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Bihar Politics: राजद सुप्रीमो लालू यादव रह गए भीतर, चिराग पासवान पर पड़े थपेड़े

Bihar Politics परिवार में भीतर क्या बात हुई यह किसी को पता नहीं चला है। माना जा रहा है कि लालू ने फिर तेज को चेताया है कि वह अपनी इन हरकतों पर लगाम लगाएं। नसीहत पर तेज कितना अमल करेंगे यह तो भविष्य ही बताएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 10:15 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 06:13 AM (IST)
Bihar Politics: राजद सुप्रीमो लालू यादव रह गए भीतर, चिराग पासवान पर पड़े थपेड़े
जदयू ने अपनी ताकत बढ़ने का दावा किया।

पटना, आलोक मिश्र। Bihar Politics बजट सत्र का शुभारंभ शुक्रवार को हो गया। कोई चूल्हा-लकड़ी लेकर पहुंचा तो कोई साइकिल पर। ये सब विरोधी थे मंहगाई के, कृषि कानूनों के। सदन में सरकार तन कर खड़ी थी जीडीपी के आंकड़ों के साथ, जो उसे केंद्र से ऊपर दिखा रहे थे। कोरोना में जब सबकी हालत खस्ता थी तो खेती ने बिहार को उबारा था। सत्ता पक्ष उत्साहित था तो दूसरी तरफ राजनीति भी गरम होने वाली थी, क्योंकि रांची जेल में सजा काट रहे लालू प्रसाद की जमानत पर सुनवाई चल रही थी। बाहर आने की उम्मीद का प्रतिशत बढ़ा हुआ था, लेकिन शाम को पानी फिर गया। सीबीआइ की दलील को अदालत ने मान लिया कि अभी सात साल की सजा, आधी नहीं कटी है। आधी पूरी होने पर ही वह बाहर आ सकते हैं। जबकि लालू पक्ष के मुताबिक आधी कट चुकी थी।

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इससे पहले बिहार में बहुत कुछ घटा। लोक जनशक्ति पार्टी पर जदयू का ग्रहण लगा। चुनाव में खता खाए नीतीश ने न केवल लोजपा में गहरी सेंध लगाई, बल्कि चिराग के संसदीय क्षेत्र में भी कांटे बो दिए। सबको मालूम है चुनाव में नीतीश को हराने के लिए चिराग ने हर जतन किए थे। जदयू के खिलाफ हर सीट पर प्रत्याशी उतारे। कुछ हद तक कामयाब भी माने गए जब जदयू को केवल 43 सीटें मिलीं। लेकिन नीतीश का कुछ नहीं बिगड़ा, वो मुख्यमंत्री फिर भी बने। जबकि चिराग को केवल एक सीट मिली। कहा जाता है कि राजनीति में दोस्त व दुश्मन की पहचान खुद की ताकत पर निर्भर करती है। कसक रखे नीतीश के कारण अब भाजपा भी चिराग को भाव देती नजर नहीं आ रही। राजनीतिक मैदान में अकेली पड़ी लोजपा पर अब नीतीश हमलावर हैं। वह भी जुबानी नहीं, बल्कि जवाबी अंदाज में। गुरुवार को जदयू ने लोजपा के प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक के 208 नेताओं को अपने में मिला लिया। सभी चिराग को बुरा-भला कहते हुए जदयू में आ गए। जैसा कि होता है, उसी तरह लोजपा नेताओं ने इस सूची को फर्जी बताया, जबकि जदयू ने अपनी ताकत बढ़ने का दावा किया।

जदयू कार्यालय में गुरुवार को आयोजित मिलन समारोह में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के सामने लोजपा के कई वरिष्ठ नेता जदयू में शामिल हुए। जागरण आर्काइव

मौके पर चोट करने वाले नीतीश ने लोजपा की चूल हिलाने से पहले चिराग को उनके संसदीय क्षेत्र जमुई में भी घेर दिया है। संसदीय क्षेत्र की चकाई विधानसभा सीट से निर्दलीय जीते चिराग के धुर विरोधी सुमित सिंह को मंत्री बना दिया। सुमित जमुई के प्रभावशाली नेता नरेंद्र सिंह के पुत्र हैं। अब मंत्री सुमित के जरिये जमुई का भला होगा और चिराग को कमजोर करने के लिए जतन किए जाएंगे। देखा जाए तो केवल जदयू ही नहीं, बाकी की भी नजरें चिराग के बंगले (लोजपा का चुनाव चिन्ह) पर है। कुछ दिन पहले कांग्रेस ने भी उसके कुछ नेता झटके थे। उसके बाद भाजपा से टिकट न पाने के कारण लोजपा से लड़े कद्दावर नेता रामेश्वर चौरसिया ने हारने के बाद साथ छोड़ा। राजद ने दल में तो सेंध नहीं मारी, लेकिन वह पूरी पार्टी पर ही निगाह लगाए है। राजद यह मान कर चल रहा है कि जितना कमजोर होंगे चिराग, उतना ही उनके करीब आएंगे।

तेजप्रताप का अपना अंदाज : अपने बोल-बचनों और कर्मो से अपनी अलग पहचान बनाए लालू के बड़े लाल तेजप्रताप का अपना अंदाज बना हुआ है। अबकी उनकी लपेट में पार्टी के बुजुर्ग जगदानंद सिंह आ गए। तेजप्रताप अचानक सोमवार को पार्टी कार्यालय पहुंच गए। यह विश्वास था कि सभी हाजिरी बजाने के लिए खड़े होंगे। उनकी अपेक्षा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से भी यही थी। सो, उन्हें वहां न पाकर तेजप्रताप अपने अंदाज में शुरू हो गए। लालू के जेल जाने का कारण तक उन्होंने जगदा बाबू को ठहरा दिया। चुनाव के समय पार्टी के सबसे वरिष्ठ रघुवंश बाबू की तुलना एक लोटा पानी से करके विपक्ष को एक मुद्दा तेजप्रताप पहले ही दे चुके थे। उन्हें वरिष्ठ विरोधी ठहराने में विपक्ष ने देर नहीं लगाई। दिल्ली में इलाज करा रहे लालू और खिदमत में जुटे तेजस्वी दोनों सन्नाटे में। गंभीर राजनीतिज्ञ जगदा बाबू ने इसे कोई तवज्जो नहीं दी, इसलिए उठा मुद्दा शांत हो गया। 

[स्थानीय संपादक, बिहार]


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