Bihar Result 2025: जन सुराज का डिब्बा गुल, ECI के रुझानों में 0 सीटें; हार के पीछे की 7 वजह
बिहार चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी को भारी निराशा हाथ लगी है। चुनाव आयोग के अनुसार, पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। इस हार के पीछे संगठनात्मक कमजोरी, प्रचार में कमी और मतदाताओं का विश्वास जीतने में असफलता जैसे कई कारण बताए जा रहे हैं। पार्टी की रणनीति और नेतृत्व में भी कमजोरी देखी गई।
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डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पा रही है। चुनाव आयोग (ईसीआई) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सभी 243 सीटों के रुझान उपलब्ध हैं। जहां एनडीए 207 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। महागठबंधन 29 सीटों पर सिमटता दिख रहा। जन सुराज ने 239 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन खाता भी नहीं खुल सका है।
शुरुआती रुझानों में 4 सीटों पर लीड के बाद जन सुराज पिछड़ती चली गई। पार्टी का वोट शेयर भी 3-4 प्रतिशत से आगे बढ़ता नहीं दिख रहा है। जन सुराज प्रवक्ता पवन कुमार वर्मा ने कहा, हम चुनावी असफलता की गहन समीक्षा करेंगे, क्योंकि जनता का विश्वास नहीं जीत सके।
जानें, जन सुराज की असफलता के सात प्रमुख कारण-
- ग्रामीण पहुंच और जागरूकता की कमी: बिहार की 90% आबादी ग्रामीण, लेकिन पार्टी का प्रचार शहरी/डिजिटल तक सीमित। ग्रामीण बूथों पर सिंबल और उम्मीदवार दोनों अपरिचित। वोट बैंक बिखरा।
- महिलाओं को नहीं जोड़ सके: महिला वोटर को एनडीए से नहीं तोड़ सके, सरकारी योजनाओं ने उन्हें बांधे रखा। एनडीए ने महिलाओं को पूरी तरह अपने पक्ष में कर लिया। जन सुराज के मुद्दे (रोजगार, प्रवासन) अपील नहीं कर सके। शराबबंदी खत्म करने की बात भी महिलाओं को पसंद नहीं आई।
- प्रशांत किशोर का चुनाव न लड़ना: पीके ने खुद मैदान न उतरकर विश्वास खोया। इस निर्णय से समर्थकों व मतदाताओं को निराश किया।
- संगठन की कमजोरी और बूथ स्तर पर शून्य नियंत्रण: अंतिम समय तक बीएलए बनाने में हड़बड़ी, कई बूथों पर प्रतिनिधि अनुपस्थित। टिकट वितरण में पैराशूट उम्मीदवारों से स्थानीय नाराजगी, आधा दर्जन उम्मीदवारों ने नाम वापस लिया या बैठ गए।
- बीजेपी की 'बी-टीम' छवि: विपक्ष ने एनडीए वोट काटने वाली स्पॉइलर पार्टी बताकर संदेह पैदा किया, सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रभाव।
- अनटेस्टेड पार्टी के रूप में देखा जाना: मतदाता वोट बर्बाद मानकर अगले चुनाव तक इंतजार कर रहे।विश्वसनीयता साबित न होना।
- सोशल मीडिया पर अत्यधिक निर्भरता: ऑनलाइन हाइप ग्रामीण क्षेत्रों में वोट नहीं बदला। इंफ्लुएंसर्स की पहुंच सीमित, युवा उत्साह फीका।

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