीपुर में डीजल का मूल्य साढ़े चार रुपये कम है। हालांकि, पेट्रोलियम कंपनी की गाइडलाइन के अनुसार अधिकृत एजेंसी के अलावा कोई और चार सौ लीटर से ज्यादा डीजल एक से दूसरे राज्य में नहीं ले जा सकता, लेकिन यहां टैंकरों में यूपी से डीजल आ रहा है। इससे स्थानीय पेट्रोल पंप मालिक भी परेशान हैं। 

ऐसे हो रहा बिहार को नुकसान

शनिवार को बक्सर में डीजल का रेट 80 रुपये 22 पैसे था, जबकि गाजीपुर में इसका रेट 75 रुपये 77 पैसे था।  यानि, रेट में प्रति लीटर चार रुपये 45 पैसे का अंतर। प्लांट में निर्माण कार्य में लगी मशीनों और वाहनों के लिए 20 हजार लीटर डीजल रोज आने पर ठीकेदारों को 90 हजार से एक लाख रुपये तक बचत हो जाती है। राजस्व का गणित यह है कि बिहार में डीजल पर 19 प्रतिशत वैट लागू है। 20 हजार लीटर डीजल की खपत पर ढाई लाख रुपये खजाने में आते हैं। इसके अलावा खपत के आधार पर केंद्रीय टैक्स में भी हिस्सेदारी बनती है, दोनों को जोड़ दिया जाय तो नुकसान का आंकड़ा चार लाख रुपये पहुंच जाता है। यह नुकसान केवल बक्सर में बल्क में आने वाले डीजल से है, इसमें निजी व्यावसायिक वाहनों और खेती के लिए लाए जा रहे डीजल को जोड़ दिया जाय तो नुकसान पांच लाख तक हो रहा है। 

दूसरे राज्य से डीजल लाने की होगी जांच

अनुमंडलाधिकारी बक्सर केके उपाध्याय ने बताया कि टैंकर में दूसरे राज्य से डीजल लाया जा रहा है तो इसकी जांच होगी, थर्मल पॉवर प्लांट परिसर में ही पेट्रोल पंप लगाने के लिए एनओसी दे दिया गया है, पंप लगने के बाद यहीं से डीजल लेने की अनुमति होगी। 


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