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Bihar Politics: एनडीए में अब यह बड़ा सवाल, राज्‍य सभा की खाली सीट लोजपा को दें या सुशील मोदी को बनाएं उम्मीदवार

बिहार में राज्यसभा की खाली सीट सांप-सीढ़ी का खेल साबित हो सकती है! यह सीट लोजपा को रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान के लिए चाहिए। जदयू से लोजपा के रिश्ते को देखते हुए मांग पूरी करना भाजपा के लिए आसान नहीं है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 05:41 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 11:54 AM (IST)
Bihar Politics: एनडीए में अब यह बड़ा सवाल, राज्‍य सभा की खाली सीट लोजपा को दें या सुशील मोदी को बनाएं उम्मीदवार
पूर्व डिप्‍टी सीएम सुशील कुमार मोदी और लोजपा अध्‍यक्ष चिराग पासवान की तस्‍वीर ।

पटना, अरविंद शर्मा। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में राज्यसभा की खाली हुई एक सीट पर 14 दिसंबर को चुनाव होना है। इसके लिए तीन दिसंबर से नामांकन करना है, लेकिन अभी से ही गठबंधन की राजनीति में सांप-सीढ़ी का खेल शुरू हो गया है।

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पीएम मोदी से लोजपा ने रीना पासवान के लिए मांगी सीट

लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे के दौरान समझौते के तहत भाजपा ने अपने कोटे से पासवान को राज्यसभा भेजा था। इस सीट पर लोजपा की फिर नजर है। रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान के लिए लोजपा को इस सीट की दरकार है। चिराग पासवान का बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन अन्य नेता बोलने लगे हैं। लोजपा के मीडिया प्रभारी कृष्ण सिंह कल्लू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व से रीना के लिए इस सीट की मांग की है। उन्होंने कहा है कि रीना को राज्यसभा भेजना ही पासवान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। केंद्र में भाजपा की सहयोगी लोजपा की मांग को बिहार में पूरा करना अब भाजपा के लिए आसान नहीं है। इसकी वजह है कि चिराग पासवान का बिहार में राजग के साथ न तो अब पहले की तरह संबंध रहा और न ही सरोकार। विधानसभा चुनाव में लोजपा की ओर से जदयू के साथ जो व्यवहार किया गया, उसकी प्रतिक्रिया तो होनी ही है।

फंसा है यह पेंच

इस एकमात्र सीट को निकालने के लिए किसी भी गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत का होना जरूरी है। अगर विपक्ष की ओर से भी प्रत्याशी खड़ा कर दिया जाता है तो 243 सदस्यीय विधानसभा में जीत उसी की हो सकती है, जिसे प्रथम वरीयता के कम से कम से कम 122 वोट मिलेंगे। हालत यह है कि कोई भी दल अकेले इस अंक के आसपास भी नहीं है। ऐसे में गठबंधन के सहयोगी दलों का साथ जरूरी है। भाजपा को अपने कोटे की इस सीट को बचाने के लिए जदयू की मदद की दरकार होगी। जाहिर है, ऐसी स्थिति में कोई ऐसा प्रत्याशी ही जीत का हकदार हो सकता है, जिसे राजग के सभी चारों घटक दल पसंद कर सकें। जदयू से लोजपा के रिश्ते को देखते हुए तय माना जा रहा कि चिराग पासवान की मुराद पूरी नहीं हो सकती है।

सुशील कुमार मोदी हो सकते हैं सर्वसम्मत प्रत्याशी 

भाजपा में राज्यसभा के लिए कई दावेदार हैं, किंतु जदयू-लोजपा के कड़वे रिश्ते के चलते भाजपा को अपने ही किसी सर्वसम्मत प्रत्याशी को आगे करना होगा। ऐसे में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के नाम की चर्चा तेजी से चल रही है। पिछले तीन दशक से सुशील कुमार मोदी बिहार में भाजपा की पहली पंक्ति के नेता रहे हैैं। नीतीश कुमार से उनके करीबी रिश्ते को देखते हुए जदयू को उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। भाजपा को सुशील कुमार मोदी के नाम पर राजग के अन्य दलों के विधायकों को भी एकजुट रखने में भी मदद मिलेगी।


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