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    Bihar Politics: मोदी-शाह और भाजपा पर ही हमले करता रह गया महागठबंधन, नीतीश पर नरमी के क्‍या हैं संकेत?

    By Arun Ashesh Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 06:38 PM (IST)

    Bihar Assembly Elections: बिहार की राजनीति में महागठबंधन लगातार मोदी, शाह और भाजपा पर हमलावर रहा। नीतीश के प्रत‍ि मुख्‍य प्रतिद्वंद्वी जैसा व्‍यवहार नहीं क‍िया। नीतीश कुमार के प्रत‍ि इस चुनाव में सत्‍ता विरोधी भावना भी नहीं उभर पाई।    

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    अमित शाह, नीतीश कुमार व नरेन्‍द्र मोदी। जागरण आर्काइव

    अरुण अशेष, पटना। Bihar Chunav 2025: दो दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरूद्ध सत्ताविरोधी भावना नहीं उभर पाई।

    अपवाद को छोड़ दें तो बंपर वोटिंग को सत्ता विरोधी रूझान माना जाता है। महागठबंधन यही मान रहा है। परिणाम के साथ ही सच निकलेगा।

    चुनाव प्रचार का सच यह है कि महागठबंधन ने नीतीश कुमार के साथ मुख्य प्रतिद्वंद्वी जैसा व्यवहार नहीं किया। उसने भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृह मंत्री Amit Shahको हमले की परिधि में रखा। नीतीश पर छिटपुट प्रहार ही किए।

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    श्रेय लेने का रहा तेजस्‍वी यादव का प्रयास

    रोजगार, नौकरी और प्रवासन महागठबंधन का मुख्य मुद्दा था। नीतीश के कार्यकाल में दी जा रही सरकारी नौकरी और रोजगार के लिए उपलब्ध कराए गए अवसरों का श्रेय लेने का प्रयास विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने किया।

    उन्होंने महिलाओं को रोजगार के लिए दिए गए 10-10 हजार रुपये को वोट के लिए घूस बता दिया। लगे हाथ सरकार बनने पर महिलाओं को एकमुश्त 30-30 हजार रुपये देने की घोषणा भी कर दी।

    उन्होंने मुफ्त बिजली देने की आलोचना नहीं की। सवा सौ के बदले प्रतिमाह दो सौ यूनिट मुफ्त बिजली देने का आश्वासन भी दे दिया। तेजस्वी ने भ्रष्टाचार और अपराध का मुद्दा उठाया।

    इसके लिए भी उन्होंने नीतीश को कम और उनके अधिकारियों को अधिक जवाबदेह ठहराया। नीतीश को घेरने के लिए भी महागठबंधन ने भाजपा पर ही हमला किया।

    ...ताक‍ि आंखें म‍िलाने में न हो शर्मिंदगी  

    महागठबंधन के सभी बड़े नेताओं ने कहा कि भाजपा रिमोट कंट्रोल से सरकार चला रही है। हो सकता है कि महागठबंधन ने रणनीति के तहत यह सब किया हो।

    भावना यह कि जब कभी नीतीश सामने पड़ें तो आंख मिलाकर बात करने में शर्मिंदगी न हो। सत्ता विरोधी रूझान को न उभरने का एक कारण यह भी हो सकता है कि भाजपा ने महागठबंधन ताबड़तोड़ हमला किया।

    इसके चलते महागठबंधन का अधिक समय भाजपा के हमले का जवाब देने में ही बीत गया। चुनाव से पहले नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर खूब विमर्श हुआ।

    नीतीश ने लगातार प्रचार करके जनता से फिटनेस प्रमाण पत्र ले लिया। उन्होंने 75 से अधिक सभाएं की। पांच-छह रोड शो भी किया।

    संतुल‍ित रहा नीतीश का भाषण 

    वे खराब मौसम के उन दो दिनों में भी प्रचार करने निकले, जब सबसे युवा तेजस्वी यादव से लेकर भाजपा के बड़े-बड़े नेता हेलीकाप्टर न उड़ने के कारण घर या होटल में बैठ गए थे।

    जनसभा को संबोधित करने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा ले रहे थे। ये नेता पटना से 20 किमी दूर हाजीपुर भी सड़क मार्ग से नहीं जा पाए थे।

    उसी खराब मौसम में नीतीश ने दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर में रोड शो किया। उस दिन नीतीश ने दो सौ किमी से अधिक की यात्रा की।

    उनका भाषण भी पूरी तरह संतुलित रहा। एक महिला उम्मीदवार को जीत का माला पहनाने पर उनकी आलोचना हुई। नीतीश को उत्तर नहीं देना पड़ा।

    आम लोगों ने यह कह कर उनका साथ दिया कि बुजुर्ग हैं, बहन-बेटियों को आशीर्वाद के रूप में माला पहनाने में भला क्या बुराई है।