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Bihar Politics: बिहार कांग्रेस के लिए ट्रंप कार्ड होंगे कन्हैया कुमार, भेजे जा सकते हैं राज्‍यसभा

Bihar Politics सीपीआइ नेता कन्‍हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पार्टी खुश है। कांग्रेस को उम्‍मीद है कि उनके शामिल होने से बिहार में एक बड़ा चेहरा मिल गया है। चर्चा है कि उन्‍हें कांग्रेस राज्‍यसभा भेज सकती है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 01:17 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 05:30 PM (IST)
Bihar Politics: बिहार कांग्रेस के लिए ट्रंप कार्ड होंगे कन्हैया कुमार, भेजे जा सकते हैं राज्‍यसभा
कांग्रेस के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी व कन्‍हैया कुमार। फाइल फोटो

पटना, सुनील राज। जवाहर लाल नेहरू छात्रसंघ (JNUSU) के पूर्व अध्यक्ष और वाम नेता कन्हैया कुमार (Dr Kanhaiya Kumar) ने कांग्रेस (Congress) के साथ अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी है। मंगलवार शाम उन्‍होंने विधिवत दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) व अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा भी इस मौके के गवाह बने। छात्र नेता रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की तीखी आलोचना करने वाले कन्हैया की कांग्रेस में एंट्री को लेकर जानकार मानते हैं कि इस बहाने कांग्रेस को बिहार में एक कद्दावर और नरेंद्र मोदी पर हमला करने वाला नेता मिल गया है। चर्चा है कि कांग्रेस कन्हैया को राज्यसभा भेजेगी, लेकिन एक चर्चा यह भी है कि कन्हैया बिहार में कांग्रेस के लिए तुरुप का पत्ता बनेंगे। 

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भाजपा के बढ़ते कद से बढ़ी है कांग्रेस की चिंता 

असल में कांग्रेस की बड़ी चिंता बिहार में भाजपा का बढ़ता कद है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत मजबूत की है जबकि कांग्रेस इस दौर में पिछड़ती गई है। 2015 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 27 सीटें थी जो 2020 में घटकर 19 रह गई। वहीं भाजपा की सीटें 55 से बढ़कर 74 पर पहुंच गई हैं। कांग्रेस को बिहार में पार्टी को बुरे दौर से निकालने के लिए किसी बड़े चेहरे की तलाश थी जो कन्हैया के एक हद तक पूरी हो गई है। कन्हैया जिस जाति से आते हैं बिहार में उसका बड़ा वोट बैंक है। इस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए यह मुफीद सौदा है। 

लालू प्रसाद के रहमोकरम पर रही पार्टी 

विश्लेषक भी मानते हैं कि डा. जगन्नाथ मिश्रा के बाद बिहार कांग्रेस को उस कद का कोई नेतृत्व करने वाले नेता नहीं मिला, जिसका खामियाजा पार्टी का उठाना पड़ा। सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बाद कांग्रेस की राजनीति राजद जैसे दल पर आश्रित होकर रह गई। लालू प्रसाद के रहमोकरम पर कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के लिए सीटें मिली। नतीजा कांग्रेस अपनी जमीन से कटती चली गई। कन्हैया की बदौलत सहयोगी दलों से कांग्रेस को सीटों के बारगेन में सहूलियत हो जाएगी। एक चर्चा यह भी थी कि कांग्रेस के कुछ स्थानीय स्तर के नेता आलाकमान के इस फैसले से खुश नहीं। पार्टी विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा कहते हैं जो लोग ऐसा सोचते हैं उन्होंने आज तक पार्टी की विचारधारा को ठीक से समझा नहीं। कांग्रेस सबको साथ लेकर चलती है। कन्हैया के कांग्रेस के साथ आने से निश्चित रूप से पार्टी की बिहार में ताकत बढ़ेगी। 


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