'नीतीश की सलाह पर काम करने वाले नहीं...', एक सवाल के जवाब में बोले पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर- सब जानते हैं
12 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक पर भाजपा नेता तारकिशोर ने कहा कि बेशक नीतीश कुमार राजनीतिक एकता की बात करते हैं। राजनीतिक पर्यटन भी कर रहे हैं लेकिन इसका कोई परिणाम आने वाला नहीं है।
जागरण डिजिटल डेस्क, पटना: बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता तारकिशोर ने प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी एकता मिशन पर सवाल उठाए। इसके साथ ही नीतीश की अलग-अलग राज्यों में जाकर विपक्षी नेताओं से मिलने को राजनीतिक पर्यटन करार दिया। तारकिशोर बोले- सब जानते हैं कि नीतीश कुमार अपने बूते कभी बिहार में सरकार नहीं बना पाए।
12 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक पर भाजपा नेता तारकिशोर ने कहा कि बेशक नीतीश कुमार राजनीतिक एकता की बात करते हैं। राजनीतिक पर्यटन भी कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई परिणाम आने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हो या फिर अन्य क्षेत्रीय दल, सबकी अपनी विचारधारा है और अपनी व्यवस्था। राष्ट्रीय पार्टियों को अपनी विचारधारा तो क्षेत्रीय दलों को जिस राज्य में शासन है, उसकी चिंता रहती है। ऐसी स्थिति में उन्हें नहीं लगता कि कोई भी पार्टी अपनी विचारधारा और राजनीतिक व्यवस्था छोड़कर नीतीश कुमार की बात मानने को तैयार होगी।
कौन-सी पार्टी देगी नीतीश का साथ?
तारकिशोर ने कहा, ''सब जानते हैं कि लगातार 18 साल तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहे हैं। कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाए तो जदयू आज तक अपने बूते बिहार में सरकार नहीं बना पाई। घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाई। अपने मुद्दों पर कायम नहीं रह पाई। ऐसे में कौन-सी पार्टी नीतीश के कहने पर खुद का सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार होगी।''
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कार्यकुशलता से लोगों के हितों की योजनाएं लागू कीं। विदेश नीति में भारत की धाक बनाई, जिसके आगे सारे राजनीतिक दल बौने साबित हो रहे हैं। विपक्षी दल जानते हैं कि फिर से मोदी ही सत्ता में आएंगे, इसलिए उनकी झटपटाहट बढ़ी हुई।
हरिवंश पर की गई टिप्पणी गलत
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने को लेकर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार की टिप्पणी पर तारकिशोर ने कहा कि वह कोई सामान्य सांसद नहीं है। हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति हैं। उनकी अपनी मर्यादा है। जाने-माने राजनीतिज्ञ हैं। साहित्यकार हैं। उन पर इस तरह की टिप्पणी करके जदयू ने अपनी संकीर्ण मानसिकता का परिचय दिया है।
तो क्या संसद में बैठने से मना कर देंगे?
उन्होंने कहा, ''जदयू प्रवक्ता की टिप्पणी बताती है कि बिहार में दो दलों के चलते राजनीति किस कदर गिर गई है। नए संसद भवन की ताबूत से तुलना करने को उन्होंने देश का दुर्भाग्य बताया। तारकिशोर ने कहा कि यह कितनी गलत बात है। संसद भवन देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र का मंदिर है। मैं पूछता हूं कि कल जब विरोध करने वाले जीतकर संसद भवन पहुंचेंगे तो क्या वहां बैठने का भी बहिष्कार कर देंगे।''
बता दें कि इससे एक दिन पहले तारकिशोर ने संसद भवन की तुलना ताबूत से किए जाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की बात कही थी।