Bihar Politics: विधानसभा चुनाव में फ्लॉप होकर मुसीबत में चिराग; NDA में नहीं मिल रहा भाव, परिवार ने भी उठाए सवाल
Bihar Politics बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान एनडीए में अकेले पड़ गए हैं। परिवार के लोग भी उनके फैसले पर सवाल खड़ते दिख रहे हैं। मुसीबतों में घिरे चिराग ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
पटना, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने के सपने देखने वाले लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने चुप्पी साध ली है। वे संभलकर और बचकर बोल रहे हैं। हालत ऐसी हो गई कि अपने भी नसीहत देने लगे हैं। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की नई सरकार बनी तो चिराग ने अपने तरीके से बधाई दी, लेकिन कोई भाव नहीं मिला। यहां तक कि सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए भी निमंत्रण नहीं मिला। सवाल यह भी उठ रहा है कि चिराग के इस हश्र के लिए उनके अलावा और कौन जिम्मेदार है?
मित्र ने बनाया था अकेले चुनाव लड़ने का फॉर्मूला
कहा जाता है कि चिराग अपने दल में किसी पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं तो वो हैं उनके करीबी मित्र सौरभ पाण्डेय। चिराग के सारे फैसले सौरभ पांडेय लेते हैं। एलजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बनारस के मूल निवासी सौरभ पाण्डेय के पिता मणिशंकर पाण्डेय उत्तर प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष हैं। साये की तरह हमेशा चिराग से साथ रहने वाले सौरभ को लेकर एलजेपी के वरिष्ठ नेताओं में अच्छी धारणा नहीं है। इसकी वजह है कि सौरभ से ज्यादा चिराग किसी को तवज्जो नहीं देते हैं। किसी अन्य नेता की ज्यादा बात भी नहीं सुनते हैं। चुनाव में भी नहीं सुनी और सारे फैसले सौरभ के हिसाब से ही लिए जाते रहे। बिहार में अकेले चुनाव लड़ने के फैसले को भले ही चिराग खुदा का बताते हैं, किंतु पार्टी सूत्रों का दावा है कि यह फॉर्मूला भी सौरभ ने ही बनाया था।
अपने हिसाब से तय करते रहे चिराग की रणनीति
चिराग को कब-किससे और कैसी बात करनी है। किसी के साथ कैसे पेश आना है, सारी रणनीति सौरभ के हिसाब से ही तय होती है। इसके लिए कभी-कभी पार्टी प्रवक्ता अशरफ अंसारी की मदद ले ली जाती है। अंसारी भी चिराग के इर्द-गिर्द ही जमे रहना वाले शख्स हैं। अशरफ का एक भाई इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल में कार्यरत हैं।
एलजेपी विजन डाक्यूमेंट बनाने में रही बड़ी भूमिका
चुनाव से पहले एलेजपी के बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन डाक्यूमेंट को तैयार कराने में भी सौरभ की बड़ी भूमिका रही है। इस बारे में लोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि विजन डाक्यूमेंट को कैसे तैयार कराया गया, इसके बारे में सौरभ पाण्डेय और अशरफ अंसारी के अलावा चिराग पासवान के चंद करीबियों को ही जानकारी थी। चिराग की राजनीति की पूरी स्क्रिप्ट सौरभ ही तैयार करते रहे हैैं। मंच पर भाषण देना हो या पत्रकार सम्मेलन, सौरभ पाण्डेय ही चिराग पासवान को 'गाइड' करते हैं। एलजेपी के ही एक नेता ने बताया कि सौरभ ने चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट वितरण में भी बड़ी भूमिका निभाई है।
जीजा बोले: चिराग ने बाल हठ में सब चौपट कर दिया
चिराग के जीजा एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार साधु ने चिराग को नकली हनुमान बताया और कहा कि बाल हठ में उन्होंने अपने ही घर को जला दिया। रामविलास जी ने मेहनत से एलेजपी को खड़ा किया था। उनके सबसे अच्छे रिश्ते थे। मगर उनके जाते ही सब चौपट हो गया। साधु ने कहा कि चिराग से मेरे पारिवारिक रिश्ते हैं। वे मुझसे छोटे भी हैं। इसलिए उनके अच्छे-बुरे काम का असर मेरे पर भी पड़ेगा। एलजेपी वर्ष 2000 में बनी थी। मैं भी संस्थापक सदस्य था। 2005 में एलजेपी के 29 विधायक थे। आज 135 सीटों पर लड़कर भी शून्य पर खड़ी है। एक जीता भी है तो वह अपने दम पर जीता है। उसकी जीत में चिराग का कोई योगदान नहीं है।
मां का सवाल: आखिर इतनी सीटों लड़ें ही क्यों?
रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को अच्छा बताया और कहा कि चिराग को इतनी सीटों पर नहीं लड़ना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चिराग मेरा बेटा है। भले मां दो हैं, लेकिन पिता तो एक ही थे। मां होने के नाते मैं सलाह दे सकती हूं। नीतीश ने अच्छा काम किया तो जनता ने भरोसा किया। शराबबंदी करके भी ठीक किया।
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