पेंटागन जैसी सुरक्षा व्यवस्था है भारत के इस पुलिस मुख्यालय की, भूकंप भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा
सौ साल बाद बिहार पुलिस मुख्यालय पटना स्थित सचिवालय से निकलकर अपने नए भवन में चला गया है। इस अति सुरक्षित हाईटेक भवन की खासियतें जानिए इस खबर में।
पटना, राज्य ब्यूरो। हर आम और खास की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन के पास है। खुद पुलिस को भी सुरक्षा की जरूरत होती है। खासकर अगर बात पुलिस मुख्यालय की हो तो यह और भी जरूरी हो जाती है।क्योंकि पुलिस मुख्यालय में होने वाली कोई भी सुरक्षा संबंधी चूक समाज में पुलिस के प्रति नकारात्म छवि पेश कर सकती है। शायद यही कारण है कि बिहार की राजधानी पटना में पुलिस मुख्यालय ऐसा बनाया गया है कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा भी इस बिल्डिंग को अपनी जगह से नहीं हिला सकती।
यही नहीं, कितना भी लंबा पावर कट हो, यहां किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पुलिस मुख्यालय की इन खूबियों के बारे में जानकर आपको भी लग रहा होगा कि यह अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन जैसी सुरक्षा व्यवस्था है। बता दें कि राज्य का पुलिस मुख्यालय शुक्रवार को इसी नए भवन में शिफ्ट हो गया। इसके साथ पुराना सचिवालय में वर्ष 1917 से चल रहा पुलिस मुख्यालय पहली बार सचिवालय के बाहर चला गया।
राजधानी के बेली रोड में 53504 स्क्वायर मीटर बिल्ट-अप एरिया वाले इस नए सात मंजिला भवन के निर्माण में 305 करोड़ रुपये की लागत आई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी ने शुक्रवार को इसका लोकार्पण किया। भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी का दावा है कि पुलिस मुख्यालय भवन को 'सिग्नेचर बिल्डिंग' की तर्ज पर तैयार किया गया है। 'सिग्नेचर बिल्डिंग' लखनऊ में निर्मित बहुमंजिला पुलिस भवन है।
बेस आइसोलेशन तकनीक का इस्तेमाल
बिहार में यह पहला भवन है जिसमें बेस आइसोलेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक की खासियत यह है कि रिक्टर स्केल पर अगर नौ की तीव्रता के साथ भी भूकंप आता है तो भवन को कुछ नहीं होगा। भूकंप के समय भी यह भवन पूरी तरह से ऑपरेशनल रहेगा।
भवन में 10 दिनों का पावर बैकअप
पुलिस मुख्यालय भवन की खासियत यह भी है कि अगर 10 दिनों तक प्रदेश में सभी जगहों पर बिजली कटी रहती है, तो भी यहां बिजली रहेगी। यहां इस तरह के उपकरण लगाए गए हैं, जिनसे 10 दिनों के पावर बैक-अप की सुविधा उपलब्ध होगी। भवन को सोलर पावर से भी लैस किया गया है।
पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग
यह ग्रीन बिल्डिंग है। यहां इस्तेमाल होने वाला पानी भी बाहर नहीं जाएगा। परिसर में वाटर ट्रीटमेट प्लांट लगाया गया है। गंदे पानी के शोधन के लिए सीवेज ट्रीटमेट प्लांट भी काम करेगा।
बगैर कार्ड स्वैप भीतर जाना असंभव
प्रवेश की व्यवस्था भी हाईटेक है। प्रवेश द्वार के तुरंत बाद एक हॉल है। उस हॉल में कई टर्मिनल बने हैं। वहां खास किस्म के इलेक्ट्रॉनिक कार्ड के स्वैप के बगैर भीतर जाने का रास्ता ही नहीं खुलेगा। परिसर में साढ़े चार सौ वाहनों की अंडर ग्राउंड पार्किंग हो सकेगी। भवन की छत पर एक हेलीपैड भी बनाया गया है।
भवन निर्माण की यह है कहानी
पुलिस भवन के सचिवालय से बाहर निर्माण के पीछे का तर्क यह था कि सचिवालय तो सचिवों का आलय है। वहां पुलिस निदेशालय का क्या काम? निदेशालय का मुख्यालय सचिवालय में नहीं होना चाहिए। सरकार को आइडिया पसंद आया और हरी झंडी मिल गई।
लेकिन एक ही छत के नीचे इतने बड़े महकमे को खड़ा करना बड़ा टास्क था। इसके लिए काफी जमीन की दरकार थी। पुलिस मुख्यालय भवन के लिए जमीन भी मिल गई, वह भी पुलिस की जमीन। पटना के बीचोंबीच बेली रोड पर। तब वहां सात एकड़ जमीन पर वायरलेस का दफ्तर हुआ करता था। यहीं वायरलेस का टेक्निकल ऑफिस भी था और कई आइजी के दफ्तर भी थे।
मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक का होगा ऑफिस
इस भवन में मुख्यमंत्री कार्यालय, गृह सचिव, पांच डीजीपी के अलावा सीआइडी, स्पेशल ब्रांच, रेल पुलिस, खुफिया विंग, ट्रेनिंग, बीएमपी, वायरलेस सहित सभी विंग के कार्यालय होंगे। भवन पूरी तरह ऑपरेशनल होगा। यानी क्राइसिस में भवन में सभी विंग के अधिकारी पूरे ऑपरेशन को मॉनिटर कर सकेंगे। जीपीएस सिस्टम से यह पता लगाया जा सकेगा कि जिलों के एसपी कहां हैं पुलिस की गाड़ियां कहां मूव कर रही हैं।