बिहार में डूबने वाली है एनडीए की नाव, मांझी-सहनी की मुलाकात पर राजद नेता का बड़ा बयान
विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी के साथ जीतनराम मांझी की मुलाकात पर सियासी कयासबाजी शुरू हो गई है। इसबीच राजद प्रवक्ता ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि दोनों मिलकर एनडीए की नाव डुबा देंगे।
जागरण टीम, पटना। बिहार में सियासी उठा-पटक जारी है। लॉकडाउन के बहाने नीतीश सरकार के सहयोगी व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतनराम मांझी पहले ही विरोध के स्वर निकाल चुके हैं। रही सही कसर उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी के साथ मुलाकात कर पूरी कर दी है। दोनों के मिलने के बाद सियासी गिलयारे में तरह-तरह की चर्चा उड़ रही है। इस बीच राजद नेता ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में टूट को लेकर बड़ा बयान दिया है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मुकेश सहनी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की शनिवार को मुलाकात ऐसे ही नहीं हुई है। दोनों के बीच खिचड़ी पक रही है। मृत्युंजय का कहना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में दोनों की उपेक्षा हो रही है। मांझी और सहनी के बूते बिहार की सरकार चल रही है। इसके बावजूद दोनों से सरकार किसी भी निर्णय को लेने के समय सलाह नहीं लेती। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की बात को लेकर मुलाकात करना अलग मामला है। दोनों मिलकर बरसात में एनडीए की नाव डुबाने वाले हैं। बहुत जल्द बिहार की राजनीति में भूचाल आने वाला है। जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात बिहार में नए रंग लाती दिखेगी।
मांझी के आवास पर जाकर मिले थे मुकेश
गौरतलब है कि शनिवार को बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मुकेश सहनी ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतनराम मांझी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। मांझी ने कहा था कि पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने को लेकर दोनों मिलकर चर्चा की। वहीं मांझी से मिलने के बाद सहनी ने ट्वीट किया था कि डिजिटल सिग्नेचर के वजह से पंचायत में कार्य प्रभावित हो रहा है, ऐसे में यदि पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को नहीं बढ़ाया गया तो विकास कार्य प्रभावित हो सकता है। ऐसे में सरकार को पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल जब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होती तब तक के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।