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Bihar Politics: बिहार में तीसरी बार हुआ स्‍पीकर पद का चुनाव, महागठबंधन ने अवध बिहारी को बनाया प्रत्‍याशी

Bihar Politics तेजस्‍वी यादव न एनडीए के खिलाफ अपना प्रत्‍याशी देने के लिए देर रात तक सहयोगियों से विमर्श करने के बाद अवध बिहारी को प्रत्‍याशी बनाया। राजद ने दूसरा प्‍लान जीतन राम मांझी को लेकर भी बनाया था। अब एआइएमआइएम के रुख से महागठबंधन को झटका लग सकता है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 09:11 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 03:27 PM (IST)
Bihar Politics: बिहार में तीसरी बार हुआ स्‍पीकर पद का चुनाव, महागठबंधन ने अवध बिहारी को बनाया प्रत्‍याशी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव और प्रोटेम स्‍पीकर जीतन राम मांझी की तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । बिहार के संसदीय इतिहास में तीसरी बार आज बुधवार (25 नवंबर) को स्पीकर पद का चुनाव हुआ है। इससे पहले 1967 में मतदान के जरिये धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। दूसरी बार 1969 में मतदान के जरिये राम नारायण मंडल को अध्यक्ष चुना गया था। इस बार एनडीए प्रत्याशी विजय सिन्हा के खिलाफ महागठबंधन ने भी मंगलवार (24 नवंबर) को  उम्मीदवार उतार दिया है। इसके चलते 51 सालों बाद पहली बार और बिहार के संसदीय इतिहास में तीसरी बार चुनाव की नौबत आई है। आम तौर पर विधानसभा के अध्‍यक्ष का चुनाव सभी की सहमति से होता रहा है। राजद की ओर से अवध बिहारी चौधरी  स्पीकर पद का प्रत्याशी घोषित किया गया । नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सोमवार ( 23 नवंबर) को देर रात तक अपने सहयोगियों से विमर्श करते रहे और मंगलवार सुबह राजद की ओर से ऐलान कर दिया गया।  इसके लिए वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी के नाम को आगे किया गया है। हालांकि इसके पहले सदन में माहौल देखकर दूसरी चाल के लिए भी पूरी तैयारी थी। राजद की ओर से अध्यक्ष पद के लिए जीतनराम मांझी के नाम को भी उछालने की तैयारी थी, जो अभी प्रोटेम स्पीकर हैं। राजद मांझी के सहारे भाजपा और जदयू को असहज करना चाहता था।

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 विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए एनडीए प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा ने पत्रकारों से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के पद को ले यह परिपाटी रही है कि सर्वसम्मति से नाम तय होता है। यह परंपरा जारी रहती तो बेहतर होता।

पहले से थे आसार

पहले से ही विधानसभा में उलट-फेर के आसार थे। विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजद की ओर से पृष्ठभूमि तैयार की जा रही थी। इसकी भनक एनडीए खेमे को लग चुकी है। इसलिए सत्ता पक्ष में बेचैनी है। हालांकि अब एआइएमआइएम के रुख से  महागठबंधन को झटका लग सकता है। एआइएमआइएम के विधायक अख्‍तरूल ईमान ने कहा है कि महागठबंधन को अपना प्रत्‍याशी नहीं उतारना चाहिए। विधानसभा अध्‍यक्ष पद परंपरा अनुसार सत्‍ता पक्ष को दे देना चाहिए। डिप्‍टी स्‍पीकर विपक्ष को देना चाहिए।

तेजस्‍वी ने कहा, अंतरात्‍मा की आवाज पर वोट करें

मंगलवार को नामांकन के लिए तय समय 12 बजे के पूर्व तेजस्वी यादव ने अवध बिहारी चौधरी का नामांकन कराया । नामांकन के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा कि अवध बिहार चौधरी सदन के पुराने सदस्‍य हैं। वे अब तक सिवान सदर से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं और राजद के शासनकाल में परिवहन मंत्री भी रहे। उन्होंने कहा महागठबंधन के सभी सहयोगी अवध बिहारी चौधरी को तो अपना समर्थन देंगे ही उम्मीद है सत्तापक्ष के भी कई विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज पर चौधरी को वोट करेंगे।

आज होना है चुनाव

विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव आज बुधवार को होना है। राजभवन से जारी शिड्यूल के मुताबिक इस पद के प्रत्याशी को मंगलवार दोपहर 12 बजे तक ही नामांकन करना जरूरी था। जदयू-भाजपा में समझौते के तहत स्पीकर का पद भाजपा के कोटे में गया है। इसके लिए अभी तक नंद किशोर यादव का नाम चलाया जा रहा था परंतु भाजपा ने आखिरी वक्त में अपना प्रत्याशी बदल दिया है। अब पूर्व श्रम संसाधन मंत्री और भाजपा के खाटी कार्यकर्ता विजय कुमार सिन्‍हा का नाम तय किया गया है।

पहले से था राजद का प्‍लान

 नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अगले दिन की रणनीति को लेकर सोमवार ( 23 नवंबर ) को देर रात तक अपने सहयोगियों से विमर्श करते रहे। प्रारंभिक योजना के मुताबिक राजद की ओर से प्रत्याशी देने का विचार किया गया। इसके लिए वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी के नाम को आगे किया गया है। किंतु सदन में माहौल देखकर दूसरी चाल के लिए भी पूरी तैयारी थी। तेजस्वी एक तीर से दो शिकार करना चाह रहे थे।

जीतन राम मांझी के नाम को उछालने की भी थी तैयारी

पहले सदन में माहौल देखकर दूसरी चाल के लिए भी पूरी तैयारी थी। राजद की ओर से अध्यक्ष पद के लिए जीतनराम मांझी के नाम को उछालने की तैयारी थी। मांझी अभी प्रोटेम स्पीकर हैं। राजद इससे दो मकसद साधना चाहता था। एक तो वह मांझी के सहारे भाजपा और जदयू को असहज करना था और दूसरा मांझी के नाम पर दलित कार्ड खेलने का प्‍लान था। हालांकि नीतीश कुमार से हालिया निकटता को देखते हुए इस बात की संभावना कम बन रही थी।


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