Bihar Politics: आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में बढ़ रही है केंद्र सरकार, शिवानंद तिवारी का आरोप
Bihar politics राष्ट्रीय जनता दल के सीनियर लीडर व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार आरक्षण खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण पर भी सवाल उठाया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आरएसएस की नीतियों पर चल रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। इसे खत्म करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही वे मुसलमानों और इसाइयों को हिन्दू मुसलमान और हिन्दू ईसाई लिखने का कानून बना देंगे। क्योंकि आरएसएस जो कहता है, प्रधानमंत्री उसे कार्यान्वित करते हैं। सामाजिक न्याय की शक्तियां कमजोर हो रही हैं। इससे केंद्र सरकार को आरएसएस की नीतियों को लागू करने में सुविधा हो रही है। आरएसएस लंबे समय से आरक्षण की समीक्षा की सलाह दे रहा है।
बीजेपी पर लगाए आरोप
उन्होंने कहा कि सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में भी भाजपा ने पिछले दरवाजे का सहारा लिया। राज्यसभा में भाजपा को बहुमत नहीं था। इसलिए सवर्ण आरक्षण वाले संशोधन को धन विधेयक घोषित कर लोकसभा से पारित करा दिया। धन विधेयक की राज्यसभा में मंजूरी अनिवार्य नहीं है। तिवारी ने कहा कि न्यायपालिका भी सामाजिक राजनीतिक स्थितियों से अलग नहीं होती है। उसपर भी इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
आरक्षण समर्थन का माहौल हुआ कमजोर
1992 में सामाजिक न्याय की शक्तियां सक्रिय थीं। आरक्षण के लिए आंदोलन चल रहा था। पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने गरीबी के आधार पर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था। सर्वोच्च न्यायालय की नौ जजों की संविधान पीठ ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण देने के प्रस्ताव को रद कर दिया था। सामाजिक-राजनीतिक परिवेश में बदलाव आया। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आर्थिक आधार पर आरक्षण को सही ठहरा दिया। राजद उपाध्यक्ष ने कहा कि आज आरक्षण समर्थन का माहौल कमजोर हुआ है। इसके विरोध का स्वर तेज हुआ है। पिछड़ों में पहले जैसी एकता नहीं रह गई है। सामान्य जातियों के वोट को अपनी ओर आकर्षित करने का लालच बढ़ा है। यही कारण है कि संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध आर्थिक आधार पर आरक्षण के पक्ष में आए निर्णय का औपचारिक विरोध भी नहीं हो रहा है।