प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बिहार ने किया विरोध, कहा- किसानो का होगा नुकसान
केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रस्तावित प्रारूप का राज्य सरकार ने विरोध किया है। इस संबंध में सहकारिता विभाग द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्र में राज्य सरकार ने प्रस्तावों को लेकर सवाल उठाया है।
पटना। केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रस्तावित प्रारूप का राज्य सरकार ने विरोध किया है। इस संबंध में सहकारिता विभाग द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्र में राज्य सरकार ने प्रस्तावों को लेकर सवाल उठाया है।
विभाग ने कहा है कि इससे किसानों का भी नुकसान होगा और राज्य सरकार को भी अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा। नई संरचना विकसित करनी होगी। बीमा योजना के प्रारूप में मौजूद कई बिंदु राज्य की स्थितियों के अनुरूप नहीं है। इसमें परिवर्तन की अपेक्षा की गई है। साफ कहा गया है कि महत्वपूर्ण बदलावों के बिना लागू किया जाना अव्यवहारिक होगा।
केंद्र सरकार की फसल बीमा के प्रस्तावित प्रारूप पर अपनी राय रखते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि इस योजना के तहत किसानों का पुरानी योजना की तुलना में कम जोखिम कवर होगा। नई योजना में प्रीमियम का साढ़े तीन सौ प्रतिशत तक जोखिम कवर करने का प्रस्ताव है। वहीं पुरानी कृषि बीमा में यह प्रतिशत पांच सौ था। इसी तरह नई योजना को खरीफ 2016 से लागू किया जाना है।
योजना लागू करने की तैयारियों के लिए राज्य सरकार के पास काफी कम समय है। नये प्रावधानों के अनुसार जोखिम आकलन के लिए कटनी प्रतिवेदन को आधार माना जाता है। इसके लिए अभी तक प्रखंड को इकाई के तौर पर लिया जाता था। नए प्रावधानों में पंचायत को इकाई माना जाना है। ऐसे में आकलन के काम में पुराने प्रावधानों की तुलना में कई गुना काम बढऩे की संभावना है। राज्य सरकार के संसाधनों को देखते हुए कम समय में ऐसा किया जाना अव्यावहारिक है।
नई योजना में वास्तविक जोखिम के अनुरूप प्रीमियम तय किया जाना है। अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में जोखिम का स्वरूप काफी अलग और विस्तृत है। यहां बाढ़ सुखाड़, ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से किसानों का नुकसान होता है।
अनुमान के अनुसार इन स्थितियां में राज्य में बीमा का प्रतिशत बीस से भी ऊपर जाने की उम्मीद है। नये प्रावधानों के अनुसार प्रीमियम की राशि को केंद्र और राज्य सरकारें साठ और चालीस के अनुपात में वहन करेंगी। इससे राज्य सरकार पर छह सौ करोड़ से ज्यादा को बोझ अनुमानित है।