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सावधान! खतरनाक तंबाकू बम पर बैठा बिहार, गिरफ्त में राज्‍य की एक चौथाई युवा आबादी

बिहार में तंबाकू सेवन के आंकड़े चिंताजनक हैं। देश में तंबाकू का सर्वाधिक इस्तेमाल बिहार में ही होता है। इसके खतरों से आगाह करती तथा बचाव के उपाय बताती खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 03:17 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 03:41 PM (IST)
सावधान! खतरनाक तंबाकू बम पर बैठा बिहार, गिरफ्त में राज्‍य की एक चौथाई युवा आबादी
सावधान! खतरनाक तंबाकू बम पर बैठा बिहार, गिरफ्त में राज्‍य की एक चौथाई युवा आबादी
पटना [अमित आलोक]। कभी घोड़े के पेट में कीड़ों को मारने के लिए उपयोग में लाया गया तंबाकू (Tobacco) एक दिन यह मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा, शायद किसी ने भी नहीं सोचा हो। आज तंबाकू का सेवन हर 40 सेकेंड पर एक जान ले रहा है। देश में 12 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं।
आंकड़ों की बात करें तो बिहार खतरनाक तंबाकू बम पर बैठा है। पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़ दें तो देश में तंबाकू का सर्वाधिक इस्तेमाल बिहार में ही होता है। तंबाकू ने बिहार की नई पीढ़ी को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यहां की एक चौथाई युवा अबादी इसके सेवन की आदी हो चुकी है।

तंबाकू के कारण कैंसर से मरते 1.68 लाख लोग
तंबाकू का विविध रूप में सेवन किया जाता है। इनमें शामिल सिगरेट (Cigarette) की बात करें तो इसका एक कश जिंदगी का एक मिनट कम करता है। देश में तंबाकू से हर 40 सेकेंड पर एक व्यक्ति की मौत हो रही है। देश में 12 करोड़ लोग कर तंबाकू का सेवन करते हैं। बिहार में प्रतिवर्ष 1.68 लाख लोग तंबाकू के कारण कैंसर (Cancer) के चपेट में आते हैं, जिनमें से 1.32 लाख की मौत हो जाती है। 
पटना के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.जितेेंद्र सिंह तंबाकू के मानव जीवन पर पड़ रहे खतरनाक असर को लेकर चिंता जाहिर करते हैं। आंकड़े के अनुसार देश में तंबाकू के उत्‍पादन से 5500 करोड़ रुपये का लाभ होता है। जबकि, उससे होने वाली बीमारियों के इलाज पर 13,500 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।
तंबाकू की चपेट में बिहार के 25.9 फीसद युवा
बिहार की बात करें तो यहां प्रतिबंध के बावजूद तंबाकू के कई उत्‍पाद उपलब्‍ध हैं। इसका असर यह है कि पूर्वोत्‍तर भारत को छोड़कर देश में सर्वधिक तंबाकू का सेवन बिहार में ही किया जाता है। बिहार के 25.9 फीसद युवा तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से 23.5 फीसद चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं। यहां में लगभग 20.5 फीसद युवा खैनी (चबाने वाले तंबाकू का एक प्रकार) खाते हैं।
कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू
गोपालगंज के डॉ. संदीप कुमार बताते हैं कि तंबाकू दुनिया भर में कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। दुनिया का हर तीसरा कैंसर का मरीज तम्बाकू का सेवन करता है। भारत में इसका सेवन लोग खैनी, जर्दा, गुटखा, पान, मसाला, बीडी एवं सिगरेट के रूप में करते हैं। वर्तमान में भारत में टीबी, एड्स से ज्यादा मरीज कैंसर के कारण मर रहे हैं।

बिहार में बढ़ा तंबाकू जनित कैंसर
बिहार की बात करें तो यहां के आंकड़े भी भयावह हैं। प्रदेश में कुछ हद तक तंबाकू के शौकीनों की संख्या घटी तो है, लेकिन इससे होने वाले कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ी है। इनमें से अधिसंख्य लोगों ने बताया कि वे लंबे समय से तंबाकू का इस्तेमाल छोड़ चुके हैं। कारण यह कि एक बार तंबाकू की गिरफ्त में आए शरीर को पूरी तरह से शुद्ध होने में करीब 15 वर्ष लगते हैं।

सायनाइड से भी अधिक खतरनाक
डॉ. संदीप कुमार कहते हैं कि तंबाकू से कैंसर के अलावा हृदय रोग सहित अन्‍य खतरे भी कम नहीं। यह सबसे खतरनाक पोटेशियम सायनाइड जहर से भी घातक है, क्योंकि इससे मरने वाले अधिकांश लोग उत्पादन क्षमता वाले अर्थात 25 से 65 वर्ष के होते हैं। साथ ही साइनाइड जिसके शरीर में जाता है, उसी की जान जाती है। लेकिन, तंबाकू धुएं के रूप में तो आसपास रहने वालों को भी खतरनाक रोगों को तोहफा देती है। तंबाकू उत्पाद से निकलने वाले धुएं में 400 से अधिक केमिकल पाए जाते हैं। उनमें से 60 से ज्यादा बेहद घातक होते हैं। उनका पूरे शरीर पर दुष्‍प्रभाव पड़ता है।

शरीर के हर अंग पर दुष्प्रभाव
तंबाकू के उपरोक्‍त घातक रसायन शरीर पर काफी बुरा प्रभाव डालते हैं। आइए डालते हैं नजर...
- मस्तिष्क: ब्रेन हैमरेज (लकवा) का जोखिम अधिक, जो महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करती है उन्हें लकवा का खतरा ज्यादा होता है।
- मुंह-होंठ: मुंह व स्वर ग्रंथि में कैंसर के साथ स्वरयंत्र में सूजन से आवाज भारी हो जाती है।
- रक्त संचार प्रणाली: हृदय संबंधी रोग जैसे हृदयाघात आदि हो सकते हैं। उच्च रक्ताचाप, हृदय की धमनियों की बीमारी के कारण पैरों में खून का ठीक से प्रवाहित नहीं होने की समस्‍या भी हो सकती है। इससे कई बार पैर काटने तक की नौबत आ जाती है।
- पेट व आंत: पेट के भीतर की परत नाजुक हो जाती है। इससे रक्तस्राव की आशंका बढ़ जाती है। आंत के घाव (अल्सर) देर से ठीक होते हैं। कैंसर भी हो सकता है। अग्नाशय, गुर्दे और मूत्राशय का कैंसर होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
- बांझपन: पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या व उनकी सक्रियता कम हो जाती है। वहीं महिलाओं में अंडे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, मासिक अनियमित और हार्मोन स्तर असंतुलित हो जाता है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति जल्द हो जाती है और स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही तम्बाकू सेवन से स्त्री व पुरुष दोनों की ही यौन इच्छा कम हो जाती है।
- श्वास प्रणाली: ब्रॉन्‍काइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) व फेफड़े का कैंसर होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
- गर्भस्थ शिशु के लिए भी खतरा: यदि कोई महिला तंबाकू उत्पादों का सेवन करती है तो शिशु का वजन औसत से कम होने के साथ अचानक मौत होने की आशंका ज्यादा होती है। तंबाकू सेवन से अक्सर समय पूर्व प्रसूति का जोखिम रहता है। गर्भपात के साथ मृत शिशु के जन्म लेने की आशंका कई गुना ज्यादा होती है। शिशु का शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है और मां के दूध से शिशु के शरीर में निकोटिन पहुंचने की आशंका होती है।
- हड्डी व इम्यून सिस्टम: तंबाकू इस्तेमाल से जहां हड्डियां कमजोर होने से ऑस्टियोपोरेसिस रोग हो जाता है वहीं रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक शक्ति कम होने से बार-बार संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
तंबाकू के घातक रसायन
- निकोटिन: कीड़े मारने में इस्तेमाल की जाने वाली दवा।
- अमोनिया: फर्श की सफाई में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ।
- आर्सेनिक: चींटी मारने वाला जहरीला पदार्थ।
- कार्बन मोनो ऑक्साइड: कार से निकलने वाली खतरनाक गैस।
- हाइड्रोजन साइनाइड: गैस चैंबर में इस्तेमाल की जाने वाली जहरीली गैस।
- नेप्थलीन: इससे मोथबॉल्स बनाए जाते हैं।
- तारकोल: सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ।
- रेडियोएक्टिव पदार्थ: परमाणु हथियार में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ।

ऐसे हो सकता बचाव
सवाल यह है कि आखिर क्‍या है बचाव? पटना के डॉ. यूएन झा कहते हैं कि तंबाकू छोड़कर कैंसर सहित अन्‍य रोगों से बहुत हद तक बचा जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। इसके लिए डॉक्‍टर से सलाह ली जा सकती है।
आयुर्वेद में भी है उपाय
मोतिहारी के आयुर्वेदिक चिकित्‍सक डॉ. भास्कर रॉय बताते हैं कि किसी भी नशा को छोड़ने के लिए सबसे जरूरी है इच्‍छाशक्ति। अगर इच्‍छाशक्ति है तो आयुर्वेद में इसके लिए उपाय हैं। नशे की तलब लगने पर लौंग को मुंह में रखकर उसे दबाया जा सकता है। इसी तरह सौंफ में काला नमक व नींबू का रसदो-चार बार डालकर सुखा लें और तलब लगे तो मुेंह में रखें तो धीरे-धीरे तंबाकू का नशा छोड़ने में सहायता मिलती है।
तंबाकू सेवन करने वालों में आ रही कमी
अंघेरे में आशा की किरण यह है कि तंबाकू के विरोध में लोगों में जागरुकता बढ़ रही है। इससे तंबाकू सेवन में लगातार कमी आ रही है।
 

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