दस साल में तीन गुणा बढ़ा बिहार का बजट, कर्ज की दर में भी सालाना 10% की बढ़ोतरी, केंद्र पर आश्रित है राज्य
आंतरिक संसाधन में बड़ी बढ़ोतरी किए बिना बिहार का बजट हर साल लगातार बढ़ रहा है। बीते दस सालों में बजट में तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2023–24 का बजट दो लाख 61 हजार 885 करोड़ रुपये का है।
राज्य ब्यूरो, पटना: आंतरिक संसाधन में बड़ी बढ़ोतरी किए बिना बिहार का बजट हर साल लगातार बढ़ रहा है। बीते दस सालों में बजट में तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2023–24 का बजट दो लाख 61 हजार 885 करोड़ रुपये का है, जबकि यह साल 2022-23 में दो लाख 37 हजार 691 करोड़ रुपये का था।
बिहार की आर्थिक वृद्धि दर 10.98 प्रतिशत है। साल 2022-23 में राज्य पर करीब तीन लाख रुपये का कर्ज था। इसे अगले वर्ष में कम करने का प्रयास किया जा रहा है। कर्ज की राशि का उपयोग आधारभूत संरचना के निर्माण एवं अन्य पूंजीगत व्यय में किया जाता है। अब तक कर्ज की दर में सालाना औसत 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होती रही है।
केंद्र पर आश्रित है राज्य का बजट
राज्य के जीडीपी का कुल कर्ज 38 प्रतिशत से अधिक है, जबकि बजट घाटा साढ़े तीन से चार प्रतिशत के बीच स्थिर है। राज्य का बजट पूरी तरह केंद्र सरकार पर आश्रित है। वित्तीय वर्ष 23-24 के लिए जो आय का अनुमान किया गया है, उसका 60 प्रतिशत केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा और अनुदान एवं सहायता मद से प्राप्त होगा।
राज्य सरकार अपने संसाधनों से 21.26 प्रतिशत राशि जुटाएगी। शेष राशि का प्रबंध कर्ज से होगा। केंद्रीय मदद पर निर्भरता के बारे में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि यह कृपा नहीं, बल्कि राज्य का अधिकार है।