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जब कारगिल युद्ध में बिहार रेजीमेंट ने दिया था पहला बलिदान

करीब 66 दिनों तक चले कारगिल युद्ध में अग्रिम पंक्ति में पहला बलिदान बिहार रेजीमेंट प्रथम बटालियन के मेजर एम. सरावनन और उनकी टुकड़ी में शामिल नायक गणेश प्रसाद यादव सिपाही प्रमोद कुमार सिपाही ओम प्रकाश गुप्ता और हवलदार हरदेव सिंह ने दिया था। नायक शत्रुघ्न सिंह दुश्मनों की गोली लगने के बाद 11 दिनों बाद मृत्यु को पराजित कर अपने देश की जमीन पर वापस लौटे थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2022 01:49 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2022 01:49 AM (IST)
जब कारगिल युद्ध में बिहार रेजीमेंट ने दिया था पहला बलिदान
जब कारगिल युद्ध में बिहार रेजीमेंट ने दिया था पहला बलिदान

जितेंद्र कुमार, पटना।

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कारगिल युद्ध में विजय के लिए बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान देकर देश की आन-बान और शान की रक्षा की थी।

बिहार के लिए यह और भी गर्व की बात है कि युद्ध विजय के लिए बिहार रेजीमेंट की प्रथम बटालियन को 28 वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें चार वीर चक्र और छह सेना मेडल के साथ बैटल आनर आफ बटालिक और थिएटर आनर आफ कारगिल का सम्मान शामिल है।

करीब 66 दिनों तक चले कारगिल युद्ध में अग्रिम पंक्ति में पहला बलिदान बिहार रेजीमेंट प्रथम बटालियन के मेजर एम. सरावनन और उनकी टुकड़ी में शामिल नायक गणेश प्रसाद यादव, सिपाही प्रमोद कुमार, सिपाही ओम प्रकाश गुप्ता और हवलदार हरदेव सिंह ने दिया था। नायक शत्रुघ्न सिंह दुश्मनों की गोली लगने के बाद 11 दिनों बाद मृत्यु को पराजित कर अपने देश की जमीन पर वापस लौटे थे।

कारगिल में दुश्मनों के कब्जे की जानकारी 17 मई 1999 को हो गई थी। उन दिनों बिहार रेजीमेंट की प्रथम बटालियन कारगिल जिले के बटालिक सेक्टर में पहले से ही तैनात थी। बटालिक सेक्टर की जुब्बार पहाड़ी पर भारी हथियार के साथ दुश्मनों ने कब्जा कर लिया था। बिहार रेजीमेंट को जुब्बार पहाड़ी को अपने कब्जे में लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई। 21 मई को मेजर एम. सरावनन अपनी टुकड़ी के साथ रेकी पर निकल गए। करीब 14,229 फीट की ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों ने फायरिग शुरू कर दी। मेजर सरावनन ने 90 एमएम राकेट लांचर अपने कंधे पर उठाकर दुश्मनों पर हमला बोल दिया। पाकिस्तानी दुश्मनों को इससे भारी नुकसान हुआ। पहले ही हमले में पाक के दो घुसपैठिए मारे गए। यहीं से कारगिल युद्ध की शुरूआत हो गई।

अग्रिम पंक्ति में युद्ध के दौरान नायक गणेश प्रसाद यादव, सिपाही प्रमोद कुमार, ओम प्रकाश गुप्ता और हरदेव सिंह बलिदान चढ़ते गए। नायक शत्रुघ्न सिंह को गोली लग चुकी थी। बिहार रेजीमेंट के जाबांज सैनिकों ने एक जुलाई को जुब्बार पहाड़ी पर विजय प्राप्त कर कर बिहार रेजीमेंट की वीरता का ध्वज लहरा दिया। कारगिल विजय की कहानी यहीं लिखी गई और अंतत: 26 जुलाई को टाइगर हिल पर तिरंगा फहरा कर युद्ध विजय की घोषणा कर दी गई।

कागरिल विजय की निशानी :

कारगिल युद्ध में बिहार रेजीमेंट की वीरता और शौर्य की निशानी मौर्य संग्रहालय में रखी गई है। पाकिस्तानी दुश्मनों के ठिकाने से भारी संख्या में हथियार जब्त किए गए, जिसे संग्रहालय में रखा गया है।


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