Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में पारंपरिक सीटों पर हार के कारणों को तलाशने में जुटी भाजपा
Bihar Politics बिहार विधानसभा चुनावों में जीत का प्रतिशत सबसे अधिक भाजपा का रहा है इसके बावजूद पार्टी सबसे पहले अपनी हार वाली सीटों की समीक्षा में जुट गई है। यह भाजपा की कार्यशैली में आया एक बड़ा बदलाव है जो उसे ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।
पटना, जेएनएन। बिहार में सरकार बनाने के बाद भाजपा हारी हुई सीटों की समीक्षा में जुट गई है। पार्टी ने पहले चरण में पारंपरिक सीटों की स्क्रूटनी कर हार के कारणों की जमीनी पड़ताल का लक्ष्य तय किया है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल स्वयं वजह तलाशने की मुहिम में जुट गए हैं। भाजपा के इस अभियान का श्रीगणेश जायसवाल बक्सर से कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष अभियान के पहले दिन बक्सर, आरा और अरवल जिले में पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजीव चौरसिया के साथ हारी हुई सीटों पर मंथन करेंगे। पार्टी ने बैठक में हारे हुए प्रत्याशियों के अलावा जिला इकाईं के पदाधिकारियों, पूर्व प्रत्याशियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को तलब किया है। उल्लेखनीय है कि मगध और शाहाबाद क्षेत्र में लोजपा ने भाजपा के बागियों के जरिए सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है।
मगध और शाहाबाद ने दिया झटका
17वीं बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को पहले चरण के मतदाताओं ने सर्वाधिक झटका दिया है। इसमें मगध और शाहाबाद क्षेत्र शामिल है। पार्टी पहले चरण में आधी से अधिक सीटें हार गई। भाजपा प्रथम चरण के चुनाव में 71 में 29 सीटों पर लड़ी थी। इसमें पार्टी के 16 प्रत्याशी हार गए थे। अहम यह रहा कि 10 सिटिंग सीटें भाजपा हार गई। यह बात दीगर है कि मगध में ही नहीं, बिहार के दिग्गज नेताओं में शुमार प्रेम कुमार आठवीं बार जीत कर भी मंत्री पद से वंचित रह गए। वहीं, 74 वर्षीय अमरेंद्र प्रताप सिंह पांचवीं जीत में प्रेम कुमार के महकमे के मंत्री बना दिए गए।
पहले चरण में कौन-कौन हारे
बिक्रम से अतुल कुमार, तरारी से कौशल कुमार सिंह, शाहपुर से मुन्नी देवी, रामगढ़ से अशोक सिंह, मोहनिया से निरंजन राम, भभुआ से रिंकी रानी पांडेय, चैनपुर से बृज किशोर बिंद, डिहरी से सत्यनारायण सिंह यादव, काराकाट से राजेश्वर राज, गोह से मनोज शर्मा, औरंगाबाद से रामाधार सिंह, गुरुआ से राजीव नंदन दांगी, बोधगया से हरी मांझी, रजौली से कन्हैया रजवार, हिसुआ से अनिल सिंह और अरवल से दीपक शर्मा चुनाव हार गए थे।