ओलंपिक–कॉमनवेल्थ की तैयारी में आगे बढ़ता बिहार: पटना में बनेगा देश का तीसरा मोंडो ट्रैक, जिलों में मजबूत कोचिंग नेटवर्क तैयार
भारत द्वारा कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 और ओलंपिक 2036 की मेजबानी की तैयारी के बीच, बिहार खेल संरचना को मजबूत कर रहा है। पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्ल ...और पढ़ें

पटना को मिलेगा देश का तीसरा मोंडो ट्रैक
डिजिटल डेस्क, पटना। भारत द्वारा कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी मिलने और ओलंपिक 2036 की दावेदारी पेश किए जाने के बाद देश में खेल संरचना को मजबूत बनाने की दिशा में तेजी से कदम उठ रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार भी अपने स्तर पर बड़ी तैयारी शुरू कर चुका है। राज्य सरकार ने खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा देने के लिए बड़े बदलावों की रूपरेखा तैयार की है।
पटना स्थित पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अब 20 करोड़ की लागत से आधुनिक मोंडो ट्रैक का निर्माण होने जा रहा है। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण ने इसका विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर खेल विभाग को भेज दिया है।
मोंडो ट्रैक बनने के बाद यह दिल्ली और पटियाला के बाद देश का तीसरा और पूर्वी भारत का पहला हाई-स्टैंडर्ड एथलेटिक ट्रैक होगा। इससे न सिर्फ बिहार, बल्कि झारखंड, बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के एथलीटों को भी विश्वस्तरीय अभ्यास की सुविधा मिल सकेगी।
राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण ने बताया कि मोंडो ट्रैक के बाद बिहार में नेशनल लेवल के बड़े खेल आयोजन कराने का रास्ता खुलेगा।
उन्होंने कहा कि जिस ट्रैक पर दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी अभ्यास करते हैं, उसी गुणवत्ता की सुविधा अब बिहार के खिलाड़ियों को अपने राज्य में ही मिलेगी। इससे राज्य के एथलीटों के प्रदर्शन में निश्चित रूप से तेजी आएगी।
खेल संघटन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए भी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जल्द ही हर जिले में जिला कोच ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी।
साथ ही प्रत्येक खेल के लिए विशेषज्ञ कोच उपलब्ध कराए जाएंगे। इस कदम से ब्लॉक लेवल से स्टेट लेवल तक एक मजबूत और संगठित खेल संरचना तैयार होगी। अगले दो वर्षों में बिहार का स्पोर्ट्स इकोसिस्टम पूरी तरह बदलने का लक्ष्य रखा गया है।
मोंडो ट्रैक की खासियत यह है कि यह डबल लेयर वल्केनाइज्ड रबर से निर्मित होता है, जिसकी ग्रिप मजबूत, स्पीड उच्च और झटके कम होते हैं।
इससे खिलाड़ियों को चोट का खतरा घटता है और प्रदर्शन बेहतर होता है। ओलंपिक एवं वर्ल्ड एथलेटिक्स की अधिकांश प्रतियोगिताएं इसी ट्रैक पर आयोजित की जाती हैं।
बिहार में इस ट्रैक के निर्माण को विशेषज्ञ राज्य के खेल भविष्य के लिए 'गेम चेंजर' मान रहे हैं। इससे राज्य के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मौकों की ओर बढ़ने का नया रास्ता मिलेगा।

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