बिहार में पंचायत चुनाव की तैयारी फिर से शुरू, राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलों से मांगी रिपोर्ट
Bihar Panchayat Chunav Dates चुनावी कार्यक्रम की घोषणा से लेकर मतदान की आखिरी तिथि और नव-निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण कराने तक में करीब तीन माह का समय लग जाता है। पिछला चुनाव सन् 2016 में हुआ था।
पटना, रमण शुक्ला। Bihar Panachayat Chunav 2021: बिहार में कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ते ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election 2021) की तैयारी बाढ़ कैलेंडर को ध्यान में रखकर राज्य निर्वाचन आयोग ने शुरू कर दी है। आयोग ने आपदा प्रबंधन विभाग से पत्र लिखकर बाढ़ प्रभावित जिलों से लेकर प्रखंडों और पंचायतों की जानकारी मांगी है। अगर सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर नहीं आती है, तो आयोग दिसंबर तक चुनाव संपन्न कराने की तैयारी कर रहा है। आयोग की कोशिश है कि बारिश और बाढ़ प्रभावित पंचायतों का कैलेंडर मिल जाए, तो सितंबर से दिसंबर के बीच चुनाव को संपन्न करा लिया जाए।
नवंबर में पूरी हो जाएगी परामर्शी समिति के अध्यादेश की मियाद
दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायतों में परामर्शी समिति के गठन से संबंधित अध्यादेश की मियाद भी नवंबर में पूरी जाएगी। आयोग इस लिहाज से भी चुनावी तैयारियों को अमली जामा पहनाने की रणनीति तैयार कर रहा है। प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ के दौरान उत्तर बिहार के कई जिलों में तबाही मच जाती है। आवागमन की समस्या से लेकर दूसरी कई परेशानी पेश आती हैं। कई प्रखंडों और पंचायतों का जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो जाता है। एक बड़ी आबादी विस्थापित हो जाती है। गांव के गांव बाढ़ राहत शिविरों में रहने के लिए विवश होते हैं। ऐसे में आयोग की तैयारी है कि विस्थापित लोगों के गांव लौटने के बाद ही चुनाव कराया जाए।
2016 में हुआ था पिछला पंचायत चुनाव
गौरतलब है कि कोरोना के कारण राज्य में पंचायत चुनाव स्थगित है। पिछला चुनाव सन् 2016 में हुआ था। बहरहाल परामर्शी समिति बनाकर सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को परोक्ष रूप से कामकाज का अवसर सुलभ कराया है। परामर्शी समिति के रूप में सरकार ने वैधानिक बाध्यताओं का भी ख्याल रखा और पंचायतों में विकास-कार्यों के लिए गुंजाइश भी बनाए रखी।
चुनाव प्रक्रिया पूरी करने में लगेगा तीन माह का वक्त
चुनावी कार्यक्रम की घोषणा से लेकर मतदान की आखिरी तिथि और नव-निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण कराने तक में करीब तीन माह का समय लग जाता है। ऐसे में अगर बाढ़-बारिश का कैलेंडर मिल जाता है तो राज्य निर्वाचन आयोग को चुनावी तैयारी करने में सहूलियत होगी। इसी मद्देनजर आयोग ने संबंधित पक्षों को पत्र लिखा है।